कोरोना की दूसरी लहर के चलते घर बेचने को मजबूर मध्यम वर्गीय परिवार, पढ़िए ऐसे लोगों की कहानी जिन्होंने इलाज के लिए बेच दिया घर
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Mohammad Siraj
नई दिल्ली। भारत में कोरोना की दूसरी लहर गरीबों और मध्यम वर्गीय परिवारों पर कहर बनकर टूटी है। आगरा में जूते बनाने का काम करने वाले श्याम बाबू निगम को ही ले लीजिए। पत्नी के कोरोना इलाज पर आया 6.20 लाख रुपए का खर्च श्याम बाबू की सालाना आय के 3 गुना था। इसे चुकाने के लिए उन्हें पहले अपना घर, फिर जूतों की सिलाई में इस्तेमाल होने वाली मशीन तक बेचनी पड़ी।
बेंगलुरु में रमेश गौड़ा की कहानी तो और भी दुखद है, उन्होंने महामारी की जद में आए भाई और पिता को मैसूर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। हालांकि इलाज पर 16 लाख खर्च होने के बावजूद दोनों ने 1 हफ्ते के अंतराल में दम तोड़ दिया। पिता और भाई के शव हांसिल करने के लिए गौड़ा को पुश्तैनी जेवर के अलावा 2 एकड़ जमीन भी बेचनी पड़ी।
ऑनलाइन मदद की गुहार लगाने वाले बढ़े
कोरोना काल में पेश आई आर्थिक मुश्किलों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बड़ी संख्या में भारतीयों ने फंड जुटाने में मदद करने वाले ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का रुख किया है। वेबसाइट ‘कीटो’ पर इस साल 20 अप्रैल से 31 मई के बीच कोविड-19 से जुड़े 4000 से अधिक अभियान चलाए गए। इनमें 40 फ़ीसदी इलाज का खर्च उठाने से संबंधित थे, जिनमें 5 से 50 लाख रुपए वित्तीय सहायता जुटाने का लक्ष्य तय किया गया था। वही वेबसाइट ‘मिलाप’ पर संक्रमित की आईसीयू देखभाल और वेंटिलेटर सपोर्ट का खर्च उठाने में सहयोग देने के लिए 2 हजार से अधिक अभियान संचालित हुए। इनके तहत करीब 48 करोड़ रूपये जुटाए जा चुके हैं।
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