29/05/2021

अवध सूत्र

Latest Online Breaking News

क्या टल जाएगा भावी मंत्रिमंडल विस्तार चहेतों को एडजस्ट करने को लेकर योगी – मौर्य में ठनी

1 min read
😊 Please Share This News 😊

 

क्या टल जाएगा भावी मंत्रिमंडल विस्तार? चहेतों को एडजस्ट करने को लेकर योगी – मौर्य में ठनी

फर्स्ट पेज बाटम.......क्या टल जाएगा भावी मंत्रिमंडल विस्तार? ( चहेतों को एडजस्ट करने को लेकर योगी - मौर्य में ठनी)
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार का भावी मंत्रिमंडल विस्तार टलता नजर आ रहा है क्योंकि सरकार के अंदर दो उप मुख्यमंत्रियों और सूबे के मुख्यमंत्री के बीच सबकुछ ठीक नहीं है ऐसे में न तो भाजपा हाईकमान और न संघ कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। खासकर तब जब विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का समय रह गया है। ज्ञात है कि पिछले एक सप्ताह से प्रदेश में एकाएक राजनीतिक गतिविधियों में बढ़ोतरी से यह अनुमान लगाये जा रहे थे कि प्रदेश कैबिनेट में खाली पड़े ६ मंत्रि पदों को भरने के लिए विस्तार हो सकता है। उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य को दिल्ली तलब किया जाना, उससे पहले‌ गुजरात के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और अब भाजपाई अरविंद शर्मा को बुलाया जाना, राज्यपाल से मुख्यमंत्री की मुलाकात, संघ पदाधिकारियों का लखनऊ में डेरा सब कुछ इस ओर इशारा कर रहा था कि कुछ विधायकों को लाल बत्ती दी जा सकती है। चर्चा तो यह भी चली कि दोनों उप मुख्यमंत्रियों के पदों में फेरबदल हो सकता है और केशव मौर्य को फिर एक बार प्रदेश अध्यक्ष बनाकर २०२२ में भाजपा को सत्ता में लाने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। जबकि अरविंद शर्मा को वरिष्ठ उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन अब खबरों के अनुसार केशव मौर्य के रायता फैलाये जाने के कारण शायद ही मंत्रिमंडल विस्तार हो। दरअसल योगी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच चल रही खींचतान कोई नई नहीं है। १७ में जब भाजपा ३०० से ऊपर सीटें लेकर आई तो इस सफलता का शिल्पकार मौर्य को माना गया। ऐसे में सूबे के मुखिया के तौर पर आस मौर्य लगाए थे, लेकिन स्काई लैब मुख्यमंत्री बन गए योगी, तभी से मौर्य नाराज तो नहीं हैं लेकिन प्रसन्न भी नहीं हैं। अब मंत्रिमंडल के विस्तार की बात चली है तो अपने-अपने चेहरों को रखने पर फिर विवाद छिड़ गया है। उधर एक ब्राह्मण भाजपा विधायक ने नवांगतुक अरविंद शर्मा को योगी की जगह मुख्यमंत्री बनाए जाने का सार्वजनिक बयान देकर एक और न्यूसेंस क्रिएट कर दिया है।

इसलिए अब बताया जा रहा है कि अगर जरुरी हुआ तो विस्तार बाद में होगा, उससे पहले यूपी के राजनीतिक हालात पर पीएम मोदी, अमित शाह और नड्‌डा प्रदेश के बड़े नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर विवादों को खत्म कराएंगे और आगे की रणनीति पर मंथन किया जाएगा।

यूपी में 2017 में  सरकार के गठन से लेकर अब तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सब कुछ ठीक कभी नहीं रहा, कई बार दोनों के बीच का विवाद खुलकर सामने भी आ चुका है। चूंकि मौर्य समर्थक मानते हैं कि  2017 विधानसभा चुनाव में केशव मौर्य ने जबरदस्त मेहनत की और पिछड़े वर्ग को भी एकजुट कर लिया जो कि १७ प्रतिशत से ऊपर है। ये सच भी है कि मौर्य की आज भी इस 17% ओबीसी वोट बैंक पर मजबूत पकड़ है और इसे किसी भी हालत में भाजपा गंवाना नहीं चाहती है। लेकिन दिक्कत ये है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी कट्टर हिंदुत्व के चेहरे के रुप में तेजी से पसंद किए डरे हैं जो आज उनकी यूएसपी बन गई है। ऊपर से क्षत्रिय विधायक भी मजबूती से उनके साथ हैं। भाजपा नेतृत्व इसीलिए पशोपेश में है। इसलिए शाह और मोदी को बीच में रखकर कोई रास्ता निकालने की कोशिश है।

मौर्य समर्थकों का आरोप है कि योगी गुट के लोग हमेशा सरकार में हावी रहते हैं और अफसरशाही को स्पष्ट निर्देश है कि मुख्यमंत्री की इजाजत के बगैर कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय न हो, न ही ऐसे ही किसी निर्णय का क्रियान्वयन हो। यहां तक की केशव अपने मन से अपने ही विभाग के अफसरों को ट्रांसफर भी नहीं कर पाए हैं। जिस पीडब्ल्यूडी के मौर्य मंत्री हैं, उसके कामकाज की समीक्षा योगी द्वारा किया जाना भी मौर्य को नहीं सुहाया। तुर्रा ये भी कि विभाग के अफसरों के साथ मुख्यमंत्री सीधे बैठक करने लगे और मौर्य को इससे दूर रखा गया। मुख्यमंत्री के इस कदम का जवाब मौर्य ने योगी के अधीन लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी में भ्रष्टाचार को लेकर सवाल उठाकर दिया और इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जांच की मांग की। योगी ने स्वयं पर दर्ज मुकदमे आसानी से वापस करा लिए  लेकिन मौर्य पर दर्ज मुकदमों को वापस कराने के लिए टालमटोल हुई तो उन्हेें पीएम आफिस का सहारा लेकर अपने मुकदमे वापस कराने पड़े। यहां तक के अपने ही विभाग में अफसरों की नियुक्ति के लिए मौर्य को मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर ताकना पड़ा। अपने ही विभाग के बजट के मसले पर भी मौर्य को कई बार नीचा देखना पड़ा। अब जब २२ में विधानसभा चुनाव के पहले आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार की बारी आई तो मौर्य को यह सुनहरा अवसर लगा अपने समर्थकों को खुश करने का लेकिन मुख्यमंत्री भी चाहते हैं कि वे अपने लोगों को उपकृत कर २२ के लिए अपनी टीम मजबूत करें। इसलिए यह संभव है कि अब मंत्रिमंडल विस्तार के लिए जो तेजी दिखाई जा रही थी, उसे तब तक के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए जब तक प्रधानमंत्री और शीर्ष भाजपा नेतृत्व उप्र में योगी, मौर्य और अरविंद शर्मा ( उनके पक्ष में ब्राह्मण लाबी जबरदस्त सक्रिय हैं, लेकिन वे फिलहाल सीधे प्रधानमंत्री मोदी से संबद्ध हैं) के त्रिगुट को एकीकृत कर २२ के लिए तैयार न कर दें। लेकिन बड़ा सवाल खुद भाजपाई एक -दूसरे से पूछ रहे हैं कि क्या ये संभव है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

Donate Now

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!