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दलित बच्चों के साथ भेदभाव : सरकारी विद्यालय में अनुसूचित बच्चों के भोजन के लिए किये गये अलग बर्तन के इस्तेमाल

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दलित बच्चों के साथ भेदभाव : सरकारी विद्यालय में अनुसूचित बच्चों के भोजन के लिए किये गये अलग बर्तन के इस्तेमाल

मैनपुरी, ज़िले में एक स्कूल के अंदर बच्चों के साथ छुआछुत का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. मैनपुरी जिले के दाउदपुर स्थित सरकारी विद्यालय में अनुसूचित बच्चों के भोजन के लिए अलग बर्तन के इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है।

हालांकि, इस मामले में स्कूल की प्रधानाध्यापिका गरिमा सिंह राजपूत को निलंबित कर दिया गया है. वहीं, बच्चों के साथ भेदभाव करने वाली दो रसोइयों को काम से बर्खास्त कर दिया गया है।

दाउदपुर के इस सरकारी प्राथमिक विद्यालय में 80 में से 60 बच्चे अनुसूचित जाति के हैं. लेकिन ये बच्चे मिड डे मील के लिए जिन बर्तनों का इस्तेमाल करते थे, उन्हें स्कूल में अलग रखा गया था. इन बर्तनों को बच्चों को खुद धोना पड़ता था. स्कूल में काम करने वाली दोनों रसोइयां इनके बर्तनों का हाथ तक नहीं लगाती थीं. शिकयत मिलने पर स्कूल पहुंचे अधिकारियों ने जांच और शिकायत को सही पाया. मैनपुरी बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कमल सिंह ने कहा कि नवनिर्वाचित सरपंच मंजू देवी के पति द्वारा स्कूल में की गई जातिगत भेदभाव की शिकायत को सही पाया गया है।

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उन्होंने कहा, ‘हमें बुधवार को इस बारे में शिकायत मिली और निरीक्षण के लिए एक टीम को स्कूल भेजा गया. वहां अनुसूचित जाति के बच्चों और अन्य बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अलग-अलग रखे गए थे. इसके बाद जब प्रखंड विकास पदाधिकारी व अन्य पदाधिकारी स्कूल पहुंचे तो उनके सामने भी रसोइया सोमवती और लक्ष्मी देवी ने अनुसूचित जाति के छात्रों के बर्तनों को छूने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया तो वे स्कूल में काम नहीं करेंगे. इस दौरान उन्होंने जातिसूचक गालियों का भी इस्तेमाल किया।

उन्होंने बताया कि मामले में स्कूल प्रबंधन समिति द्वारा रसोइयों के खिलाफ कार्रवाई की गई और उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया गया. सरपंच मंजू देवी के पति साहब सिंह ने कहा कि कुछ बच्चों के माता-पिता ने 15 सितंबर को भेदभावपूर्ण प्रथा के बारे में बताया था।

आगे उन्होंने कहा, ’18 सितंबर को, मैं एक बैठक के लिए स्कूल गया था. मैंने देखा कि रसोई गंदी थी और उसमें केवल 10-15 प्लेटें रखी थीं. मैंने रसोइयों से पूछा कि बाकी थालियां कहां हैं, तो उन्होंने कहा कि रसोई में जो थालियां थीं वे पिछड़े और सामान्य वर्ग के छात्रों की थीं, जबकि 50-60 थालियां अलग-अलग रखी गई थीं. मुझे यह भी बताया गया था कि अनुसूचित जाति के छात्रों को अपने बर्तन धोने और रखने के लिए मजबूर किया जाता है, क्योंकि अन्य जातियों का कोई भी उन्हें छूने को तैयार नहीं होता है।

साहब सिंह ने कहा कि गांव की करीब 35 फीसदी आबादी दलित है, वहीं ठाकुरों की संख्या इतनी ही है, बाकी पिछड़े वर्ग से हैं. मैनपुरी समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का गढ़ है. सपा द्वारा समर्थित मैनपुरी जिला पंचायत सीट जीतने वाले शुभम सिंह ने कहा कि उन्होंने गांव का दौरा किया था. उन्होंने कहा, ‘भाजपा दलित उत्थान के बड़े-बड़े दावे करती है. वे समुदाय के कुछ नेताओं को सांकेतिक पद देते हैं, लेकिन यह यूपी की वास्तविकता है।

अधिकारियों द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद से, कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें दाउदपुर स्कूल के बच्चे अपनी थालियों को धोने के लिए एक हैंडपंप का उपयोग करते नजर आ रहे हैं, बच्चों के अपने बर्तनों को अपनी कक्षाओं में दूसरों से अलग रखने की बात करते नजर आ रहे हैं. वहीं वायरल हो रहे वीडियो में, दलित बच्चों के माता-पिता कहते हैं, ‘यहां बच्चे आते हैं, यहां बर्तन धुलवाए जाते हैं. मास्टर लोग धुलवाते हैं. मैने खुद देखा है. मास्टर से कहा भी लेकिन उन्होंने अनसुना कर दिया. बच्चों ने भी बताया, घर पे भी बताया.’ ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से शेयर किए जा रहे हैं।

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