कोविड के बाद अब UP में बढ़ेगी संघ की गतिविधियां:हिंदू साम्राज्य दिवस के बहाने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के मुद्दों को धार देगा RSS, स्वयंसेवकों को सक्रिय करने के लिए होंगे कई कार्यक्रमों के आयोजन
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Mohammad Siraj
कोविड के बाद अब UP में बढ़ेगी संघ की गतिविधियां:हिंदू साम्राज्य दिवस के बहाने भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के मुद्दों को धार देगा RSS, स्वयंसेवकों को सक्रिय करने के लिए होंगे कई कार्यक्रमों के आयोजन
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संघ ने UP में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। संघ सूत्रों के अनुसार महामारी की वज़ह से पिछले एक साल से संगठन के कार्यक्रम आयोजित नहीं हो रहे थे। रूटीन के कार्यों में भी काफी ब्रेक लग गया था। लेकिन अब स्थितियां सामान्य होने के बाद संघ एक बार फिर अपने स्वयंसेवकों की सक्रियता बढ़ाने में जुट गया है। इसकी शुरुआत 23 जून से हिन्दू सम्राज्य दिवस के तौर पर की जाएगी। इसके तहत एक सप्ताह तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
संघ के सूत्रों ने बताया कि वार्षिक कैलेंडर में शामिल 6 कार्यक्रमों में इस वर्ष का यह पहला कार्यक्रम होगा। छत्रपति शिवाजी महाराज के गौरव और शौर्य की गाथा को हिंदू संस्कृति और अस्मिता से जोड़ते हुए 23 जून को RSS की तरफ़ से कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे जिसमें स्वयंसेवकों की भागीदारी सुनिश्चत की गई है।
महामारी के बाद अब शुरू होगा कार्यक्रमों का आयोजन
संघ के सूत्रों ने बताया, महामारी के दौरान संघ के ज्यादातर कार्यक्रमों का आयोजन डिजिटल माध्यम से ही किया गया था लेकिन अब समय आ गया है की संगठन के रूटीन कार्यक्रमों और शिविरों के आयोजन को ट्रैक पर लाया जाय। इन कार्यक्रमों में कोविड प्रोटोकाल का भी पालन किया जाएगा।
दरअसल , छत्रपति शिवाजी महाराज का जिस दिन राज्याभिषेक हुआ था उस दिन को उन्होंने हिन्दू स्वराज की स्थापना का दिन बताया था। इस दिन को RSS हिंदू स्वराज्य दिवस के तौर पर मनाएगा। जगह जगह कार्यक्रमों का आयोजन कर उनके शौर्य और बलिदान को याद किया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शिवाजी का राज्याभिषेक शुक्ल जेठ त्रयोदशी को हुआ था , जो इस बार 23 जून को पड़ रही है।
भारतीय संस्कृति और अस्मिता से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन
संघ के सूत्रों की माने तो हिन्दू साम्राज्य दिवस के तहत केवल हिन्दू राजाओं के शौर्य और बलिदान को ही नहीं याद किया जाता है। इसके अलावा हिंदू कैलेंडर के अनुसार पड़ने वाले अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को भी प्रमोट किया जाता है। इसके तहत गुरू पूर्णिमा, रक्षाबंधन, विजया दशमी, मकर संक्रांति और हिंदू नवसंवत्सर को भी संस्कृति और अस्मिता से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। नए वार्षिक सत्र की शुरुवात के साथ ही यूपी में RSS के 6 प्रांतों की योजना बैठकों और स्वयं सेवकों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं और शिविरों का आयोजन शुरू हो जाता है।
चित्रकूट में 9 से 13 जुलाई तक होनी है प्रांत प्रचारकों की बैठक
संघ ने प्रांत प्रचारकों की एक बैठक चित्रकूट में 9 जुलाई से 13 जुलाई तक बुलाई है। इस बैठक में संघ के कई राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा देश भर के सीनियर प्रचारक वर्चुअली इससे जुड़ेंगे। बैठक में विधानसभा चुनावों के साथ-साथ कोरोना की स्थिति और अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। इससे पहले संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले भी UP का दौरा कर चुके हैं। वह यहां एक जून को ही लखनऊ का चार दिवसीय दौरा करके लौटे हैं। उनके लौटने के बाद दिल्ली में संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में एक अहम बैठक भी हुई थी जिसमें आगामी कार्यक्रमों का खाका खींचा गया था।
UP में इन तीन पॉइंट्स पर चलाया जाना है बड़ा अभियान
1. मोदी और योगी की छवि को पुख्ता किया जाएगा
इस अभियान को बड़े स्तर पर शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य यही होगा कि जनता को समझाया जाए कि मोदी और योगी की वजह से ही आप सेफ हैं। जनता के बीच सबसे पहले संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता जाएंगे। इसके बाद विधायक और सांसद जाएंगे और जनता को समझाएंगे कि यदि देश में मोदी और UP में योगी न होते तो हालात और बुरे होते।
2. राष्ट्रवाद की भावना को उभारा जाएगा
संघ और भाजपा कार्यकर्ता जनता को मोदी के नेतृत्व में कोरोनाकाल में मिली सफलता के बारे में बताएंगे। आत्मनिर्भर भारत नीति के तहत देश में कैसे कम समय मे कोरोना की दो वैक्सीन बनाई गई, DRDO ने कोरोना की दवा खोज ली, भारत ने अपने दम पर कोरोना टेस्टिंग किट बना ली, पूर्ण लॉकडाउन न करके कैसे गरीबों का ध्यान रखा गया और साथ ही अर्थव्यवस्था को कैसे बचाया गया… जनता को ये संदेश दिए जाएंगे। इसके अलावा केस बढ़ने पर सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ाई, कम समय में हॉस्पिटल खोले गए।
3. विपक्ष के उकसावे में न आएं, बयानबाजी से दूर रहें भाजपा नेता
नेता जानते हैं कि कोरोनाकाल मे अपनों को खो चुके लोग काफी गुस्से में हैं। ऐसे में जो भी नेता जनता के बीच जाएगा, वह सिर्फ उनसे संवेदना जताएगा, सरकार की बातों को उनके सामने रखेगा, यदि जनता कोई आरोप या कुछ उल्टा सीधा बोले तो उस पर पलटवार न करें। इसके साथ ही नेता बयानबाजी से दूर रहें। ऐसा कोई बयान न दें, जिससे सरकार की छवि खराब हो। साथ ही विपक्ष के उकसावे में न आएं।
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