21/04/2021

अवध सूत्र

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कोरोना काल: उ०प्र० के मुख्यमंत्री के निर्देशों को हवा में उड़ाते अधिकारी

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कोरोना काल: उ०प्र० के मुख्यमंत्री के निर्देशों को हवा में उड़ाते अधिकारी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के निर्देशों को हवा में उड़ाते अधिकारी पत्रकार मोहम्मद सिराज की कलम से कोरोना के इलाज के विषय में मुख्यमंत्री के निर्देशों पर अधिकारी कितना झूठ बोल रहे हैं इसका पता तब चलता है, जब आपके यहाँ कोरोना मरीज हो और आपका पाला सरकारी अस्पताल से पड़ जाये ! तब पता चलता है कि उ०प्र०के मुख्यमंत्री के निर्देशों को अधिकारियों द्वारा कैसे हवा में उड़ाया जा रहा है और अधिकारियों के झूठे दावों की पोल खुलती है।

इत्तेफाक़ ऐसा हुआ कि मेरा पाला श्मशान घाट से लेकर कब्रिस्तान, सरकारी अस्पताल ,प्राइवेट नर्सिंग होम तक पड़ा ! पहली कहानी श्मशान घाट की मेरे एक रिश्तेदार का देहान्त हो गया ! रिश्तेदार के मृत शरीर को लेकर लोग श्माशान घाट पहुँचे ! पहली बात तो वहाँ शव का दाह संस्कार करने के लिये जगह बहुत मुश्किल से मिली,जगह मिल गई तो दाह, संस्कार करने के लिये लकड़ी गायब, ध्यान रहे इन सब चीजों का प्रबंध नगर निगम,लखनऊ के जिम्मे है ! किसी तरह से दाह संस्कार किया गया ! बाद में जब दैनिक समाचारपत्रों में सोशल मीडिया मे खबर चली तो लखनऊ प्रशासन की नींद खुली,और किसी तरह से श्मशान घाट में लकड़ी का प्रबन्ध नगर निगम के अधिकारियों ने करवाया वो भी जल्द ही समाप्त हो गईं।

अब हाल कब्रिस्तान का कब्रिस्तान मे इतनी लाशें आ रही हैं कि कब्र खोदने वाले ने हाँथ खड़े कर दिये ! कब्रिस्तान के प्रबन्धक नगर निगम से गुहार लगाते रहे पर उनकी किसी अधिकारी ने नहीं सुनी ! अब हाल सुनिये सरकारी अस्पताल और नर्सिंग होम का ! एक युवक को साँस लेने में काफी दिक्कत महसूस हो रही थी,उस युवक को लेकर उसके सम्बन्धी एक सरकारी अस्पताल पहुँचे ! वहाँ ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध नहीं था। कोरोना जाँच के नाम पर मरीज को तत्काल उपचार देने में सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने असमर्थता जताई।

मरीज की हालत बिगड़ते देख कर मरीज के तीमारदार प्राइवेट एम्बुलेन्स से प्राइवेट नर्सिंग होम भागे प्राइवेट एम्बुलेन्स से इसलिये कि सरकारी एम्बुलेन्स मे ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था नहीं थी ! मरीज को लेकर उसके तीमारदार कम से कम 6 प्राइवेट नर्सिंग होम घूमे परन्तु हर नर्सिंग होम में ऑक्सीजन सिलेंडर की दिक्कत थी !कोरोना जाँच की दिक्कत वो अलग से ! किसी तरह से एक नर्सिंग होम वाले इस शर्त पर मरीज को भर्ती करने को तैय्यार हुये कि ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था मरीज के तीमारदारों को करनी होगी ! मरीज के तीमारदार कहीं से ब्लैक मे 30हज़ार की ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर लाये तब कहीं जा कर मरीज की जान बची।

” alt=”” aria-hidden=”true” />ये पूरी कहानी उ०प्र०के मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ के निर्देश, आदेश का अधिकारी कितना पालन कर रहे हैं ! इसकी पोल खोलते हैं ! सबसे बड़ी कमी इस बात की है कि मुख्यमंत्री सहित उ०प्र० मंत्रिमण्डल के किसी मंत्री को इस बात की चिन्ता नहीं है कि वे देखें कि उनके आदेशों का अधिकारी क्रियान्वयन कर रहे हैं या नहीं केवल टीवी पर प्रचार करने से कुछ नहीं होने वाला मुख्यमंत्री सहित प्रदेश के मंत्रिमण्डल के अन्य मंत्रियों को जमीनी हकीकत से रूबरू होना पड़ेगा।

उ०प्र० की योगी सरकार जनता को सुविधा देने के लिये है न कि असुविधा देने के लिये ! कोरोना काल का दूसरा भयावह चरण उ०प्र० सरकार के अधिकारियों की पोल पट्टी खोल रहा है! स्वयं उ०प्र०सरकार के मंत्री बृजेश पाठक,भाजपा सांसद कौशल किशोर,केन्द्रीय मंत्री वी के सिंह,तथा भाजपा के अन्य विधायक उ०प्र० के अधिकारियों की कार्यशैली से अप्रसन्न हैं।  उ०प्र० के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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