अवध सूत्र पर बड़ी ख़बरे
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Mohammad Siraj
अवध सूत्र पर बड़ी ख़बरे
ड्राइवर बनने के लिए शुरू होंगे 10 तरह के कोर्स
परिवहन विभाग ने 10 कोर्सों के संचालन को मंजूरी दी
52 जिलों में एक साल के भीतर खुलेंगे ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर
पहाड़ों पर ड्राइविंग के साथ इमरजेंसी युद्धाभ्यास भी कराया जाएगा
ड्राइविंग कोर्सों की फीस 500 रुपये से 10 हजार के बीच रखी गई
ट्रेनिंग सेंटर से जारी प्रमाण पत्र पर डीएल बनवाते वक्त मिलेगी छूट
लखनऊ। ड्राइवर बनने के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं। परिवहन निगम ड्राइविंग समेत 10 तरह के कोर्स शुरू करने जा रहा है जिसकी मंजूरी राज्य परिवहन प्राधिकरण ने दे दी है। विभाग ने कोर्स के समय और फीस तय कर दिए हैं। ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर एक साल के भीतर 52 जिलों में बनकर तैयार होगा।हर कोर्स के लिए दिन और घंटे के हिसाब से पूरा कराया जाएगा। कार की ड्राइविंग सीखने से लेकर पहाड़ों और इमरजेंसी ड्राइविंग के लिए युद्धाभ्यास भी कराया जाएगा। ऐसे दस तरह के कोर्स के लिए न्यूनतम 500 रुपये से दस हजार रुपये तक फीस तय की गई। इस सेंटर की खास बात यह होगी कि यहां से ट्रेनिंग करने वालों को आरटीओ में डीएल बनवाते समय टेस्ट नहीं देना होगा।
यह हैं दस कोर्स, इतनी देनी होगी फीस
-चार हफ्ते में कार सीखना-6,000
-छह हफ्ते में ट्रक चलाना-10,000
-दो दिन में गाड़ियों की मरम्मत करना-1,000
-छह घंटे में तनाव मुक्त गाड़ी चलाना-500
-दो दिन में गाड़ी चलाने का तरीका सीखना-1,000
-चार घंटे में आग से बचने का तरीका सीखना-500
-छह दिन में ड्राइवरों को प्रशिक्षण देना सींखना-10,000
-चार घंटे में पहाड़ों और इमरजेंसी ड्राइविंग सींखना-1,000
-सड़क दुर्घटना से बचने के तरीके सीखना-500
विभाग का पक्ष
सड़क दुर्घटनाओं में कमी के मकसद से परिवहन विभाग निजी कंपनियों से मिलकर ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर खोलने जा रहा है। जिसका लेटर ऑफ इंटेंट जारी करके निजी ऑपरेटरों को आमंत्रित किया जा रहा है। विभगीय बेवसाइट पर सभी शर्ते अपलोड हैं।
ममता शर्मा, आरटीओ
पीजीआई में आरक्षित पद खाली रहने पर डॉक्टरों ने जताई आपत्ति
सहायक प्रोफेसर के आरक्षित 65 पदों में से सिर्फ 22 पर ही चयन हुआ -अनुसूचित
सहायक प्रोफेसर के आरक्षित 65 पदों में से सिर्फ 22 पर ही चयन हुआ
अनुसूचित जाति के 31 तथा पिछड़ा वर्ग के 12 पद फिर खाली रह गए
आरक्षित वर्ग के डॉक्टरों ने डायरेक्टर को पत्र लिखकर जताई आपत्ति
आरोप लगाया कि दलितों और पिछड़ा वर्ग को नहीं मिल रहा प्रतिनिधित्व
लखनऊ। पीजीआई में विज्ञापन के तहत निकाले गए सभी आरक्षित पदों पर भर्ती न किये जाने पर एक गुट के डॉक्टरों में भारी आक्रोश है। आवेदन करने वाले अधिकांश अभ्यर्थी पीजीआई से पास एवं प्रशिक्षित हैं। फिर भी संस्थान प्रशासन ने आधे से ज्यादा पद यह कहकर खाली छोड़ दिये कि प्रशिक्षित डॉक्टर योग्य नहीं। डॉक्टरों ने आरोप लगाया कि दलितों और पिछड़ा वर्ग को प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।
आरक्षित पद खाली छोड़ने से नाराज
पीजीआई के डॉ. लक्ष्मी कान्त भारती, डॉ. संदीप साहू, डॉ. आरएन राव, डॉ. बसंत कुमार व डॉ. रजनीकांत यादव ने संस्थान के निदेशक डॉ. आरके धीमन को पत्र लिखकर आपत्ति जतायी है। निदेशक से मांग की है कि जल्द नया विज्ञापन निकालकर आरक्षित वर्ग के खाली पद पर भर्ती की जाए।
65 पद में से सिर्फ 22 को लिया
पीजीआई प्रशासन ने वर्ष 2022 में बैकलॉग के तहत सहायक प्रोफ़ेसर के 65 पद की भर्ती का विज्ञापन निकाला था। इसमें अनुसूचित जाति के 42 और पिछड़ा वर्ग के लिए 23 पद आरक्षित थे। इन पदों पर चयन प्रक्रिया 14 नवम्बर 2022 से 12 जनवरी 2023 तक चली। जिसमें अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के 11-11 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया। जबकि 31 अनुसूचित जाति और 12 पिछड़ा वर्ग के पदों को यह कहकर नहीं नियुक्ति नहीं दी कि यह अभ्यर्थी उपयुक्त व योग्य नहीं। आरक्षित भर्ती पर आरक्षण की अनदेखी किये जाने पर अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति चिकित्सा शिक्षा एसोसिएशन के सचिव डॉ. हरीराम ने भी पीजीआई निदेशक को पत्र भेजकर अरक्षित वर्ग के खाली छोड़े गए पदों को तुरंत भरने की मांग की है।
मदरसों के छात्र-छात्राएं कैसे भरें परीक्षा फार्म, कभी पोर्टल खराब तो कभी परीक्षा शुल्क जमा नहीं हो पा रहा
अब 10 फरवरी तक आनलाइन परीक्षा शुल्क जमा होगा
उत्त्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद ने आनलाईन परीक्षा फार्म व परीक्षा शुल्क जमा करने की अंतिम तारीख फिर बढ़ायी
लखनऊ- उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के छात्र-छात्राएं इन दिनों परेशान हैं। वार्षिक परीक्षा के आनलाइन भरे जा रहे हैं और परीक्षा शुल्क भी आनलाइन ही जमा किया जा रहा है। मगर कभी मदरसा शिक्षा परिषद का पोर्टल काम नहीं कर रहा तो कभी आनलाइन परीक्षा शुल्क जमा करने के लिए कनेक्टिविटी में दिक्कत पेश आ रही है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद को लगातार दूसरी बार आनलाइन परीक्षा फार्म जमा करने और परीक्षा शुल्क जमा करने की समय सीमा बढ़ानी पड़ी है।इस बार की मदरसा परीक्षा के लिए अब तक कुल 96 हजार 292 आवेदन हो चुके हैं। पिछले साल सवा लाख परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था। अब 10 फरवरी तक आनलाइन परीक्षा शुल्क जमा होगा, पहले यह चार फरवरी की तारीख तय थी। मदरसा पोर्टल पर आनलाइन आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 15 फरवरी कर दी गई है।यह जानकारी उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा.इफ्तिखार जावेद ने दी है। उन्होंने बताया कि इस बार मदरसा शिक्षा परिषद की वार्षिक परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों की गुणवत्ता और बेहतर की जाएगी।नकल रोकने के लिए मदरसों के परीक्षा केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगेंगे, जिनका नियंत्रण लखनऊ उ.प्र.मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार का कार्यालय होगा। चेयरमैन ने कहा कि वार्षिक परीक्षाओं की शुचिता पूरी तरह बनाए रखी जाएगी। इस बार मदरसों की वार्षिक परीक्षाएं ईद के बाद यानि मई के महीने में हो पाएंगी। यह परीक्षाएं फरवरी मार्च में अन्य बोर्ड के साथ हो जानी चाहिएं, मगर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अगस्त-सितम्बर में वार्षिक परीक्षा के फार्म भरवा ही नहीं पाती।
ग्राम सचिवालय के कम्प्यूटर से ही होंगे सारे भुगतान
दूसरे कम्प्यूटरों से हो रहे स्वच्छ भारत मिशन, परफॉमेंस ग्रांट आदि का भुगतान
पंचायत सचिवालय से हो रहा केवल राज्य व केन्द्रीय वित्त आयोग का भुगतान
लखनऊ। प्रधान और सचिवों को अब पंचायत सचिवालय में लगे आधिकारिक कम्प्यूटर से ही भुगतान करना होगा। किसी अन्य कम्प्यूटर के जरिए भुगतान नहीं कर सकते हैं। अन्य कम्प्यूटर से भुगतान करने पर सचिव को कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इससे भुगतान के मामले में पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। इस बाबत निर्देश भी जारी किए गए हैं।ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए मुख्य रूप से राज्य वित्त आयोग और केन्द्रीय वित्त आयोग से पैसा मिलता है। साथ ही अन्य योजनाओं से भी धनराशि मिलती है। काम कराने के बाद ग्राम पंचायतों को फर्मों व लोगों को पंचायती राज के पोर्टल (गेटवे) के जरिए ही भुगतान करना होता है। नियम है कि भुगतान पंचायत सचिवालयों में स्थापित आधिकारिक कम्प्यूटर से ही करना होगा। लेकिन प्रधान और सचिव ऐसा नहीं कर रहे हैं। वित्त आयोग को छोड़कर परफॉर्मेंस ग्रांट ,स्वच्छ भारत मिशन, राजीव गांधी स्वराज अभियान, अन्त्येष्टि स्थल आदि योजनाओं का भुगतान इतर कम्प्यूटर से किया जा रहा है।डीपीआरओ शाश्वत आनंद सिंह ने बताया कि अब ग्राम सचिवालय में लगे कम्पयूटर से ही एक-एक पैसे भुगतान करना होगा।
भुगतान के लिए लगता है सचिव व प्रधान का डोंगल
पंचायत में विकास कार्यों से लेकर किसी भी योजना का भुगतान प्रधान व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से होता है। इसके लिए प्रधान और सचिवों के डोंगल बने हैं। भुगतान के लिए पहले सचिव का डोंगल लगता है। फिर प्रधान का डोंगल लगता है। इस तरह से भुगतान होता है।
फर्जी कंडक्टर का आईकार्ड बनाने वाले दो लिपिक निलंबित
शेखर सिंह की जगह सुग्रीव यादव सीतापुर डिपो में कर रहे थे बस कंडक्टर की नौकरी
सैलरी प्रयागराज के शेखर सिंह के खाते में जा रही थी
लखनऊ। परिवहन निगम के सीतापुर डिपो में फर्जी बस कंडक्टर भर्ती मामले की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए खुलासे हो रहे है। जांच में सीतापुर डिपो के दो बाबुओं की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जिसमें एक लिपिक ने फर्जी बस कंडक्टर सुग्रीव यादव के नाम से फर्जी आईकार्ड जारी किया था तो दूसरा स्थापना अनुभाग के लिपिक ने फर्जी बस कंडक्टर की एंट्री करके अपनी मंजूरी दी थी। इन दोनों नियमित कर्मियों को हरदोई क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक ने निलंबित कर दिया है।लिपिक ने असली बस कंडक्टर शेखर सिंह की पहचान किए बगैर फर्जी बस कंडक्टर को आईकार्ड थमा दिया। अभी तक जांच में सीतापुर डिपो के कर्मियों में उदय कुमार और शशिकांत की मिली भगत के साबूत मिले है। इस मामले में अभी और भी बाबू जांच अधिकारी के रडार पर है। इनमें एक और बाबू गौरव कुमार से जवाब तलब किया गया है। हलांकि इस पूरे मामले की जांच सीतापुर डिपो के एआरएम के बजाय हरदोई क्षेत्र के एआरएम वित्त को सौंपी गई है। ताकि सीतापुर डिपो में चल रहे जांच प्रभावित न हो सके।
असली के बजाय फर्जी बस कंडक्टर से काम लेने के मामले की जांच चल रही है। अभी तक दो लिपिकों की भूमिका सामने आई है। जिन्हें तत्काल निलंबित करके परिवहन निगम मुख्यालय को कार्यालय आदेश भेज दिया गया है।
सट्टेबाजी-कर्ज वाले 232 एप बंद
भारत सरकार की चीनी एप के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
94 एप ब्लॉक किए गए जो अनाधिकृत ऋण सेवा में शामिल थे
138 एप धन शोधन, सट्टेबाजी और जुए से जुड़े थे
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद 232 मोबाइल एप को प्रतिबंधित कर दिया है। इसमें 138 ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले और 94 अनाधिकृत रूप से ऋण देने वाले एप शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय से इन एप को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
संप्रभुता को नुकसान
गृह मंत्रालय के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मिले इनपुट के बाद इन एप की जांच शुरू की गई। पता चला है कि इन एप पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेट मौजूद हैं। यह आईटी एक्ट की धारा-69 के तहत अपराध है।
लाखों जीतने का लालच देते हैं
जांच में पता चला है कि ये एप लोगों को लोन लेने और सट्टा खेलकर लाखों जीतने का लालच देते हैं। बाद में कर्ज न चुका पाने पर उन्हें भद्दे मैसेज भेजते हैं। उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर वायरल करने की धमकी देते हैं। इससे परेशान होकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी गृह मंत्रालय से एप पर कार्रवाई करने को कहा था।
पहले लोन बाद में प्रताड़ना
मंत्रालय ने बताया कि कुछ लोगों ने इन एप के खिलाफ जबरन वसूली और उत्पीड़न की शिकायतें भी की थीं। शिकायत करने वालों ने इन ऐप से छोटी रकम लोन ली थी, बाद में उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को बनाते हैं निशाना* जांच में मिली जानकारी के मुताबिक इन एप के जरिए आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को लोन लेने का लालच दिया जाता है। बाद में ये एप कर्जदारों पर सालाना 3000 तक ब्याज बढ़ा देते थे।
गृह मंत्रालय को छह महीने पहले मिली थी जानकारी
गृह मंत्रालय ने छह महीने पहले लोन देने वाले 28 चीनी एप का विश्लेषण शुरू किया। जिसमें पता चला कि 94 एप ई-स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। कई एप थर्ड पार्टी लिंक के जरिए काम कर रहे हैं। इन एप में चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद इन पर प्रतिबंध की प्रक्रिया शुरू हुई।
लेखपाल के रिश्वत मांगने का ऑडियो वायरल
सोरांव। तहसील में तैनात एक लेखपाल ने भूमि पैमाइश करने को लेकर भुक्तभोगी से रिश्वत की मांग की। लेखपाल का रिश्वत मांगने को लेकर ऑडियो वायरल हो रहा है। सोरांव तहसील के गधिना गांव निवासी रूद्र प्रताप ने लेखपाल से भूमि पैमाइश करने की बात कही है। आरोप है कि लेखपाल ने भूम पैमाइश करने पर रिश्वत की मांग की। रूद्र प्रताप ने लेखपाल के द्वारा रिश्वत मांगने का मोबाइल पर ऑडियो टेप कर लिया।
नकल कराने के विरोध पर मारपीट
सैदाबाद। उतराव थाना क्षेत्र के शहबाजपुर स्थित शिव श्याम महाविद्यालय में शनिवार को उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय की बीएससी तृतीय वर्ष की वनस्पति विज्ञान की परीक्षा चल रही थी। आरोप है की इस दौरान आधा दर्जन से ऊपर कुछ दबंग किस्म के लोग नकल कराने को लेकर परीक्षा केंद्र पर जबरन घुस गए। परीक्षा केंद्र पर मौजूद शिक्षक व कर्मचारियों ने जब इसका विरोध किया तो उक्त दबंगों ने जमकर मारपीट करने के साथ वहां पर मौजूद शिक्षकों से अभद्रता की। जानकारी होने पर महाविद्यालय के प्रबंधक अखिलेश पांडेय भी मौके पर पहुंच गए। उक्त दबंगो ने उनसे भी मारपीट शुरू कर दिया। मारपीट के दौरान आरोप है की उक्त दबंगों ने प्रबंधक की जेब से हजारों रुपए वह हाथ में पहने सोने की ब्रेसलेट को छीन लिए। पुलिस के पहुंचने पर उक्त दबंग भाग निकले। इस मामले में महाविद्यालय के प्रबंधक ने थाना उतराव में आधा दर्जन से ऊपर लोगों के खिलाफ नामजद प्रार्थना पत्र देते हुए उक्त दबंगों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
साक्षरता कार्यक्रम में नौ जिलों में तेजी, बाकी पिछड़े
प्रयागराज। 15 साल से अधिक आयु के निरक्षरों को साक्षर बनाने की मुहिम में प्रयागराज समेत प्रदेश के मात्र नौ जिलों ने रुचि दिखाई है।भारत सरकार ने एक अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2027 तक नव भारत साक्षरता कार्यक्रम नाम से नवीन योजना का निर्णय लिया। इसके तहत सभी जिलों में 15 साल से अधिक आयुवर्ग के निरक्षरों (विशेषकर महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों, दिव्यांगजनों आदि) को चिह्नित करने के बाद साक्षर किया जाना है।शासन की ओर से 22 दिसंबर से 31 जनवरी तक पांच बार बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर एप के माध्यम से सर्वे कराने का आदेश दिया गया। लेकिन अब तक मात्र नौ जिलों मुरादाबाद, सीतापुर, प्रयागराज, रामपुर, उन्नाव, फर्रुखाबाद, आजमगढ़, फैजाबाद व बुलंदशहर में संतोषजनक काम हो सका है। तीस जिलों में सर्वे का काम तो शुरू हो गया है लेकिन प्रगति संतोषजनक नहीं है। जबकि 36 जिलों में सर्वे का काम भी शुरू नहीं हो सका है। उप निदेशक साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषाएं शंभूनाथ सिंह ने सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक और बीएसए को पत्र लिखकर चेतावनी दी है। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का कहना है कि प्रयागराज में सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। जल्द ही सर्वे पूरा करते हुए साक्षरता अभियान को शुरू करना है।
प्रयागराज में अब तक 2790 निरक्षर चिह्नित
जिले में 15 से अधिक आयु के अब तक 2790 निरक्षर चिह्नित किए जा चुके हैं। मुरादाबाद में सर्वाधिक 7131 और सीतापुर में 5589 निरक्षर चिह्नित किए जा चुके हैं। रामपुर 1902, उन्नाव 1410, फर्रुखाबाद 1204, आजमगढ़ 1188, फैजाबाद 1093 और बुलंदशहर में 943 निरक्षर चिह्नित किए गए हैं।
आज विदा होंगे अध्यक्ष, अधर में शिक्षक भर्ती
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा और सदस्य रजनी त्रिपाठी का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो जाएगा। अध्यक्ष व सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद आयोग में छह सदस्यों के सापेक्ष मात्र दो सदस्य बचेंगे जबकि कोरम पूरा होने के लिए अध्यक्ष समेत कम से कम तीन सदस्यों का होना अनिवार्य है। ऐसे में प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती भी अधर में फंसती नजर आ रही है क्योंकि शासन ने अब तक अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं की है।सोमवार को यदि अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल बढ़ता है तो भर्ती शुरू हो सकेगी क्योंकि 1017 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रश्नपत्र तैयार हो चुका है। अन्यथा की स्थिति में अभ्यर्थियों को इंतजार करना पड़ेगा। सोमवार को अध्यक्ष व एक सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रो. राजनारायण और प्रो. विनोद कुमार बचेंगे। इनका कार्यकाल 27 दिसंबर 2026 को पूरा होगा।
मुकदमों की पैरवी पर भी पड़ेगा असर
अध्यक्ष, सदस्यों के चार पद खाली होने के बाद हाईकोर्ट में लंबित असिस्टेंट प्रोफेसर समेत अन्य विवादों की पैरवी पर भी असर पड़ेगा। हाल ही में पांच विषयों के संशोधित परिणाम में सफल 17 अभ्यर्थियों का मामला भी कोर्ट के विचाराधीन है। पैरवी न होने से अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। सचिव का काम भी उपसचिव डॉ. शिवजी मालवीय प्रभारी के तौर पर देख रहे हैं। अध्यक्ष के जाने पर निर्णय लेने में विलंब होगा। हर छोटे-बड़े काम के लिए शासन की अनुमति का इंतजार करना होगा।
किसी केंद्र का स्ट्रांग रूम तो कहीं दरवाजा बदलने का आदेश
प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 16 फरवरी से शुरू हो रही हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए निर्धारित केंद्रों को लेकर शासन ने सख्ती की है। महानिदेशक विजय किरन आनंद और माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव के निर्देश पर जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने स्कूलों का निरीक्षण किया। डीआईओएस ने जिले के दस केंद्रों का निरीक्षण किया। श्रीनाथ तिवारी इंटर कॉलेज खानपुर बाजार मेजा में स्ट्रांग रूम के कैमरे का वॉयस रिकॉर्डर खराब था और स्ट्रांग रूम का दरवाजा भी कमजोर था। जिस पर वॉयस रिकॉर्डर और दरवाजा दुरुस्त करवाने के निर्देश दिए। बिहारीलाल एकेडमी इंटर कॉलेज गंगेपुर मेजा में जिस कमरे को स्ट्रांग रूम बनाया गया था वह अपटूडेट नहीं था। डीआईओएस ने स्ट्रांग रूम बदलने के निर्देश दिए।
एकेटीयू कुलपति के गले की फांस बन गया परीक्षा एजेंसी बदलना
प्रारम्भिक जांच में प्रो. पीके मिश्र पर तीन आरोप तय, न्यायाधीश को नहीं सौंपे दस्तावेज
लखनऊ। सनतकदा परीक्षा एजेंसी बदलना और परीक्षा नियंत्रक, आईईटी निदेशक को हटाना एकेटीयू के कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा के गले की फांस बन गया। पूर्व परीक्षा नियंत्रक की शिकायत पर हुई प्राथमिक जांच के आधार पर प्रो. पीके मिश्रा के खिलाफ कार्रवाई की गई है। आरोप लगाया गया कि परीक्षा नियंत्रक, रजिस्ट्रार तथा वित्त अधिकारी के परामर्श बगैर दूसरी परीक्षा एजेंसी नामित कर दी गई।दरअसल विवाद की शुरुआत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह से पहले से शुरू हुई। प्री परीक्षा व पोस्ट परीक्षा का काम देख आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन एजेंसी देख रही थी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन की परीक्षा में हुई गड़बड़ी में इस एजेंसी का नाम आने के बाद विश्वविद्यालय ने इससे काम लेना बंद कर दिया। उधर, आरएमएस का जनवरी 2022 से कोई भुगतान नहीं किया गया।लिहाजा 17 नवंबर 2022 को परीक्षा एजेंसी ने विश्वविद्यालय को लिखित रूप से सूचना दी कि अब वह आगे काम नहीं कर पाएगी। इस बीच कुलपति ने विशेषाधिकार के तहत आईएसएस प्राइवेट लिमि. को परीक्षा का काम सौंप दिया। विश्वविद्यालय में मची खींचतान के बीच 22 दिसंबर 2022 को परीक्षा नियंत्रक डॉ. अनुराग त्रिपाठी को हटाकर प्रो. एचके पालीवाल को जिम्मेदारी सौंप दी गई। उधर, आईईटी के निदेशक प्रो. विनीत कंसल को भी हटा दिया गया।
अनुराग त्रिपाठी की शिकायत के बाद राजभवन ने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसएन अग्निहोत्री की अध्यक्षता में 26 जनवरी को जांच समिति गठित कर दी। कुलपति और रजिस्ट्रार को आदेश दिया गया कि वह जांच में सहयोग करेंगे। आरोप है कि कुलपति ने जांच में सहयोग नहीं किया और न ही जरूरी रिकार्ड मुहैया कराए। उल्टा एक फरवरी को जांच अधिकारी को बदलने के लिए कुलाधिपति को पत्र लिख दिया।
हमसे कुछ पूछा ही नहीं गया, हमें आरोप पत्र दिया ही नहीं गया और हटाने का निर्णय ले लिया। हमने कोई गलती नहीं की है, छात्र हित में ही निर्णय लिए।प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र
कार्यपरिषद कोरम अधूरा
प्राथमिक जांच में पाया गया कि विश्वविद्यालय की 10 जनवरी को हुई कार्य परिषद की बैठक में यह मुद्दे पास कराने का दावा किया गया, जबकि बैठक का कोरम ही नहीं पूरा था। कार्यपरिषद की बैठक में कम से कम 9 सदस्य होने चाहिए थे लेकिन पांच ही सदस्य थे। इस बैठक में अनुराग त्रिपाठी और विनीत कंसल को हटाने का प्रस्ताव भी रखा गया था। यह भी आरोप है कि कार्यपरिषद के आडियो, वीडियो जांच समिति को उपलब्ध नहीं कराए गए।
प्रो. आलोक राय ने कार्यभार ग्रहण किया
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने रविवार सुबह एकेटीयू का कार्यभार ग्रहण कर लिया। राजभवन ने अगले आदेश तक प्रो. आलोक राय को एकेटीयू का कुलपति नामित किया था। जिसके बाद रविवार को उन्होंने अपनी नई जिम्मेदारी संभाल ली।
लशुआट्स विश्वविद्यालय : वर्षों से चल रहा था अनियमितता का खेल, प्रशासनिक कमेटी ने भी जांच में पाई थीं गड़बड़ियां
प्रयागराज शुआट्स विश्वविद्यालय में 69 पदों पर अवैध तरीके से नियुक्ति का मामला सामने आने के बाद रोजाना नए-नए खुलासे हो रहे हैं। यह बात भी सामने आई है कि अनियमितता का खेल वर्षों से चल रहा था। पूर्व में शिकायताें पर गठित प्रशासनिक कमेटी ने भी जांच के दौरान संस्थान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पाई थीं। कमेटी की रिपोर्ट देखने के बाद ही तत्कालीन कमिश्नर ने शासकीय अनुदान के भुगतान से हाथ खड़े कर दिए थे।तीन सदस्यीय यह कमेटी तत्कालीन कमिश्नर आशीष कुमार गोयल की ओर से 2017 में गठित की गई थी। कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में प्रमुख रूप से बताया था कि 2014 से 2017 तक संस्थान ने वेतन भत्ते के मद में शासन से लगभग 63 करोड़ प्राप्त किए। यह भी बताया कि शुआट्स व एक्सिस बैंक के अधिकारियों ने संस्थान के खातों से 22.29 करोड़ रुपये का गबन किया।इसमें बैंक के चार व शुआट्स के पांच अफसरों को जेल भेजा गया, जिसमें शुआट्स के वित्त नियंत्रक व रजिस्ट्रार भी शामिल हैं। कमेटी ने रिपोर्ट में बताया था कि इन परिस्थितियों में शासन की ओर से दिए गए अनुदान के दुरुपयोग की प्रबल संभावना है। इसी आधार पर तत्कालीन कमिश्नर ने तब शासकीय अनुदान के भुगतान पर स्वीकृति देने से इन्कार कर दिया था।
30 दिन की अवधि, 10 दिन के लिए निकाला विज्ञापन, वह भी गुमनाम तरीके से
निदेशक, स्थानीय लेखा परीक्षा विभाग की जांच में मिले जिन तथ्यों के आधार पर शुआट्स में नियुक्तियों में गड़बड़ियों का मामला सामने आया, वही तथ्य कमोबेश छह साल पूर्व गठित प्रशासनिक कमेटी की जांच में भी सामने आए थे। कमेटी ने बताया था कि निर्धारित भर्ती प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। प्रक्रिया के तहत प्रोफेसर, सहायक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्र के साथ ही विवि की वेबसाइट पर भी विज्ञापन दिया जाना था।इसकी अवधि कम से कम 30 दिन होनी चाहिए। जांच में पाया गया कि राष्ट्रीय समाचार पत्र में विज्ञापन दिया ही नहीं गया। गुमनाम तरीके से दिया भी गया तो 10 या 20 दिन के लिए इसे जारी किया गया। नतीजा यह हुआ कि 20 पदों के लिए केवल एक-एक आवेदन आए। शेष 49 पदों के लिए भी बेहद कम आवेदन किए गए। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि विज्ञापन की जानकारी उन्हीं लोगों को हो पाई, जिन्हें संस्था नियुक्त करना चाहती थी।
तीन महीने पत्राचार के बाद दिए दस्तावेज
जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से इंगित किया गया था कि संस्थान की ओर से जांच प्रक्रिया में सहयोग नहीं किया गया। साथ ही तथ्यों को छिपाने की भी कोशिश की गई। यह भी बताया कि जांच के संबंध में जो भी दस्तावेज प्राप्त हुए, वह तीन महीने तक पत्राचार और कई बार मौखिक रूप से कहने के बाद उपलब्ध कराए गए।
वीसी समेत फरार आरोपियों का चौथे दिन भी नहीं मिला सुराग
सरकारी अनुदान संबंधी वेतन वाले पदों पर अवैध नियुक्ति मामले में फरार चल रहे शुआट्स के वीसी आरबी लाल समेत नौ आरोपियों का चौथे दिन भी सुराग नहीं मिला। नैनी पुलिस के साथ ही एसटीएफ भी तलाश में लगी हुई है। सभी आरोपियों के मोबाइल नंबर भी बंद हैं और वह अपने घरों पर भी नहीं हैं। जानकाराें का कहना है कि गिरफ्तारी न होने पर पुलिस उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दे सकती है।
नौकरी छूटने से परेशान व्यक्ति ने फांसी लगाई
लखनऊ। कृष्णानगर में आशीष मिश्रा (40) ने फांसी लगाकर जान दे दी। वह नौकरी छूटने के बाद से परेशान चल रहा था। वहीं त्रिवेणीनगर में एक युवती ने फांसी लगा ली।पुलिस के मुताबिक कृष्णानगर स्थित मानसनगर निवासी आशीष मिश्रा एक निजी कंपनी में चालक के पद पर काम करता था। वह बीते कुछ समय से नौकरी छूट जाने से परेशान चल रहे थे। पत्नी दीपा के मुताबिक शनिवार शाम को पहले मंजिल पर थी। नीचे आई तो पंखे के कुंडे से डोरी के सहारे आशीष लटके हुए थे।आनन-फानन में फंदे से उताकर अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। परिवार में एक बेटी सुहानी और एक बेटा हर्ष है।वहीं, त्रिवेणीनगर में दीक्षा चौहान (25) ने पूजा वाले कमरे में पंखे के कुडे से शॉल के फंदे से फांसी लगा ली। परिजनों के मुताबिक दीक्षा की शादी तय हो गई थी। वह निजी कंपनी में नौकरी करती थी। शनिवार शाम को ऑफिस से घर आई थी। सुबह दीक्षा का शव कमरे में लटका था।
उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल 6 फरवरी को पूरा, अधर में 1017 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती
प्रयागराज।उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा और सदस्य रजनी त्रिपाठी का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो जाएगा। अध्यक्ष व सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद आयोग में छह सदस्यों के सापेक्ष मात्र दो सदस्य बचेंगे जबकि कोरम पूरा होने के लिए अध्यक्ष समेत कम से कम तीन सदस्यों का होना अनिवार्य है। ऐसे में प्रदेश के सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में विज्ञापन संख्या 51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती भी अधर में फंसती नजर आ रही है क्योंकि शासन ने अब तक अध्यक्ष या सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं की है।सोमवार को यदि अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल बढ़ता है तो भर्ती शुरू हो सकेगी क्योंकि 1017 असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रश्नपत्र तैयार हो चुका है। अन्यथा की स्थिति में अभ्यर्थियों को इंतजार करना पड़ेगा। सोमवार को अध्यक्ष व एक सदस्य का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रो. राजनारायण और प्रो. विनोद कुमार बचेंगे। इनका कार्यकाल 27 दिसंबर 2026 को पूरा होगा।
मुकदमों की पैरवी पर भी पड़ेगा असर
अध्यक्ष और सदस्यों के चार पद खाली होने के बाद हाईकोर्ट में लंबित असिस्टेंट प्रोफेसर समेत अन्य विवादों की पैरवी पर भी असर पड़ेगा। हाल ही में पांच विषयों के संशोधित परिणाम में सफल 17 अभ्यर्थियों का मामला भी कोर्ट के विचाराधीन है। पैरवी न होने से अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। सचिव का काम भी उपसचिव डॉ. शिवजी मालवीय प्रभारी के तौर पर देख रहे हैं। अध्यक्ष के जाने पर निर्णय लेने में विलंब होगा। हर छोटे-बड़े काम के लिए शासन की अनुमति का इंतजार करना होगा।
तय योग्यता बगैर डॉक्टरी की पढ़ाई मान्य नहीं कोर्ट
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसले में कहा कि उचित और निर्धारित योग्यता के बगैर विदेश से एमबीबीएस की डिग्री के आधार पर भारत में इलाज करने की अनुमति दी जा सकती। अदालत ने कहा, जिनके पास भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई)/राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा तय योग्यता नहीं है, उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य में शामिल करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती।जस्टिस पी.के. कौरव ने यूक्रेन से एमबीबीएस करने वाली छात्रा को भारत में इलाज करने की मंजूरी देने के लिए योग्यता प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश देने से इनकार करते हुए यह फैसला दिया। उन्होंने कहा,मौजूदा मामले में न तो विनियमों को चुनौती दी गई है और न एनएमसी द्वारा आठ सितंबर, 2022 के आदेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इसके साथ याचिका खारिज कर दी।
एनएमसी ने यह दलील दी
एनएमसी ने पात्रता प्रमाण पत्र जारी न करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, छात्रा ने गुजरात बोर्ड से 12वीं कक्षा में बायोलॉजी की पढ़ाई नहीं की है। उसने बाद में ओपन स्कूल से इसकी पढ़ाई की। यह सही है कि हाईकोर्ट ने 2018 में नेशनल ओपन स्कूल के 12वीं कक्षा के प्रमाणपत्र को नियमित बोर्ड के समान माना। लेकिन अभी तक इस पर विचार नहीं किया गया कि फैसला कब से लागू होगा।
पैन-आधार 31 मार्च तक नहीं जोड़े तो कर लाभ नहीं
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा है कि 31 मार्च तक स्थायी खाता संख्या (पैन) को आधार से न जोड़ने पर कारोबार एवं कर संबंधी गतिविधियों में लाभ नहीं मिल पाएंगे।कुल 61 करोड़ पैन में से करीब 48 करोड़ अब तक आधार से जोड़े गए हैं। 31 मार्च के बाद आधार से जुड़े नहीं होने पर पैन निष्क्रिय घोषित कर दिए जाएंगे।
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