यूपी सरकार को हाईकोर्ट का कड़ा ऑर्डर- ‘कल तक सभी जिलों में बनाइए सेल, जहां शिकायत कर सके जनता
1 min read
😊 Please Share This News 😊
|
Mohammad Siraj
यूपी सरकार को हाईकोर्ट का कड़ा ऑर्डर- ‘कल तक सभी जिलों में बनाइए सेल, जहां शिकायत कर सके जनता
उन दिव्यांगों के वैक्सीनेशन के लिए आपने क्या इंतजाम कर रखा है, जो शारीरिक अक्षमताओं के कारण टीका लगवाने के लिए वैक्सीन सेंटर तक नहीं आ सकते?’ इलाहाबाद हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से यह सवाल पूछते हुए उससे एक दिन में यह बताने के लिए कहा कि दिव्यांगों के लिए वह क्या बंदोबस्त कर रही है। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और अजित कुमार की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार से 18 से 45 साल के उन व्यक्तियों के टीकाकरण के लिए भी योजना बनाने के लिए कहा है जो कोविन पोर्टल के जरिए वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन करा पाने में असमर्थ हैं। ऐसे लोगों से कोर्ट का आशय गांवों-कस्बों या शहरों में रहने वाले गरीबों-मजदूरों से था जो पढ़े-लिखे नहीं हैं।उल्लेखनीय है कि 18 से 25 आयु के लोगों के लिए कोविन पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य है। दिव्यांगों के लिए कोर्ट ने केंद्र को उस समय निर्देश देना पड़ा जब राज्य सरकार के वकील ने कुछ कर पाने में यह कह कर असमर्थता जता दी कि राज्य सरकार तो केंद्र के निर्देशों का पालन कर रही है और केंद्र के निर्देशों में दिव्यांगों के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं रखा गया है। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक दिन में जवाब देने का निर्देश दिया। अदालत ने यूपी सरकार से हर जिले में जन-शिकायत प्रकोष्ठ बनाने को भी कहा है जहां लोग कोविड प्रबंधन से जुड़ी अपनी शिकायतें सीधे दर्ज करा सकें। यह प्रकोष्ठ कोविड प्रबंधन पर वाइरल होने वाली खबरों की भी प़ड़ताल करेगा। इसमें प्रकोष्ठ में निम्न पदाधिकारी होंगेः अपने आदेश में अदालत ने गांवों में बढ़ते कोविड मामलों के मद्देनजर सरकार से वहां चिकित्सा व्यवस्था की हालत भी जाननी चाही है। कहा है कि छोटे शहरों और गांवों-कस्बों में ढांचा उतना मजबूत नहीं जितना समझा जाता है। हो सकता है कि सरकार ने जीवन रक्षक उपकरणों आदि के बारे में निर्देश दे रखे हों लेकिन कितने उपकरण लगे इस बारे में कुछ खबर ही नहीं। Also Read – अमेरिका ने वादा करके चुप्पी साधी, भारत की मांग के सामने कम पड़ा वैक्सीन इस बीच एक अन्य खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस वाइडी चंद्रचूड़ भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए हैं। इससे पहले उनके स्टाफ का एक कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। सूचना है कि जस्टिस चंद्रचूड़ स्वस्थ हो रहे हैं। न्यायमूर्ति सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के अध्यक्ष हैं। यह उनकी ही मेहनत का नतीजा है जो कोविड-19 के दौरान अदालत में मामलों की आराम से वर्चुअल सुनवाई हो पा रही है। उधर, बुधवार को दिल्ली हाइकोर्ट में एक मामले की सुनवाई में एक कोविड पीड़ित वकील ने अस्पताल के बेड से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भाग लिया। अदालत ने वकील की इस कर्तव्यनिष्ठा की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। मामला जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की एकल जज बेंच में था। वकील थे सुभाष चंद्रन। खास बात यह कि केस भी कोरोना से संबंधित था। एक युवती के पति की मौत सऊदी अरब में कोविड से हो गई थी। मरने वाला हिन्दू था लेकिन अनुवाद की नासमझी के कारण उसे मुस्लिम करार देकर दफना दिया गया था। युवती के पति ने अदालत से मांग कर रखी है पति का शरीर सऊदी अरब से भारत मंगवाया जाए ताकि उचित संस्कारों के साथ उसे अंतिम विदाई दी जा सके।
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें |