नोएडा अथॉरिटी में ट्रांसफर के बाद भी 40 सालों से जमे : नहीं छूट रहा मलाईदार पद का मोह, अंगदी पांव जमाकर बैठ ये बड़े अफसर
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Mohammad Siraj
नोएडा अथॉरिटी में ट्रांसफर के बाद भी 40 सालों से जमे : नहीं छूट रहा मलाईदार पद का मोह, अंगदी पांव जमाकर बैठ ये बड़े अफसर
नोएडा : उत्तर प्रदेश में इन दिनों शासन स्तर पर तबादलों का दौर जारी है। हर दिन किसी न किसी विभाग में अधिकारियों के ट्रांसफर किए जा रहे हैं। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी नोएडा में एक दर्जन से अधिक अधिकारी सालों से अथॉरिटी में मलाईदार पदों पर मौज काट रहे हैं। इन अफसरों का कई बार तबादला हो चुका है। लेकिन, सभी अंगदी पांव जमाकर बैठ हुए हैं। यही वजह है कि इन दिनों ये अधिकारी नोएडा अथॉरिटी में दफ्तर-दफ्तर चर्चाओं का विषय बने हुए हैं। एक अधिकारी का तो 30 किलोमीटर की दूरी पर तबादला हो चुका है। लेकिन, फिर भी मोह नहीं छूट रहा है। हालांकि, कुछ अफसर ट्रांसफर होने के बाद जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें रिलीव नहीं किया जा रहा है। क्योंकि अथॉरिटी में उनकी जगह कोई और दूसरा विकल्प नहीं है।
*सरकार से बड़े हुए ये अफसर*
नोएडा अथाॅरिटी में तैनात अफसर सत्येंद्र गिरि 24 सालों से जमे हुए हैं। विजय रावल 15 सालों से मलाईदार पद पर तैनात हैं। 40 सालों से आरके शर्मा तो अंगदी पांव जमाकर बैठ हुए हैं। शहरवासी कहते हैं कि साहब अब रिटायर होने के बाद ही अथॉरिटी का मोह छोड़ेंगे। प्रेम नियोजन 24 साल से अथॉरिटी में डटे हुए हैं। अकाउंट में तैनात प्रमोद 20 साल से काम कर रहे हैं। लॉ डिपार्टमेंट में 20 साल से सुशील भाटी और नरदेव मलाईदार पद पर तैनात हैं। इसके अलावा नोएडा मेट्रो में तैनात वीपीएस कोमल 27 सालों से जमे हुए हैं। कुल मिलकर ये अफसर सरकार से ऊपर हो गए हैं, जो अपने आकाओं के भरोसे लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं। प्राधिकरण में चर्चा है कि इनके आगे तो सीईओ तक की कोई बिसात नहीं है। तबादले वाले कार्यकाल में ही कई सीईओ बदल चुके हैं, लेकिन कोई भी उन्हें कार्यमुक्त नहीं कर पाया।
*तबादला आदेश का पालन क्यों नहीं?*
नोएडा प्राधिकरण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तल्ख टिप्पणियां यूं ही नहीं करती हैं। अथॉरिटी में तैनाती पाने वाले अफसर आकर वापस लौटना ही नहीं चाहते हैं। अब सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुमोदन के बाद जारी होने वाले तबादला आदेश पर सीनियर अधिकारी भी अमल क्यों नहीं कर रहे हैं। अगर अफसर शासन के आदेश का पालन नहीं कर रहे, तो छोटे कर्मचारियों से अनुशासन की अपेक्षा करना बेमानी है। इन मामलों को लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा-ए-आम है।
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