24/10/2023

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नया नहीं है राजनीति में ब्यूरोक्रेट्स का तड़का : सांसद डॉ. महेश के सामने ताल ठोकने को तैयार पूर्व डीएम बीएन सिंह

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नया नहीं है राजनीति में ब्यूरोक्रेट्स का तड़का : सांसद डॉ. महेश के सामने ताल ठोकने को तैयार पूर्व डीएम बीएन सिंह

नोएडा : गौतमबुद्ध नगर लोकसभा में इन दिनों एक ब्यूरोक्रेट काफी दिनों से चर्चाओं का हिस्सा बने हुए हैं। इसका कारण है इन ब्यूरोक्रेट्स की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। यह बात सर्वविदित है। हम बात कर रहे हैं गौतमबुद्ध नगर जनपद के पूर्व जिलाधिकारी रहे आईएएस बीएन सिंह की। इन दिनों यहां की लोकल की राजनीति में यह नाम बड़ी ही शिद्दत के साथ लोगों की जुबान पर है। इसकी बड़ी वहज जिस लोकसभा सीट का चयन इन्होंने अपनी राजनीतिक पारी के लिए किया है, उसे यहां के भाजपा सांसद अपनी निजी धरोहर समझते हैं। खैर छोड़िए, अभी उस मुद्दे पर बात नहीं होगी, इस मुद्दे पर फिर कभी। यहां बात हो रही ब्यूरोक्रेट का राजनीति की तरफ झुकाव की। आपको बता दें, राजनीति का सपना देखने वाले आईएएस अफसर बीएन सिंह कोई नए नहीं हैं। उनसे पहले भी कई ब्यूरोक्रेट्स राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं और मंझे हुए राजनेताओं की तरह इस मैदान में डटे हुए हैं।

नेता बनने की कोई शैक्षिक योग्यता नहीं

गुजरात के राजनीतिक विशलेषक मनसुख भाई का कहना है कि ब्यूरोक्रेट्स के राजनीति में आने के मुद्दे पर मतभिन्नता है। कुछ का मानना है कि मंत्रियों को अपने विभागों के कार्यों का कोई अनुभव और ज्ञान नहीं होता है। ऐसी स्थिति में उन्हें विशेषज्ञ कर्मचारियों के इशारे पर ही अपने मंत्रालयों को चलाना होता है। यही वजह है कि नौकरशाही का प्रभाव बढ़ गया है। देश में नेता बनने के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता नहीं है। अनपढ़ व्यक्ति राजनीति कर सकता है। ऐसी स्थिति में अनुभवी और विषय-विशेष की अच्छी खासी पकड़ रखने वाले नौकरशाहों के राजनीतिक झुकाव से चुस्त, स्वस्थ और अनुशासित राजनीति की उम्मीद लगाई जा सकती है। उनके राजनीति में प्रवेश पर ‘कूलिंग पीरियड’ जैसे कोई बंधन नहीं लगाने चाहिए।

मददगार है यह गठजोड़

पटना के राजनीतिक विशेषज्ञ आरआर त्यागी का कहना है कि नौकरशाहों का राजनीति के प्रति झुकाव नेताओं के लिए मददगार होता है। यदि राजनेता और नौकरशाह मिलकर कार्य करें, तो समस्याओं का निराकरण हो सकता है। जिस राजनीतिक पार्टी की ओर नौकरशाह का झुकाव होता है, उसके प्रति उसका सॉफ्ट कॉर्नर होता है। कार्यकाल के दौरान यह ठीक नहीं लगता, लेकिन कोई नौकरशाह सेवानिवृत्ति के बाद किसी राजनीतिक पार्टी के बैनर तले काम करना चाहता है, तो बुराई नहीं है। नौकरशाह के अनुभव और ज्ञान का फायदा जनता को मिलता है।

भ्रष्टाचार को बढ़ावा

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रोफेसर डीडी तोंगड़ का कहना है कि एक प्रशासनिक अधिकारी का दायित्व होता है कि वह शासन में पारदर्शिता, जवाबदेही, तटस्थता के साथ कार्य करे, ताकि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक तरह से हो। आजकल कुछ नौकरशाहों का झुकाव राजनीतिक पार्टियों खासकर सत्तारूढ़ दलों की तरफ हो रहा है, जिससे भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। इसके कारण सत्तारूढ़ दल मनमानी करते हैं। चुनाव में धांधली भी प्रशासनिक अधिकारियों के राजनीतिक झुकाव को प्रदर्शित करती है। यह लोकतंत्र के लिए घातक है।

वर्तमान मोदी मंत्रिमंडल में हैं सात ब्यूरोक्रेट्स

वर्तमान मंत्रिमंडल में सात ऐसे मंत्री हैं, जो राजनीति में आने से पहले नौकरशाह या अधिकारी रहे हैं। ओडिशा कैडर के पूर्व आईएएस अश्विनी वैष्णव कुछ साल पहले राजनीति में आए और वर्तमान मंत्रिमंडल में रेल और संचार जैसे अहम मंत्रालय संभाल रहे हैं। कई मंत्रालयों में नौकरशाह के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हरदीप सिंह पुरी के पास आवास व शहरी विकास मंत्रालय के साथ पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय का भी जिम्मा है। इसके अलावा पूर्व नौकरशाह रहे आरके सिंह के पास वर्तमान मंत्रिमंडल में विद्युत एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की जिम्मेदारी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर विदेश सचिव रह चुके हैं। राज्यमंत्री के पद पर सोम प्रकाश और अर्जुन मेघवाल भी पूर्व में नौकरशाह रह चुके हैं। सेना अध्यक्ष रहे जनरल (सेवा.) वीके सिंह वर्तमान में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय में राज्यमंत्री हैं। वहीं, मुंबई के पूर्व कमिश्नर रहे और वर्तमान में बागपत लोकसभा सीट से भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह भी मोदी सरकार का ही हिस्सा हैं।

राजस्थान में भाजपा पहली पसंद

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ प्रशासनिक कमान संभाल चुके ब्यूरोक्रेट्स भी सियासत में दांव आजमाना चाह रहे हैं। इन ब्यूरोक्रेट्स की पहली पसंद बीजेपी कही जा रही। अब तक 24 से ज्यादा अधिकारियों ने भाजपा का दामन थामा है। वहीं, कांग्रेस की बात करें तो बमुश्किल एक या दो नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। प्रदेश में दो दर्जन सीटों पर प्रशासनिक सेवा से जुड़े अफसर चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें पूर्व जज, कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, आईएएस, डॉक्टर, प्रोफेसर, आईपीएस, पूर्व मुख्यमंत्री ओएसडी और कर्मचारी नेता शामिल हैं।

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