01/02/2023

अवध सूत्र

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अवध सूत्र पर बड़ी ख़बरे

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अवध सूत्र पर बड़ी ख़बरे

किताबों के लिए 9-12 तक के छात्रों को करना होगा इंतजार
माध्यमिक स्कूलों की किताबों का अब तक नहीं हो सका टेंडर
पिछले साल सत्र के तीन माह बाद किताबों की सूची जारी हुई थी
प्रयागराज। दो महीने बाद एक अप्रैल से शुरू होने जा रहे शैक्षणिक सत्र 2023-24 में माध्यमिक स्कूलों के बच्चों को समय से अधिकृत किताबें मिलना मुश्किल दिख रहा है। यूपी बोर्ड से जुड़े 28 हजार से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को सत्र शुरू होने के कम से कम एक महीने बाद नई किताबें सुलभ हो पाएंगी।राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) आधारित किताबों के प्रकाशन के लिए बोर्ड की ओर से अब तक टेंडर जारी नहीं हो सका है। टेंडर जारी होने के बाद प्रिंटिंग और सप्लाई के लिए प्रकाशकों को कम से कम तीन महीने का समय देना पड़ता है।इस लिहाज से आज की तारीख में भी टेंडर हो जाए तो अप्रैल के बाद ही किताबें बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध हो सकेंगी। पिछले साल सत्र शुरू होने के तीन महीने बाद छह जुलाई को अधिकृत किताबों की सूची जारी हुई थी। इसके चलते बच्चों ने पहले ही अनाधिकृत और महंगी किताबें खरीद ली थी।
आठवीं तक की आठ लाख किताबें पहुंची
पिछले कई वर्षों से पुरानी किताबों से सत्र की शुरुआत करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग ने इस साल नवंबर में ही किताबों का टेंडर जारी कर दिया था और दो महीने पहले ही 8वीं तक की किताबें आनी शुरू हो गई हैं। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी के अनुसार प्रयागराज में अब तक 790795 किताबों की आपूर्ति हो चुकी है।
कक्षा आठ तक की किताबें जिलों में पहुंचने लगी हैं और 15 मार्च तक सभी किताबों की सप्लाई हो जाएगी। कक्षा नौ से 12 तक की किताबों के लिए जल्द टेंडर जारी करने जा रहे हैं।
-विजय किरन आनंद, महानिदेशक स्कूली शिक्षा
नौकरियों में पिछड़ सकते हैं कोविड काल के स्कूली बच्चे
नई दिल्ली। कोरोना काल में दुनिया के 95 फीसदी बच्चों को स्कूल बंद होने का सामना करना पड़ा है। इसके दुष्प्रभावों को लेकर हुए एक शोध में दावा किया गया है कि स्कूल बंद होने से विद्यार्थियों की यह पीढ़ी लंबे समय तक प्रभावित रह सकती है। उसे श्रम बाजार में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। यानी वे अच्छी नौकरी हासिल करने में पिछड़ सकते हैं।नेचर ह्यूमन बिहेवियर जर्नल में प्रकशित एक शोध में दावा किया गया है। कोरोना काल में स्कूल बंद रहने से बच्चों की तकरीबन 3.5 महीने की अवधि के बराबर की स्कूल में होने वाली पढ़ाई नहीं हो सकी। यह क्षति एक स्कूल वर्ष के 35 फीसदी के बराबर है। इससे बच्चों के सीखने की क्षमता बुरी तरह से प्रभावित हुई है। शोधकर्ताओं ने महामारी के दौरान स्कूल बंद होने को लेकर दुनिया भर में हुए 5997 शोधपत्रों का विश्लेषण करने के बाद यह नतीजा निकाला है। उच्च एवं मध्यम आय वाले 42 देशों के अध्ययनों से यह भी ज्ञात हुआ है कि स्कूल बंद होने के कारण बच्चे 291 किस्म के कौशल नहीं सीख पाए।रिपोर्ट में कहा गया है कि निम्न आए वाले देशों से पर्याप्त आंकड़े नहीं मिले हैं, लेकिन हालात इशारा करते हैं कि वहां यह समस्या कहीं ज्यादा गंभीर हो सकती है। अध्ययन के सह लेखक समाजशास्त्रत्त्ी बेस्टाइन बेत्थेसर ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान स्कूल बंद होने से पूरी एक पीढ़ी प्रभावित हुई है। पिछले साल के मध्य तक भी इस नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए थे। ठोस उपाय नहीं किए गए तो कोविड काल के छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है।वर्धमान महावीर कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि शुरुआती एवं छोटी कक्षाओं के बच्चों में यह दुष्प्रभाव ज्यादा हो सकते हैं, क्योंकि जो चीजें शुरुआती दिनों में उन्हें स्कूल में सिखाई जाती हैं, उन्हें घर में सीखा पाना संभव नहीं है।
नीतिगत निर्णय लेने की जरूरत
शोध में सुझाया गया है कि सरकारों को इस समस्या से निपटने के लिए नीतिगत निर्णय लेने होंगे तथा बच्चों के सीखने की क्षति की भरपाई के लिए अतिरिक्त उपाय सुनिश्चित करने चाहिए। बता दें कि कोरोना का दौर तकरीबन खत्म हो चुका है, लेकिन इसके प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में नजर आ रहे हैं। मानव स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव देखे गए हैं। अर्थव्यवस्थाएं अब भी कोविड महामारी के दुष्प्रभावों से उबर नहीं पाई है। यह अध्ययन बताता है कि छात्रों की एक पीढ़ी भी इससे हुई क्षति की पूर्ति करने में विफल रही है।
कांस्टेबल भर्ती में अपर सचिव तलब
प्रयागराज। हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती 2015 के ओबीसी अभ्यर्थी की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका में जवाबी हलफनामा दाखिल न करने पर पुलिस भर्ती बोर्ड के अपर सचिव भर्ती को रिकॉर्ड के साथ तलब किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी ने दिया है।
फीस वापसी के लिए सीएम को भेजा पत्र
कानपुर। अदालत के आदेश पर फीस वापसी के लिए अभिभावकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री से फीस वापसी के लिए शीघ्र ही शासनादेश जारी कराने की मांग की गई है।अभिभावक न्याय मोर्चा के अभिमन्यु गुप्ता ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक स्कूलों को शासन स्तर से आदेश नहीं दिए जाएंगे तब तक वे उच्च न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करेंगे। जल्द से जल्द मामले को संज्ञान में लिया जाए। ताकि अभिभावकों को राहत मिल सके
छह फरवरी से शुरू होंगे आरटीई के आवेदन, डीजी स्कूल शिक्षा ने सभी बीएसए को जारी किया निर्देश
लखनऊ शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में होने वाले दाखिलों के लिए विस्तृत कार्यक्रम मंगलवार को जारी कर दिया है। इसकी प्रवेश प्रक्रिया तीन चरण में चलेगी। पहले चरण की शुरुआत 06 फरवरी से हो रही है। दाखिले के लिए संबंधितों को ऑनलाइन आवेदन करने होंगे। आवेदन फॉर्म के सत्यापन के बाद लॉटरी के द्वारा बच्चों को स्कूल आवंटित किए जाएंगे।महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद की ओर से सभी बीएसए को भेजे गए निर्देश के अनुसार अलाभित समूह व दुर्बल वर्ग के बच्चों को कक्षा 01 व पूर्व प्राथमिक कक्षा में प्रवेश के लिए समय सारिणी जारी कर दी गई है। इसके अनुसार पहले चरण के आवेदन छह फरवरी से 28 फरवरी के बीच किए जा सकेंगे। एक मार्च से 10 मार्च के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को इन आवेदनों का सत्यापन करना होगा। 12 मार्च को पहली लॉटरी होगी। पहली लॉटरी वाले बच्चों को चार अप्रैल तक दाखिला लेना होगा। दूसरे चरण की आवेदन प्रक्रिया 14 मार्च से 06 अप्रैल के बीच होगी। 07 अप्रैल से 17 अप्रैल तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आवेदनों का सत्यापन कराएंगे। 19 अप्रैल को दूसरी लॉटरी जारी होगी और 28 अप्रैल तक विद्यार्थियों को दाखिला लेना होगा।तीसरे और अंतिम चरण की शुरुआत 20 अप्रैल से 12 मई के बीच होगी। 13 मई से 23 जून के बीच जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को आवेदन फॉर्म का सत्यापन करके 25 जून को लॉटरी जारी करनी होगी। अंतिम चरण में दाखिले की समय सीमा पांच जुलाई निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा है कि आरटीई के तहत गैर सहायतित मान्यता प्राप्त विद्यालयों में अलाभित व दुर्बल वर्ग के बच्चों को 25 फीसदी प्रवेश दिया जाना बाध्यकारी है। इसी क्रम में मंगलवार को नौ मंडल के मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) व बीएसए को आरटीई पोर्टल से संबंधित जानकारी का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। इसी क्रम में बुधवार 01 फरवरी को भी नौ मंडल के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।विद्यालयों को मैप करने की प्रक्रिया भी
डीजी विजय किरन आनंद ने सभी बीएसए को यह भी निर्देश दिया है कि आरटीई के लिए नए सत्र 2023-24 में आवेदन प्रक्रिया शुरू हो रही है, इसके तहत जो विद्यालय बंद हो गए हैं, उन्हें निर्धारित पोर्टल से हटा दिया जाए। साथ ही जिले के जो विद्यालय मैप हैं लेकिन अभी तक रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें पोर्टल पर रजिस्टर करा लिया जाए। जो विद्यालय रजिस्टर नहीं हो रहे हैं, उन्हें पोर्टल पर अपने लॉगिन से मैप्ड कर लें ताकि नए सत्र में अभिभावकों को असुविधा न हो। इसके लिए पोर्टल 05 फरवरी तक खोला जा रहा है।
43900 स्कूलों में 4.20 लाख सीटें
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार प्रदेश में आरटीई के तहत वर्तमान में 43900 स्कूल और यहां पर लगभग 4.10 लाख सीटें हैं। जिसके तहत प्रवेश होने हैं। हालांकि कुछ स्कूलों के बंद होने और नए की मैपिंग प्रक्रिया भी चल रही है। इसलिए इनकी संख्या घट-बढ़ सकती है।
इन जातियों को केन्द्र की सूची में शामिल करने का अनुरोध करेगी यूपी सरकार, जानें क्या होगा लाभ
लखनऊ:यूपी के दिव्यांगजन सशक्तिकरण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि उत्तर प्रदेश में सूचीबद्ध ओबीसी वर्ग की वह जाति जो केंद्र की सूची में नही है, उन्हें भी सूचीबद्ध करने के लिए केन्द्र सरकार को अनुरोध पत्र भेजा जाय। जिससे उन्हें केन्द्र से मिलने वाले लाभ मिल सके।उन्होंने कहा कि  केन्द्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं में बजट की मांग के लिए पत्र भेजा जाए। दिव्यांगजन सशक्तिकरण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में नई योजनाओं का प्रस्ताव तैयार कर बजट की माँग की जाय मंगलवार को विधानसभा स्थित नवीन भवन के अपने कार्यालय में विभागीय समीक्षा बैठक में  पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ने  कहा कि पिछड़े वर्ग की जातियों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।दिव्यांगजन मंत्री द्वारा दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा की गई। उन्होंने राज्य निधि के प्रयोग के संबंध में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनो को प्रोत्साहित करने के लिए  फरवरी व मार्च में वर्कशॉप और प्रदर्शनी का आयोजन किया जाय। समीक्षा बैठक में दिव्यांगजन अधिकारियों द्वारा बताया गया कि दिव्यांगजन पेंशन को आधार से लिंक कराने का कार्य 89 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। मंत्री ने डॉ शकुन्तला मिश्रा पुर्नवास विश्वविद्यालय की समीक्षा में अधिकारियों को निर्देशित किया कि विश्वविद्यालय में प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं एवं योजनाओं का लाभ दिव्यांगजनों को मिले, यह सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा कि खेल स्टेडियम का प्रयोग किया जाय इसके लिए मार्च में खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाय।उन्होंने  विश्वविद्यालय में ब्रेल प्रेस के संबंध में समीक्षा की और कहा कि इसके लिए आवश्यक कार्यवाही की जाय। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनो एवं पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही धनराशि का शत-प्रतिशत उपयोग करते हुए पात्र लोगों को उनका लाभ दिया जाय। बैठक में अपर मुख्य सचिव दिव्यांगजन सशक्तिकरण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण हेमंत राव, तथा निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण वंदना वर्मा, निदेशक दिव्यांगजन सशक्तिकरण श्री सत्य प्रकाश पटेल एवं आयुक्त दिव्यांगजन सहित संबंधित अधिकारीगण उपस्थित थे ।
परिचालक भर्ती: एक पद के डेढ़ सौ दावेदार, 70 फीसदी ग्रेजुएट
प्रयागराज। रोडवेज प्रयागराज परिक्षेत्र में परिचालकों की भर्ती के लिए बड़े पैमाने पर आवेदन हुए हैं। ऑनलाइन आवेदन में दिक्कतें आईं इसके बावजूद प्रयागराज परिक्षेत्र में 265 पदों के लिए 39,885 अभ्यर्थियों ने आवेदन किए हैं। परिचालक भर्ती के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट निर्धारित है। अब बेरोजगारी का आलम यह है कि आवेदन करने वाले 70 फीसदी से अधिक ग्रेजुएट हैं। कोई एमए किए है तो किसी ने डिप्लोमा लिया हुआ है। बहुत सारे युवाओं का कहना है कि वह आवेदन नहीं कर सके ऐसे में तारीख बढ़ जाए तो उन्हें भी भर्ती में शामिल होने का मौका मिल जाए।रोडवेज में हो रही परिचालकों की भर्ती में अनुसूचित जाति के 56, अनुसूचित जनजाति के पांच, अन्य पिछड़ा वर्ग के 72, सामान्य वर्ग के 119 और 13 पद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित हैं। भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट रखी गई है। भर्ती आउटसोर्सिंग के जरिए हो रही है। भर्ती में उच्च शैक्षणिक योग्यता पर वरीयता नहीं मिलेगी। इसके बाद भी स्नातक, परास्नातक और डिप्लोमाधारियों ने ही आवेदन किए हैं। परास्नातक शुभम मिश्रा, कानून की पढ़ाई कर रहे अमन कुमार और उनके साथियों ने आवेदन किए हैं।
पांच करोड़ से करेंगे शिक्षकों का बकाया भुगतान
प्रयागराज। 2018 से 2020 तक की यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों के पांच करोड़ बकाए का भुगतान जल्द होगा। यूपी बोर्ड के वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी तेज बहादुर सिंह ने 30 जनवरी को जारी पत्र में सभी जिला विद्यालयों निरीक्षकों को लंबित भुगतान के निर्देश दिए हैं। सभी भुगतान ई-कुबेर के माध्यम से सीधे लाभार्थी के खाते में किए जाएंगे।वर्ष 2020 की परीक्षा का 79,18,649, 2019 का 3,87,47,928 जबकि वर्ष 2018 की बोर्ड परीक्षा मूल्यांकन का 33,33,423 रुपये बकाया है। वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी ने साफ किया है कि आवंटित धनराशि से किसी प्रकार के अनियमित भुगतान, शासकीय धन के गबन, अपव्यय, वित्तीय अनियमितता और ऑडिट आपत्ति के लिए संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षक और आहरण वितरण अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
यूपीपीएससी : सीधी भर्ती के 15 पदों पर आवेदन कल से
प्रयागराज। प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में सीधी भर्ती के 15 पदों पर चयन के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग दो फरवरी से ऑनलाइन आवेदन लेने जा रहा है। सचिव आलोक कुमार के अनुसार ऑनलाइन आवेदन शुल्क जमा करने की अंतिम तिथि दो मार्च और फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख छह मार्च है। आयुष विभाग के तहत होम्योपैथिक कॉलेज में प्राचार्य के छह और आयुर्वेदिक कॉलेज में प्राचार्य के चार पदों, मद्य निषेध विभाग में क्षेत्रीय मद्य निषेध एवं समाजोत्थान अधिकारी के दो और आबकारी विभाग में प्राविधिक अधिकारी के दो पदों जबकि भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में सहायक वेधन अभियंता के एक पद पर आवेदन लिए जाएंगे। गौरतलब है कि आयोग ने अपनी नई वेबसाइट पर 15 दिन पहले ही नई भर्ती के संबंध में सूचना जारी कर दी थी।
एमएमएमयूटी एडमिशन में फर्जीवाड़ा: अपना पक्ष रखने एक भी छात्र नहीं आया सामने, आज आखिरी मौका
गोरखपुर:मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में फर्जी दस्तावेज के सहारे प्रवेश पाने वाले छात्रों को अपने पक्ष में कागज प्रस्तुत करने का 31 जनवरी को अंतिम दिन है। बताते हैं कि एक दिन पहले तक विवि प्रशासन के पास किसी विद्यार्थी ने अपने पक्ष में कोई दस्तावेज जमा नहीं किया है।एमएमएमयूटी प्रशासन ने फर्जी प्रवेश प्रकरण में कुल 40 विद्यार्थियों को चिह्नित कर उन्हें निष्कासित कर दिया था। उन्हें 25 जनवरी तक अपने पक्ष में दस्तावेज प्रस्तुत करने का अंतिम मौका दिया था। इसके बाद 35 छात्र-छात्राएं हाईकोर्ट चले गए थे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विवि प्रशासन ने छात्र-छात्राओं के लिए अलग से परीक्षा में बैठने और उनकी उत्तरपुस्तिका अलग से सील कर रखने की व्यवस्था की थी। बताते हैं कि इस दौरान करीब 31 विद्यार्थी ही परीक्षा में शामिल हुए हैं। यानी पांच विद्यार्थियों ने पहले ही हाथ खड़े कर दिए तो चार अन्य ने भी परीक्षा छोड़कर पीछे हटना उचित समझा। हाईकोर्ट के आदेशानुसार 31 जनवरी तक छात्रों को अपना प्रत्यावेदन रजिस्ट्रार के माध्यम से विश्वविद्यालय की गवर्निंग काउंसिल को देना है। जो छात्र प्रत्यावेदन देंगे, उस पर गवर्निंग काउंसिल तीन सप्ताह में विचार कर आदेश जारी करेगा।
ये है मामला
एमएमएमयूटी प्रशासन ने चार महीने की गोपनीय जांच के बाद विगत 10 जनवरी को खुलासा किया था कि फेक कागजात तैयार कराकर कुल 40 छात्र-छात्राओं ने अपना नामांकन कराया था। उनका प्रवेश निरस्त कर दिया गया है। इनमें अब तक की जांच में सत्र 2020-21 के कुल 22 और सत्र 2021-22 के 18 शामिल हैं। सत्र 2019-20 सत्र के प्रवेश की जांच प्रगति पर है। इसमें किसी बड़े रैकेट का हाथ होने की आंशका जताई गई थी। इस मामले में विवि प्रशासन एफआईआर की भी तैयारी कर रहा है। इस बीच निष्कासित 40 मे से 35 छात्र हाईकोर्ट पहुंच गए थे। हाईकोर्ट ने उन्हें परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे दी थी। साथ ही सम्बंधित छात्र-छात्राओं को 31 जनवरी तक विवि प्रशासन के पास अपने पक्ष में कागज प्रस्तुत करने का समय दिया था।
70 हजार ब उत्तर पुस्तिकाएं आईं, अब ओएमआर शीट आने का इंतजार
हाथरस।माध्यमिक शिक्षा परिषद ने यूपी बोर्ड परीक्षा-2023 की तैयारियां तेज कर दी है। बोर्ड ने जिले में 70 हजार ब उत्तर पुस्तिकाएं भेज दी हैं। इन उत्तर पुस्तिकाओं को अक्रूर इंटर कॉलेज के स्ट्रांग रूम में रखा गया है। जिले में यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए 100 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। यहां हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 51 हजार से अधिक परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। अक्रूर इंटर कॉलेज में एक लाख चार हजार अ उत्तर पुस्तिकाएं भेजी जा चुकी हैं। सोमवार देर रात बोर्ड ने हाईस्कूल की 40 हजार और इंटरमीडिएट की 30 हजार ब उत्तर पुस्तिकाएं भी भेज दी हैं। डीआईओएस रीतू गोयल ने बताया कि परीक्षा से संबंधित सामग्री आना शुरू हो गई है। शेष ब उत्तर पुस्तिकाएं और ओएमआर शीट आने का इंतजार किया जा रहा है। परीक्षा से जुड़ी अन्य तैयारियों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
संस्कृत स्कूलों में संविदा पर 2000 शिक्षक भर्ती होंगे
लखनऊ। यूपी के संस्कृत स्कूलों में जल्द ही संविदा पर 2000 शिक्षक भर्ती किए जाएंगे। इसके साथ ही दो वर्ष पूर्व संविदा पर भर्ती किए गए 440 शिक्षकों की सेवा का भी नवीनीकरण किया जाएगा। भर्ती व नवीनीकरण प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर हो सकेगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने संविदा पर शिक्षकों के भर्ती किए जाने एवं पहले से संविदा पर कार्य कर रहे शिक्षकों की सेवा का नवीनीकरण किए जाने का एक प्रस्ताव शासन को भेजा है।राज्य के संस्कृत विद्यालयों में वर्ष 1990 से कोई भर्ती नहीं हुई है। कारण कुछ मंडलों में उस समय संयुक्त शिक्षा निदेशकों के स्तर से भर्तियां शुरू कराई गई थीं लेकिन किन्हीं कारणों से उन पर विवाद हो गया और मामला कोर्ट में चला गया। उसके बाद से शिक्षकों की भर्तियां लम्बित हैं। नई भर्तियां ना होने से तमाम स्कूल शिक्षक के अभाव में बंदी की कगार पर हैं। दूसरी तरफ स्थाई भर्तियां नियमों के फेर में फंसी हुई हैं। पूर्व में प्रदेश के सभी संस्कृत विद्यालय संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। वर्ष 2000 में संस्कृत शिक्षा बोर्ड बन गया और इन स्कूलों को बोर्ड से जोड़ दिया गया लेकिन तब भी भर्तियों की कोई प्रक्रिया तय नहीं हो पाई।
पांच हजार योग शिक्षकों की भर्ती में अड़ंगा
अजीत कुमार लखनऊ। प्रदेश के एडेड एवं राजकीय इंटर कालेजों में 5000 योग शिक्षकों की भर्ती के प्रस्ताव से जुड़ी फाइल पर वित्त विभाग की तमाम आपत्तियों की वजह से यह प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है।करीब चार माह पूर्व माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से यह प्रस्ताव शासन को भेज गया था। प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया गया था परन्तु शासन में वित्त की ओर से कई आपत्तियों के साथ अब यह फाइल वापस लौट आई है। महत्वपूर्ण यह है कि इस मुद्दे पर माध्यमिक शिक्षा विभाग का कोई जिम्मेदार कुछ बोलने को तैयार नहीं है।माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा भेजे गए प्रस्ताव में दो बिन्दुओं पर निर्णय लेने का अनुरोध किया गया था।पहले बिन्दु का प्रस्ताव यह था कि एडेड और राजकीय इंटर कालेजों में संविदा पर एक-एक योग शिक्षक की बहाली करने की अनुमति दी जाए जबकि दूसरे बिन्दु में प्रस्ताव किया गया था कि जिन स्कूलों में पहले से खेल और शारीरिक शिक्षक हैं। जहां नहीं है वहां शारीरिक रूप से दक्ष जिस शिक्षक को खेल व शारीरिक शिक्षा की जिम्मेदारी दी गई है, इन्हें ही योग का सर्टिफिकेट कोर्स कराकर योग शिक्षक का जिम्मा दे दिया जाए।सूत्र बताते हैं कि वित्त विभाग ने फाइल को वापस करते हुए लिखा है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग का प्रस्ताव आयुष विभाग में हुए योग शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया से बिलकुल भिन्न रखा गया है जो सही नहीं है। प्रदेश में योग शिक्षक की नियुक्ति के दो अलग-अलग मानक नहीं हो सकते हैं।
संस्कृत परिषद की मध्यमा,उत्तर मध्यमा की परीक्षा 23 से
लखनऊ। उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की वर्ष 2023 की पूर्व मध्यमा से उत्तर मध्यमा स्तर तक की परीक्षाएं 23 फरवरी से शुरू होगी। 20 मार्च तक चलने वाली इन परीक्षाओं के लिए सभी जिलों में परीक्षा केन्द्र तय कर दिए गए हैं।संस्कृत शिक्षा परिषद के सचिव ने एक बयान जारी कर बताया कि 19 कार्य दिवस मेंहोने वाली इस परीक्षाओं को सम्पन्न कराने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में वहां की भौगोलिक स्थिति एवं छात्र-छात्राओं की सुगमता को ध्यान में रखते हुए परीक्षा केन्द्र निर्धारित किए गए हैं।
उच्च शिक्षा लेने में गाजीपुर के युवा आगे, प्रयागराज पांचवें स्थान पर
आशीष दीक्षित बरेली। प्रदेश में उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने के मामले में गाजीपुर के युवा सबसे आगे हैं, जबकि बलरामपुर सबसे फिसड्डी जिला है। केंद्र सरकार की सामाजिक प्रगति सूचकांक रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आए हैं। गौतम बुद्ध नगर दूसरे, अयोध्या तीसरे, बनारस चौथे व प्रयागराज पांचवें स्थान पर है। बरेली मंडल का कोई भी जिला प्रदेश की टॉप टेन में शामिल नहीं है।प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने पहली बार देश के राज्यों और 707 जिलों की सामाजिक प्रगति सूचकांक (एसपीआई) की रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में सभी जिलों की शिक्षा की स्थिति का भी आंकलन किया गया।बुनियादी शिक्षा और उच्च शिक्षा को दो वर्गों में बांटकर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में गाजीपुर के सबसे अधिक युवा इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा में प्रवेश ले पा रहे हैं। गाजीपुर के कुल 75.77 फीसदी युवा उच्च शिक्षा संस्थानों में जा रहे हैं। दूसरे स्थान पर गौतम बुद्ध नगर है जहां के 75.06 फीसदी युवा उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। 71.64 के साथ अयोध्या तीसरे, 71.52 प्रतिशत के साथ बनारस चौथे और 68.89 फीसदी के साथ प्रयागराज पांचवे स्थान पर है।
सिर्फ 20 जिलों ने छुआ 50 फीसदी का आंकड़ा
शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही संस्था जनहित सेवा संस्थान के सचिव रबीअ बहार कहते हैं कि रिपोर्ट से साफ है कि उन्नत समाज की प्रगति के लिए उच्च शिक्षा तक पहुंच के मामले में अभी काफी पिछड़ापन है। 75 जिलों में सिर्फ 20 जिले ऐसे हैं जहां 50 ़फीसदी से अधिक छात्रों की उच्च शिक्षा तक पहुंच है। इसमें वृहद सुधार की आवश्यकता है।
टॉप-10 में नहीं बरेली मंडल का कोई जिला
रिपोर्ट में बरेली मंडल के चारों जिले प्रदेश के टॉप टेन में शामिल नहीं है। बरेली के 34.26 फीसदी, बदायूँ के 31.31 फीसदी, शाहजहांपुर के 29.08 फीसदी और पीलीभीत के 25.36 फीसदी छात्र इंटर के बाद डिग्री कॉलेज में प्रवेश ले रहे हैं।
टॉप 10 जिले
जिला छात्रों का प्रतिशत
गाजीपुर 75.77
गौतम बुद्ध नगर 75.06
अयोध्या 71.64
बनारस 71.52
प्रयागराज 68.89
लखनऊ 68.14
मेरठ 66.72
मऊ 62.94
अंबेडकरनगर 64.20
एटा 55.97
10 पिछड़े जिले
जिला छात्रों का प्रतिशत
बलरामपुर 17.33
भदोही 17.47
सम्भल 17.93
श्रावस्ती 19.22
शामली 20.05
रामपुर 22.60
हापुड़ 23.20
चंदौली 24.82
बुलन्दशहर 24.09
सिद्धार्थनगर 24.99
परीक्षा का काम एडीएम सिटी से छिना, सिटी मजिस्ट्रेट को जिम्मा
प्रयागराज। एडीएम सिटी कार्यालय में तैनात क्लर्क की नकल माफिया से साठगांठ के मामले में जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी से परीक्षा प्रभार की जिम्मेदारी भी वापस ले ली है। अब एडीएम सिटी केवल मुकदमों की सुनवाई करेंगे। यह जिम्मेदारी भी सिटी मजिस्ट्रेट सत्यप्रिय सिंह को दी गई है।वहीं एडीएम सिटी के कार्यालय में तैनात लक्ष्मीशंकर यादव के काम को अब सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में तैनात मध्यम बाबू को दिया गया है। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री मंगलवार को फील्ड के काम के कारण पूरे दिन कार्यालय में नहीं बैठ सके। इस बीच एडीएम सिटी से परीक्षा संबंधित फाइलें डीएम कार्यालय भेजी जा चुकी हैं।पिछले साल लेखपाल भर्ती परीक्षा में चेतना इंटर कॉलेज में नकल कराने का मामला सामने आया था। इस प्रकरण में पुलिस ने विद्यालय प्रबंधक व अन्य को गिरफ्तार किया था। जांच में यह सामने आया कि एडीएम सिटी में छह सालों से परीक्षा का काम देखने वाले क्लर्क लक्ष्मीशंकर यादव ने नकल माफिया से 89 बार फोन पर बात की थी। जिसकी रिपोर्ट पुलिस से आने के बाद जिलाधिकारी ने पहले क्लर्क को प्रतिकूल प्रविष्टि दी और बाद में मेजा ट्रांसफर कर दिया। मामले में एडीएम सिटी को जांच दी गई थी। एडीएम सिटी की जांच में क्लर्क को पाक-साफ बताया गया था। जिसके बाद नए एडीएम को जांच देने की बात डीएम कह चुके हैं। दफ्तर में तैनात कर्मचारियों ने बताया कि सभी फाइलें मांगा ली गई हैं। नई व्यवस्था में एडीएम सिटी के पास अब केवल वो मुकदमे रह गए हैं जो कमिश्नरेट बनने के बाद एडीएम की शक्ति में थे। 14 मामलों पर सुनवाई पूर्व में ही पुलिस को जा चुकी है।
दागी केंद्रों पर भी नजर
नई जांच में क्लर्क लक्ष्मी शंकर यादव के कार्यकाल में परीक्षा केंद्रों के गठन की जांच की जाएगी। दागी परीक्षा केंद्रों के लिए क्या जांच की और क्या कोई रिपोर्ट कभी तैयार की गई, पूरा ब्योरा लिया जाएगा।
नकल करने वाली महिला अभ्यर्थी की जांच लंबित
प्रयागराज। लेखपाल भर्ती में नकल की आंच से एडीएम सिटी कार्यालय तक झुलस रहा है। बड़े बाबुओं और नकल माफियाओं की मिलीभगत की जांच चल रही है। इसी कहानी की शुरुआत चेतना गर्ल्स इंटर कॉलेज में लेखपाल भर्ती परीक्षा के दौरान शुरू हुई। नकल करती हुई पकड़ी गई अभ्यर्थी रितु सिंह भागने में सफल हो गई थी। उसके खिलाफ जांच लंबित हैं। वहीं की स्कूल की प्रिंसिपल, प्रबंधक समेत पांच के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। चेतना गर्ल्स इंटर कॉलेज करेली में 31 जुलाई 2022 को लेखपाल भर्ती परीक्षा के दौरान नकल के आरोप में रितु सिंह को परीक्षा दे रहे अभ्यर्थियों ने पकड़ लिया था। अभ्यर्थियों ने हंगामा किया तो पुलिस और प्रशासनिक अफसर जागे। इस प्रकरण में स्टैटिक मजिस्ट्रेट संदीप यादव ने स्कूल की प्रिंसिपल समेत नौ के खिलाफ करेली थाने में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए स्कूल की प्रिंसिपल शबनम परवीन, उनका प्रबंधक बेटा शाबान अहमद, कार्यालय प्रभारी गिरिराज गुप्ता और कक्ष निरीक्षक हुमा बानो को गिरफ्तार जेल भेज दिया।
अब समर्थन में उठने लगे हैं सवाल
पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर कर्मचारी पर कार्रवाई पर कलक्ट्रेट के कर्मचारी संगठन अब सवाल उठा रहे हैं। मंगलवार को कर्मचारी संगठनों ने यह सवाल उठाया कि अगर लक्ष्मी शंकर यादव की संलिप्तता पाई गई थी तो पुलिस ने कार्रवाई के लिए क्यों लिखा। गिरफ्तारी करनी चाहिए थी। वहीं कर्मचारियों ने वाट्सएप पर एक दूसरे को शासनादेश भेजा, जिसमें मध्यावधि ट्रांसफर पर रोक की बात कही गई।
शारीरिक दक्षता में 829 हुए सफल
प्रयागराज। रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ (आरआरसी) प्रयागराज की नॉन टेक्निकल पापुलर कैटेगरी (एनटीपीसी) के लेवल वन की शारीरिक दक्षता की परीक्षा में मंगलवार को भी काफी भीड़ जुटी। फिजिकल टेस्ट के लिए डीएसए ग्राउंड पर मंगलवार को 1568 अभ्यर्थी बुलाए गए थे। इसमें से 1366 उपस्थित हुए, जबकि 202 अभ्यर्थी परीक्षा देने ही नहीं आए। वजनी बोरी लेकर दौड़ और बिना वजन के दौड़ में 537 अभ्यर्थी फेल हो गए। 829 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए। सफल हुए अभ्यर्थियों को अब शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन के लिए बुलाया जाएगा। 15 फरवरी से सत्यापन की प्रक्रिया शुरू होगी। कुल 13202 अभ्यर्थी शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल हुए हैं।

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