02/09/2021

अवध सूत्र

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पायनियर के एडिटर इन चीफ और पूर्व सांसद चंदन मित्रा का निधन, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख़्तार अब्बास नकवी ने पेश की शोक संवेदना

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पायनियर के एडिटर इन चीफ और पूर्व सांसद चंदन मित्रा का निधन, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख़्तार अब्बास नकवी ने पेश की शोक संवेदना

अवध सूत्र हिंदी दैनिक समाचार पत्र
जाने-माने पत्रकार और पूर्व सांसद चंदन मित्रा का गुरुवार सुबह निधन हो गया है. चंदन मित्रा पायनियर के एडिटर इन चीफ और मैनेजिंग डायरेक्टर थे. पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा के निधन की जानकारी उनके बेटे कुशन मित्रा ने दी. बीजेपी के राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने भी चंदन मित्रा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

चंदन मित्रा के निधन पर बीजेपी से राज्यसभा सांसद स्वप्न दासगुप्ता ने दुख जताया और उनसे जुड़ी कुछ यादें ताजा कीं. स्वप्न दासगुप्ता ने लिखा, ‘मैंने आज सुबह अपने सबसे करीबी दोस्त चंदन मित्रा को खो दिया. हम दोनों ने साथ में ला मार्टिनियर कॉलेज और फिर स्टीफन और ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई की थी. दोनों एक साथ पत्रकारिता से जुड़े थे. अयोध्या और भगवा लहर के उत्थान का उत्साह भी साथ-साथ देखा था।

पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा ने इसी साल जून में अंग्रेजी दैनिक ‘द पायोनियर’ के प्रिंटर और प्रकाशक के रूप में इस्तीफा दे दिया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

पीएम ने ट्वीट किया, “श्री चंदन मित्रा जी को उनकी बुद्धि और अंतर्दृष्टि के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने मीडिया के साथ-साथ राजनीति की दुनिया में भी अपनी पहचान बनाई. उनके निधन से आहत हूं. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ओम शांति.”

मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा वरिष्ठ पत्रकार,सम्मानित सामाजिक, सियासी शख्सियत चन्दन मित्रा जी के निधन की दुखद खबर से स्तब्ध हूँ, ईश्वर उनके परिवार, मित्रों को इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे,श्रद्धासुमन ,ऊँ शान्ति

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ सदस्य राम माधव ने भी दिवंगत नेता को एक अच्छे दोस्त के रूप में याद किया और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

स्टेफ़ैनियन फेलो और कॉलेज के सीनियर रहे कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कॉलेज चुनाव के दौरान चंदन मित्रा के कैम्पेन मैनेजर के रूप में उनके काम को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

चंदन मित्रा ने 2018 में भाजपा छोड़ दी थी और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली उस तृणमूल कांग्रेस के साथ हो लिए थे, जिस पार्टी को उन्होंने कभी बंगाल में “आतंक का शासन” करने के लिए दोषी ठहराया था. उन्होंने उस समय उन्होंने प्रेस को बताया था कि उन्होंने राज्य की “बेहतरी” के लिए यह रास्ता चुना है।

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