एसजीपीजीआई में वगैर आरटीपीसीआर जांच के नहीं मिलेगा इलाज

लखनऊ। राजधानी में जहां सेकेंड वेब को लेकर लोगों ने अपनो को खोया तो कहीं निजी अस्पतालो की मनमानी को लेकर लोगों ने अपने जीवन सारी कमाई को इलाज के नाम पर सर्वस्व न्यौछार कर दिया ।वहीं शहर के जाने माने चिकित्सा संस्थान की जो लोगों को कई सारे नियमों से गुजरने से मरीजों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है।बात करते है एसजीपीजीआई चिकित्सा संस्थान की जहां मरीज क्रिटिकल स्थिति में चिकित्सालय की शरण में जाने को मजबूर है,ऐसे में चिकित्सालय द्वारा बनाये गये नियमों में ओपीडी में आने वाले मरीजों को आरटीपीसीआर की जांच रिपोर्ट दिखाने जैसे नियम है ।इस कोरोना काल में जहां ओपीडी सेवा बंद होने से अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों की बीमारियों में इजाफा होने जैसी समस्या उत्पन्न हो रही है ।जहां देखा जाय कि कोरोना को छोड़कर अन्य बीमारियों से ग्रसित लोग चिकित्सालय की शरण में आना होता था। आज जिसमें कार्डियाक ,डायविटीज ,टीबी ,थाइराइड ,माइग्रेन,गैस्ट्रो,किडनी से सम्बंधित ,त्वचा रोग जैसे कई अन्य बीमारियों से लोग ग्रसित होना आम बात है। ऐसे में आरटीपीसीआर नियमों को बनाया जाना एक आम इंसान जो दूर दराज से इलाज के लिए आता है और उसे आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट दिखाने जैसे मानक से गुजरना इससे आम नागरिक को निराश होने के अलावा और कोई रास्ता नजर नही आता।कोरोना काल में जहां अस्पतालो में बेड को लेकर मारामारी से गुजरना पड़ रहा था।आज जब कोरोना की रफ्तार धीमी होने पर लोग अन्य बीमारियों के इलाज को लेकर इन्तजार कर रहे थे कि कब कोरोना कर्फ्यू खत्म हो तब अपना इलाज करवाये ।इलाज को लेकर बाराबंकी रामसनेहीघाट क्षेत्र के कमलेश शुक्ल का कहना है कि कोरोना काल में ओपीडी सेवा बंद होने से समय से इलाज न मिल पाने के कारण आज हमारे ऊपर संकट और गहरा गया है।बताया कि हमारे गले में गांठ थी जिसका डाक्टरों ने आपरेशन बताया था लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण समय पर इलाज की सुविधा न मिल पाने से बीमारी और बढ गयी जिस कारण से लार तक नहीं घूंट पा रहा हूं।
बाक्स:-निदेशक एसजीपीजीआई डा.आरके धीमान से कई बार फोन करके सम्पर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन काल वापस की न यह जानने की कोशिश की कहां से फोन आ रहा है ।इसके पहले कोरोना काल में कई बार काल किया गया लेकिन कोई रिस्पांस नही रहा।ऐसे में एक जिम्मेदार पद पर होकर फ ोन न उठाना इससे कई सारे सवाल उठना स्वाभाविक है।





