
नई दिल्ली। चुनावी कार्यों में बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) पर बढ़ते दबाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। कोर्ट ने सोमवार को राज्यों और केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि BLOs के ऊपर बढ़ते काम के बोझ को तुरंत कम किया जाए और आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती सुनिश्चित की जाए। अदालत ने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Summary Revision—SIR) के दौरान लगातार बढ़ते दायित्व और लंबी घंटों की ड्यूटी BLOs के स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डाल रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान प्रस्तुत तथ्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि SIR में अब तक 29 BLO की मौत हो चुकी है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि BLOs को दी जा रही जिम्मेदारियाँ उनके मूल कार्य से कहीं अधिक हैं और कई राज्यों में न तो पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध है और न ही उचित कार्य परिस्थितियाँ।
पीठ ने स्पष्ट कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का आधार मज़बूत और निष्पक्ष चुनाव है, और इसके लिए ज़रूरी है कि जमीनी स्तर पर काम करने वाले अधिकारी मानसिक और शारीरिक रूप से सुरक्षित रहें। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि BLOs की कार्य-सूची का पुनर्मूल्यांकन किया जाए और उन पर लगाए जा रहे गैर-जरूरी कार्य तुरंत हटाए जाएँ। साथ ही, चुनाव आयोग से कहा गया कि वह राज्यों के साथ समन्वय बनाकर मानव संसाधन की कमी को प्राथमिकता के आधार पर दूर करे।
इस मामले पर अगली सुनवाई में कोर्ट राज्यों से प्रगति रिपोर्ट भी मांगेगा। BLO संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा है कि यह निर्णय उनके लिए राहत और सुरक्षा दोनों सुनिश्चित करेगा।







