
बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के भीतर नए सिरे से घमासान खड़ा कर दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भले ही सार्वजनिक रूप से धैर्य और समीक्षा की बात कर रहे हों, लेकिन अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि परिणामों ने पूरे लालू परिवार में किसी “महाभारत” जैसी स्थिति पैदा कर दी है। सबसे ज्यादा निशाने पर हैं तेजस्वी यादव के रणनीतिक सलाहकार, जिन्हें RJD खेमे में प्रतीकात्मक रूप से “संजय” और “शकुनि” कहा जा रहा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का आरोप है कि तेजस्वी यादव ने चुनावी रणनीति, प्रचार और टिकट वितरण जैसे अहम मामलों में अनुभवी नेताओं को दरकिनार करते हुए कुछ चुनिंदा सलाहकारों पर ज़रूरत से ज्यादा भरोसा किया। इन सलाहकारों पर गलत रिपोर्ट पेश कर फैसलों को प्रभावित करने का आरोप है, जिसके चलते कई सीटों पर RJD को अप्रत्याशित हार झेलनी पड़ी। यही वजह है कि हार के बाद तेजस्वी के इन सलाहकारों को परिवार के भीतर भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि मीसा भारती और तेज प्रताप यादव के साथ कई पुराने नेता भी इस बात से नाराज़ हैं कि तेजस्वी की “कोर टीम” ने जमीनी हकीकत को नज़रअंदाज़ कर पार्टी को भ्रम में रखा। कुछ नेताओं ने यहां तक कहा कि RJD का चुनावी अभियान “डिजिटल शोर” में दब गया, जबकि गठबंधन और वास्तविक मुद्दे हाशिये पर चले गए।
हालांकि तेजस्वी यादव ने किसी भी मतभेद को खारिज करते हुए कहा है कि हार की जिम्मेदारी सामूहिक है और समीक्षा बैठक में सबके सुझाव लिए जाएंगे। वहीं लालू यादव ने परिवार और पार्टी दोनों के नेताओं को संयम बरतने की सलाह दी है। लेकिन यह भी साफ है कि चुनावी हार ने RJD में नई खेमेबाज़ी को हवा दे दी है।





