
नई दिल्ली, 29 जुलाई |
लोकसभा में आज राहुल गांधी का भाषण मोदी सरकार पर सीधा हमला साबित हुआ। उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर तीखे सवाल उठाए और कहा –
“ये सैन्य कार्रवाई नहीं थी, ये प्रधानमंत्री की इमेज चमकाने का इवेंट था।”
राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय वायुसेना के पायलट हमला करने को तैयार थे, लेकिन राजनीतिक स्तर से आदेश रोक दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सारा अभियान एक PR ड्रामा बनकर रह गया — “पायलटों के हाथ बांध दिए गए थे!”
“पाकिस्तान ने हमला किया, लेकिन दुनिया ने निंदा तक नहीं की”
राहुल गांधी ने विदेश नीति पर भी सरकार को घेरा।
उन्होंने कहा,“जब हमला पाकिस्तान से हुआ, तो कोई देश उसके खिलाफ क्यों नहीं बोला? क्या हमारी डिप्लोमेसी खत्म हो गई है?”उन्होंने सवाल किया कि सरकार में अगर वाकई हिम्मत थी तो पाक के खिलाफ खुला सैन्य जवाब क्यों नहीं दिया गया?
ट्रंप को ‘झूठा’ कहने की चुनौती
राहुल गांधी यहीं नहीं रुके। उन्होंने पीएम मोदी से पूछा: “डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत ने सीज़फायर पर सहमति ली। अगर ट्रंप झूठ बोल रहे हैं तो मोदी जी खुले मंच से उन्हें ‘liar’ क्यों नहीं कहते?”
1971 में इंदिरा गांधी ने युद्ध जीता, आज सिर्फ पोस्टर छपते हैं
राहुल ने कहा कि 1971 में इंदिरा गांधी ने पाक को करारा जवाब दिया, आज की सरकार सिर्फ कैम्पेन और कैमरा से लड़ाई लड़ रही है। तब देश बोलता था, आज सिर्फ प्रधानमंत्री की मार्केटिंग हो रही है।”राहुल गांधी का भाषण तीखा, भावनात्मक और रणनीतिक रहा। उन्होंने सरकार की सैन्य नीति, कूटनीति और नीयत — तीनों पर एक साथ वार किया। अब नज़र इस पर होगी कि प्रधानमंत्री मोदी इस चुनौती का जवाब लोकसभा में कैसे देते हैं।