विश्लेषण – मुख्यमंत्री योगी का भव्य-नव्य यूपी
भव्य-नव्य यूपी के लिए ही मुख्यमंत्री योगी ने आम लोगों की शिकायतों के निराकरण में बाधक बन रहे अफसरों पर बड़ा एक्शन लिया है
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सियासत के रूप में महत्वपूर्ण था और आज भी है लेकिन विकास के नाम पर लोग मुंह बिचका देते थे। ऐसा कुछ भी तो नहीं था, यहां पर जिस पर लोग छाती ठोंक कर कहते कि ये यूपी में ही है। तकनीकी शिक्षा के लिए लोग बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद भागते थे। मजदूरी के लिए मुंबई, पंजाब और हरियाणा की ट्रेन पर सवार हो जाते थे। अब यूपी में बदलाव देखने को मिल रहा है। उद्योगपति यहां निवेश करने लगे हैं और सड़कों का जाल बिछने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। शिक्षा के क्षेत्र में विशेष रूप से मेडिकल शिक्षा में क्षेत्र बढ़ा है। अयोध्या में भगवान श्रीराम लला के दर्शन के लिए अभी से भीड़ जुटने लगी है जबकि मंदिर का निर्माण शुरू ही हुआ है। काशी में बाबा विश्वनाथ का कॉरिडोर बनने से श्रद्धालुओं की संख्या में दो गुने से ज्यादा इजाफा हो चुका है। मौजूदा सरकार को इसका श्रेय दिया जाना ही चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने अब भव्य-नव्य यूपी का खाका खींचा है। इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की तर्ज पर स्टेट कैपिटल रीजन (एससीआर) बनाया जाएगा। प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आसपास के जनपदों बाराबंकी, उन्नाव, सीतापुर, कानपुर नगर, रायबरेली और कानपुर देहात को भी नोएडा की तरह विकसित किया जाएगा। कानपुर देहात हालांकि ज्यादा दूरी पर है, इसलिए पड़ोस के हरदोई जिले को भी इसमें शामिल करना चाहिए। उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक का गृह जिला भी है, इसलिए वे इस प्रकार का सुझाव रख सकते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस प्रयास से राज्य की राजधानी लखनऊ में जनसंख्या का दबाव कम हो सकता है, जिसका एक दशक में ही काफी विस्तार हो चुका है। प्रदेश ने एक तरफ जहां भूमाफियाओं, अपराधियों पर शिकंजा कसा है वहीं अफसरों को भी टाइट किया गया है।










