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उत्तर प्रदेश के नए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के बारे में पिछली सरकार में मिली थी कानून मंत्री की ज़िम्मेदारी

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उत्तर प्रदेश के नए उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के बारे में पिछली सरकार में मिली थी कानून मंत्री की ज़िम्मेदारी

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसबार जो दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं, उनमें केशव प्रसाद मौर्य के अलावा पिछली सरकार में कानून मंत्री रहे ब्रजेश पाठक भी शामिल हैं।

ब्रजेश पाठक उत्तर प्रदेश की राजनीति के बड़े ब्राह्मण चेहरे माने जाते हैं और इसबार लखनऊ कैंट विधानसभा से भारी जीत दर्ज करके विधानसभा पहुंचे हैं। उन्होंने राजनीति की शुरुआत छात्र जीवन में ही की थी और लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं और अबतक तीन पार्टियों से भी जुड़ चुके हैं। वे दो बार सांसद भी रह चुके हैं।

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ब्रजेश पाठक उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वह सूबे के बड़े ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं, इसलिए ब्राह्मण-ठाकुर की सियासत के लिए चर्चित इस राज्य में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें अपना डिप्टी बनाकर इस जातीय समीकरण को बैलेंस करने की कोशिश की है। योगी सरकार के पिछले कार्यकाल में भी ब्रजेश पाठक विधायी, न्याय एवं ग्रामीण अभियन्त्रण सेवा विभाग में कैबिनेट मंत्री थे। वह इस चुनाव में लखनऊ कैंट विधानसभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुरेंद्र सिंह गांधी को 39,512 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हराकर विधानसभा में पहुंचे हैं।

ब्रजेश पाठक ने राजनीति में कदम अपने छात्र जीवन में ही रख दिया था। वे 1989 में लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष और 1990 में अध्यक्ष चुने गए थे। उनके पास बी कॉम, एएलबी की डिग्री है और वह पेशे से वकील भी हैं। 25 जून, 1964 को हरदोई जिले के मल्लावां में जन्मे ब्रजेश, सुरेश पाठक और कमला पाठक की संतान हैं। मेनस्ट्रीम राजनीति की शुरुआत उन्होंने कांग्रेस से की और मल्लावां विधानसभा क्षेत्र से ही 2002 के विधानसभा में दांव लगाया, लेकिन मामूली मतों के अंतर से चुनाव हार गए।

लेकिन, जब 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर उन्नाव सीट से भाग्य आजमाया तो राजनीति में उन्हें पहली बड़ी कामयाबी मिली और वह चुनाव जीत गए। 2009 में बीएसपी सुप्रीमो ने उन्हें राज्यसभा में जगह दिलाई और पार्टी का मुख्य सचेतक बना दिया। बीएसपी ने 2012 में इनकी पत्नी नम्रता पाठक को भी उन्नाव सदर सीट से टिकट दिया, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सकीं। इससे पहले मायावती के कार्यकाल में नम्रता पाठक यूपी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं और उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला हुआ था। 2014 की मोदी लहर में ब्रजेश पाठक ने उन्नाव से हाथी की सवारी करनी चाही, लेकिन तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा।

राजनीति में इतने लंबे करियर की वजह से ब्रजेश पाठक अबतक सियासत के मौसम को परखना सीख चुके थे। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले उन्होंने बीजेपी का कमल थाम लिया। 2017 में भाजपा से उन्हें लखनऊ सेंट्रल से चुनाव लड़ने का टिकट मिला और वे अखिलेश सरकार में तब के कैबिनेट मंत्री रहे रविदास मेहरोत्रा को 5 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर विधानसभा में पहुंच गए। यूपी विधानसभा में यह उनकी पहली एंट्री थी और उन्हें मुख्यमंत्री योगी ने कैबिनेट मंत्री बनाया। इस बार उन्होंने लखनऊ कैंट से किस्मत आजमाई है और शानदार सफलता पाकर, उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए हैं।

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