मिली जानकारी के मुताबिक अयोध्या में जैसे ही राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ वैसे ही यहां पर जमीनों का न केवल दाम बढ़ गया

बल्कि सबसे अधिक खरीदारों की सूची देखी जाए तो यहां जमीन खरीददारों की ओर लग चुकी है जिसमें स्थानीय विधायक, नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदार बड़ी संख्या में शामिल हैं.

द इंडियन एक्सप्रेस की एक पड़ताल में पता चला है कि अयोध्या में तैनात अधिकारियों से लेकर तमाम बड़े नेताओं में अयोध्या में जमीन खरीदने के लिए प्रतिस्पर्धा प्रारंभ हो चुकी है.

अगर देखा जाए तो जिस जगह पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है उसके इर्द-गिर्द 5 किलोमीटर के दायरे में जमीनों की बिक्री बड़े पैमाने पर की गई है.

विधायक, महापौर और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य के अतिरिक्त डिविजनल कमिश्नर, उपमंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उपमहानिरीक्षक,

पुलिस के अधिकारी, राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों को मिलाकर ऐसे 14 मामले संज्ञान में आए हैं जिन्होंने यहां पर भविष्य को देखते हुए प्लॉट खरीदा है.

राम मंदिर के अनछुए तथ्य: 

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का निर्माण श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सानिध्य में नागर शैली में किया जा रहा है.

यहां राम की 161 फीट ऊंची मूर्ति बन रही है. राम मंदिर की इमारत को बनाने का कार्य अहमदाबाद के आर्किटेक्टर चंद्रकांत सोमपुरा को दिया गया है.

चंद्रकांत के बाबा प्रभाशंकर सोमपुरा ने ही गुजरात के प्रभास पाटन में सोममंदिर का निर्माण किया था।