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Covid-19 : शरीर में ज्यादा एंटीबॉडीज बनाने के लिए कोविड की वैक्सीन कब लगवाएं, जानिए सही टाइमिंग जिस पर वैज्ञानिकों ने भी मुहर लगाई छत्तीसगढ़ विहार

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Vacine

वैज्ञानिकों ने वैक्‍सीन लगवाने का समय और एंटीबॉडीज के बढ़ते लेवल के बीच एक कनेक्‍शन ढूंढा है. वैक्‍सीन पर हुई हालिया रिसर्च कहती है, सुबह वैक्‍सीन लगवाने के मुकाबले जिन हेल्‍थवर्कर्स ने दोपहर में कोविड वैक्‍सीन लगवाई उनमें एंटीबॉडीज का लेवल अध‍िक रहा.  यह दावा अमे‍रिका के मैसाच्‍युसेट्स जनरल हॉस्‍प‍िटल के वैज्ञानिकों ने अपनी हालिया रिसर्च में किया है।

वैक्‍सीन लगने के समय और एंटीबॉडीज के बीच क्‍या कनेक्‍शन है, कितने हेल्‍थवर्कर्स पर रिसर्च की गई, इन्‍हें कौन सी वैक्‍सीन दी गई, जानिए इन सवालों के जवाब

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वैक्‍सीन लगने के समय और एंटीबॉडीज के बीच क्‍या है कनेक्‍शन?

बायोलॉजिकल रिद्म्‍स जर्नल में पब्‍लि‍श रिसर्च कहती है, वैक्‍सीन और एंटीबॉडीज के बीच कनेक्‍शन की वजह है शरीर की बॉडी क्‍लॉक. इस बॉडी क्‍लॉक को सर्केडियन रिद्म्‍स कहते हैं. बॉडी क्‍लॉक को आसान भाषा में समझें तो दिन और रात में शरीर के काम करने का तरीका अलग-अलग होता है. इसी बॉडी क्‍लॉक के कारण ही शरीर में वैक्‍सीन का असर दिखता है।

रिसर्च करने वाले मैसाच्‍युसेट्स जनरल हॉस्‍प‍िटल का कहना है, इसे फेफड़ों के मरीजों के उदाहरण से समझ सकते हैं.  फेफड़ों के मरीजों में रात के मुकाबले दिन के समय लक्षण गंभीर दिखते हैं. हमने एक तरह की ऑब्‍जर्वेशनल स्‍टडी की है. जो बताती है कि वैक्‍सीनेशन का समय भी एंटीबॉडीज का लेवल बढ़ा सकता है।

 2,190 हेल्‍थ वर्कर्स पर ऐसे हुई रिसर्च

शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्‍सीन और एंटीबॉडीज के कनेक्‍शन को समझने के लिए यूके के 2,190 स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर रिसर्च की गई. इन्‍हें फाइजर और एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन लगाई गई. वैक्‍सीन लगाने का समय, उम्र, जेंडर भी नोट किया गया. कुछ समय बाद इनकी जांच करके यह जाना गया कि इनमें एंटीबॉडीज का लेवल क्‍या है।

रिसर्च कहती है, जिन मह‍िलाओं और युवाओं को दिन के समय वैक्‍सीन फाइजर की वैक्‍सीन लगी थी उनमें एंटीबॉडीज का लेवल ज्‍यादा था.

जितना गंभीर संक्रमण, उतनी ज्‍यादा एंटीबॉडी

एंटीबॉडीज के लेवल पर रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल के शोधकर्ता डेनियल बी हॉर्टन ने भी एक स्‍टडी की है. स्‍टडी के मुताबिक, आमतौर पर कोरोना से उबरने वाले मरीजों की एंटीबॉडीज 6 माह तक बरकरार रही. वहीं, जिसमें संक्रमण के गंभीर लक्षण दिखे उनमें 96 फीसदी मरीजों में एंटीबॉडीज अधिक बनीं।

क्‍या होती हैं एंटीबॉडीज और कैसे काम करती हैं 

आसान भाषा में समझें तो एंटीबॉडीज शरीर में एक सैनिक की तरह काम करती है जो एंटीजन यानी वायरस को पहचानकर उसे नष्‍ट करती हैं. वैक्‍सीन लगने के बाद उस खास तरह के वायरस को एंटीबॉडीज टार्गेटकरती हैं।

इसकी शुरुआत इम्‍यून सिस्‍टम की मेमोरी सेल्‍स से होती है. ये मेमोरी सेल्‍स वायरस या बैक्‍टीरिया को पहचानती हैं. जब भी शरीर में इनकी एंट्री होती है तो ये एंटीबॉडीज का निर्माण करने लगती हैं. यही एंटीबॉडीज वायरस या बैक्‍टी‍रिया को न्‍यूट्र‍िलाइज करने का काम करती हैं. इस तरह से ये संक्रमण को फैलने से रोकती है।

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