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ममता बनर्जी का बड़ा दांव, अलपन बंदोपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार बनाने का किया ऐलान

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केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच तनातनी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के तबादले को लेकर घमासान जारी है. इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा दांव खेला है. उन्होंने अलपन बंदोपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार बनाने का ऐलान किया है. मंगलवार से अलपन बंदोपाध्याय मुख्य सलाहकार के तौर पर काम शुरू करेंगे. वहीं, मुख्य सचिव पद की जिम्मेदारी हरिकृष्ण द्विवेदी को सौंपी गई है।

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ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा, ‘मैं अलपन बंदोपाध्याय को नबन्ना छोड़ने नहीं दूंगी. चूंकि अलपन बंदोपाध्याय 31 मई को सेवानिवृत्त हुए हैं, इसलिए वह दिल्ली में शामिल नहीं होने जा रहे हैं. वह अब मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार हैं.’ ममता बनर्जी ने आगे कहा कि अलपन 1 जून यानि कि मंगलवार से मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार का कार्यभार संभालेंगे।
ममता बनर्जी ने कहा, ‘मैंने जो केंद्र सरकार को पत्र लिखा था उसके जवाब में मुख्य सचिव से कल ‘नॉर्थ ब्लॉक’ में कार्यभार संभालने को कहा है. बंगाल के मुख्य सचिव को केंद्र में बुलाए जाने की वजह का जिक्र मुझे भेजे गए पत्र में नहीं है.’ उन्होंने कहा कि केंद्र किसी अधिकारी को राज्य सरकार की सहमति के बिना इसमें जॉइन करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है।
अमित शाह को बताया तानाशाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को तानाशाह बताते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि वो हिटलर और स्टालिन की तरह व्यवहार करते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं सभी राज्य सरकारों, विपक्षी नेताओं, आईएएस-आईपीएस, एनजीओ से एक साथ मिलकर संघर्ष करने की अपील करती हूं.’
केंद्र के प्रस्ताव को अलपन ने ठुकराया
केंद्र सरकार ने अलपन बंदोपाध्याय की सेवाओं को 3 महीने का विस्तार दिया था. लेकिन बंदोपाध्याय ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकराकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया. अब ममता ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है. बता दें कि केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार को बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया था, अलपन को सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली बुलाया गया था. लेकिन वो सोमवार को नहीं पहुंचे और बंगाल में ही अपने काम में जुटे रहे. अब केंद्र सरकार अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकारियों को लेकर केंद्र और राज्य के बीच में कोई विवाद होता है तो केंद्र का फैसला ही माना जाता है।

बाबा रामदेव ने कहा- इस विवाद को ईमानदारी और दिल से करना समाप्त चाहता हु

एलोपैथी VS आर्युवेद के बीच योग गुरु रामदेव का बड़ा बयान आया है. रामदेव ने कहा है कि हमारा अभियान ऐलोपैथी व श्रेष्ठ डाक्टर्स के खिलाफ नहीं है. हम मॉडर्न मेडिकल साइंस और डॉक्टर्स का सम्मान करते हैं. अभियान उन ड्रग माफियाओं के खिलाफ है जो 2 रुपये की दवाई को 2000 में बेचते हैं और गैरजरूरी ऑपरेशन व टेस्ट और अनावश्यक दवा का धंधा करते हैं. रामदेव ने कहा है, हम इस विवाद को खत्म करना चाहते हैं।

योग को नीचा न दिखाएं’

एक और ट्वीट करते हुए योग गुरु रामदेव ने लिखा है, यदि एलोपैथी में सर्जरी व लाइफ सेविंग ड्रग्स हैं तो शेष 98% बीमारियों का योग-आयुर्वेद में स्थाई समाधान है, हम इंटीग्रेटेड पैथी के पक्ष में है. योग-आयुर्वेद को स्यूडो-साइंस और अल्टरनेटिव थेरेपी कहकर मजाक उड़ाना व नीचा दिखाने की मानसिकता को देश बर्दाश्त नहीं करेगा।

अक्षय उतरे समर्थन में

इससे पहले आयुर्वेद के समर्थन में फिल्म स्टार अक्षय कुमार ने भी एक वीडियो शेयर किया. अक्षय ने कहा, ‘आप अपनी बॉडी के खुद ब्रांड अम्बेसडर बनें, सिंपल और हेल्दी लाइफ जीयें और दुनिया को दिखा दें कि हमारे हिंदुस्तानी योग व आयुर्वेद में जो ताकत है वह किसी अंग्रेज केमिकल इंजेक्शन में नहीं है।

जब ‘मेडिकल माफियाओं’ को दी चुनौती

इससे पहले शनिवार को रामदेव एक पुराना वीडियो शेयर कर कथित ‘मेडिकल माफियाओं’ को चुनौती दी थी. योग गुरु रामदेव ने फिल्म अभिनेता आमिर खान  के कार्यक्रम ‘सत्यमेव जयते’ का एक पुराना वीडियो शेयर किया. इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि फार्मा कंपनियों और डॉक्टरों की सांठगांठ के चलते ‘मोनोपली’  के कारण जरूरतमंद को कई गुना अधिक कीमत पर दवा खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है. वीडियो में समझाया जा रहा है कि जेनरिक दवा डॉक्टरों द्वारा लिखी जा रही दवाओं से कितनी सस्ती होती है फिर भी मरीज को महंगी दवा लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. रामदेव ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘इन मेडिकल माफियाओं में हिम्मत है तो आमिर खान के खिलाफ मोर्चा खोलें।

क्या है मामला

बता दें, एलोपैथी और एलोपैथिक चिकित्सकों पर की गई बाबा रामदेव की कथित टिप्पणी के बाद विवाद शुरू हुआ. IMA ने मोर्चा खोलते हुए रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने बाबा रामदेव को पत्र लिख सख्त संदेश दिया, जिसके बाद योग गुरु ने अपना बयान वापस ले लिया. लेकिन इसके तुरंत बाद रामदेव डॉक्टरों और फार्मा कंपनियों से सवाल पूछते हुए ओपन लेटर लिख दिया. वहीं आईएमए ने बाबा रामदेव को सार्वजनिक रूप से पैनल डिस्कशन के साथ बहस के लिए चुनौती दी है।

जेल प्रशासन ने तिहाड़ के 4,000 कैदियों को अंतरिम जमानत व पैरोल पर रिहा किया

दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले भले ही कम होने लगे हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से तिहाड़ जेल  में कैदियों और स्टॉफ की बड़ी संख्या में संक्रमित होने के मामले भी सामने आए हैं।

संक्रमित मामलों को कम करने और कोरोना की रोकथाम को लेकर अब जेल प्रशासन ने बड़ी संख्या में 4,000 कैदियों को जेल से अंतरिम जमानत और इमरजेंसी पैरोल पर रिहा किया है. तिहाड़ जेल में अब तक 500 से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं और 7 कैदियों की मौत भी हो चुकी है।

बताते चलें कि रविवार को भी पिछले 24 घंटे में 946 मामले रिकॉर्ड किए गए थे और 78 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई थी. रविवार को रिकवर्ड करने वालों की संख्या भी 1,803 रिकॉर्ड की गई थी. अब तक दिल्ली में कोरोना की वजह से 24,151 लोगों की मौत भी हो चुकी है. संक्रमित मरीजों की संख्या कम होने के चलते अब एक्टिव मामलों की संख्या भी कुल 12,003 रह गई है।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जेल में कैदियों की ज्यादा संख्या और कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए हाई पावर कमेटी ने यह निर्णय लिया था कि जेल से कुछ कैदियों को छोड़ा जाएगा.जानकारी के मुताबिक, दिल्ली की तिहाड़, रोहिणी और मंडोली जेल में कुल 10,026 कैदियों को रखने की क्षमता है. लेकिन बीते अप्रैल माह में इन जेलों में कैदियों की संख्या 20 हजार से ज्यादा हो गई थी. कोरोना संक्रमण जब जेल में तेजी से फैलने लगा तो इसकी चपेट में न केवल कैदी बल्कि जेल कर्मचारी भी आने लगे थे।

कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के चलते पूर्व सांसद और बाहुबली नेता शहाबुद्दीन समेत 7 कैदियों ने दम तोड़ दिया. जेल में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना बेहद मुश्किल हो रहा था. इसके चलते हाई पावर कमेटी ने कुछ नियम शर्तों के साथ 90 दिन के लिए इमरजेंसी पैरोल पर कैदियों को छोड़ने का निर्णय लिया था।

हाई पावर कमेटी ने जिस तरह के नियम व शर्त तय किए थे. उसके अनुसार जेल से करीब 5,000 कैदी छोड़े जाने हैं. बीते 10 दिनों के अंदर ही तिहाड़ जेल से ऐसे 4,000 से ज्यादा कैदी 90 दिन की इमरजेंसी पैरोल पर छोड़े गए हैं. यह अवधि समाप्त होने पर जेल प्रशासन हाई पावर कमेटी के साथ यह तय करेगा की पैरोल अवधि को आगे बढ़ाना चाहिए या उन्हें सरेंडर करवाया जाए।

जेल प्रशासन द्वारा अगर इन कैदियों को सरेंडर करने के लिए कहा जाता है तो उन्हें अगस्त माह के अंत में जेल जाकर सरेंडर करना होगा. जेल प्रसाशन का मानना है कि इन कैदियों के बाहर जाने से जेल में कोरोना संक्रमण रोकने में मदद मिलेगी।

समय पर लगवा लें वैक्सीन नहीं तो हो सकता है नुकसान, जानें कैसे

किसी भी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए वैक्सीन ही एकमात्र उपाय होता है. वैक्सीन ने प्राचीन समय में भी चेचक और पोलियो जैसी कई खतरनाक बीमारियों को खत्म किया है. कोरोना संकट में भी वैक्सीन लगवाना सभी के लिए जरूरी है. वैक्सीन ही सिर्फ एकमात्र रास्ता है, जिसके जरिए हम इस बीमारी से छुटकारा पा सकते है. वैक्सीन की प्रभावकारिता और जरूरत के बारे में सबूत होते हुए भी कुछ लोगों के मन में इसे लेकर संदेह है जो वैक्सीन की उपयोगिता को कम करते हैं।

मौजूदा दौर में भारत कोरोना की खतरनाक दूसरी लहर से जूझ रहा है, ऐसे में पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है कि लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित किया जाए ताकि भारत जल्दी सामान्य स्थिति में आ सके. यही कारण है कि हम बता रहे हैं कि क्यों किसी को वैक्सीन से डरने की ज़रूरत नहीं है और क्यों बिना देरी के हर किसी को टीका लगवाना चाहिए।

वैक्सीन वहां बीमारियों को रोकते हैं जहां मेडिकल देखभाल संभव नहीं है

कोविड-19 संकट के दौरान भारत में सबसे बड़ी चुनौती बेड और मेडिकल सुविधाओं की कमी की रही. समय पर टीकाकरण करने से देश की स्वास्थ्य सेवाओं के इस बोझ को कम किया जा सकता है और सुनिश्चित किया जा सकता है कि संभावित मरीजों को अंदर से सुरक्षित किया जा सके।

.वैक्सीन आपके प्रियजन और कम्यूनिटी की रक्षा करता है

बहुत से लोग जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है वह घातक बीमारी के वाहक बनकर अपने प्रियजनों को भी खतरे में डाल देते हैं. यह बीमारी को फैलाने वाला मकैनिज़्म है जो खासतौर पर कोविड-19 संकट के दौरान प्रभावी रहा, बहुत से परिवार के बुज़र्ग युवा असिम्पटोमैटिक सदस्यों से संक्रमित हुए।

वैक्सीन इलाज का खर्च कम करती है

यह कहा जा सकता है कि वैक्सीन देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के बोझ को कम करती है और साथ ही बीमारी के इलाज के खर्च को भी इसके कई सकारात्मक आर्थिक परिणाम भी है, क्योंकि एक स्वस्थ आबादी ज़्यादा प्रोडक्टिव और समृद्ध होती है।

वैक्सीन का वितरण आसान है

जैसे बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियानों के जरिए देश की बड़ी आबादी तक वैक्सीन जल्दी पहुंचाई जा सकती है, इस अभियान का मकसद कोविड-19 के खिलाफ सभी भारतीयों का टीकाकरण करना है. इसके अलावा हेल्थ केयर लीडर्स दुनिया के गरीब इलाकों में भी जल्दी वैक्सीन पहुंचाने के लिए अपने तरीके इजाद कर रहे हैं।

वैक्सीन दूसरी बीमारियों का खतरा भी कम करती है

वैक्सीन का एक सुखद साइड इफेक्ट यह है कि यह दूसरी बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करते हैं. दरअसल, यह शरीर के इम्यून सिस्टम को मज़बूत करते हैं. यह शरीर को उसी तरह के अन्य वायरस स्ट्रेन से लड़ने में मदद करते हैं जिसे टारगेट करके वैक्सीन बनाई गई है।

यही वजह है कि यदि सभी भारतीयों को कोविड-19 वैक्सीन लग जाए तो हम कोविड-19 को पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं. हमें टीकाकरण को अपनाना चाहिए और सभी तक सही जानकारी पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि सही जानकारी के साथ ही हम बीमारी मुक्त, खुशहाल भारत के निर्माण के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।

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