
उन्नाव रेप केस में दोषी पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2025 को बड़ी राहत दी है। अदालत ने 2017 के चर्चित रेप मामले में उनकी आजीवन कारावास की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित कर दिया और शर्तों के साथ जमानत मंजूर कर ली। हालांकि, सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, क्योंकि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उन्हें अभी जमानत नहीं मिली है।
यह फैसला सुनते ही पीड़िता ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया। इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन करते हुए उसने कहा, “ये मुझे मार देंगे। मैं खुदकुशी करना चाहती थी, लेकिन परिवार ने रोका।” पीड़िता ने आरोप लगाया कि सेंगर की रिहाई से उसका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। उसने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। पीड़िता की सुरक्षा हटा ली गई है, जिससे उसकी चिंता और बढ़ गई है। उसने कहा, “मेरे चाचा आज तक जेल में बंद हैं, जबकि सेंगर बाहर आने वाला है। न्याय कहां है?”
उन्नाव रेप केस ने 2017 में पूरे देश को झकझोर दिया था। नाबालिग पीड़िता ने सेंगर पर रेप का आरोप लगाया था। 2019 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामले में सेंगर के भाई अतुल समेत अन्य भी दोषी ठहराए गए। पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत और परिवार पर हमलों ने राजनीतिक हलचल मचा दी थी। भाजपा ने सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
हाईकोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार ओहरी और जस्टिस शालिंदर कौर की बेंच ने सेंगर की अपील पर सुनवाई करते हुए सजा निलंबित की। अदालत ने कहा कि अपील का फैसला आने तक सेंगर को राहत दी जा रही है, लेकिन शर्तें लागू रहेंगी। सेंगर को पासपोर्ट जमा करना होगा और दिल्ली-एनसीआर से बाहर जाने की अनुमति नहीं होगी।
इस फैसले पर विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि यह ‘वीआईपी न्याय’ का उदाहरण है। महिला अधिकार संगठनों ने पीड़िता की सुरक्षा की मांग की। उन्नाव केस ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर बहस छेड़ दी थी और अब यह फैसला नई बहस का विषय बन गया है। पीड़िता का संघर्ष जारी है, जबकि सेंगर की रिहाई की संभावना से समाज में गुस्सा है।









