
क्रिसमस के मौके पर घरों में सजी-धजी चिमनी पर रंग-बिरंगे मोजे (स्टॉकिंग्स) लटकाना एक बेहद लोकप्रिय परंपरा है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, सभी को उम्मीद रहती है कि सांता क्लॉज इन मोजों में तोहफे और मिठाइयाँ भर देंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई? इसका इतिहास काफी रोचक है।
माना जाता है कि इस परंपरा की जड़ें संत निकोलस से जुड़ी हैं, जिन्हें आज हम सांता क्लॉज के रूप में जानते हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, संत निकोलस एक गरीब परिवार की मदद करना चाहते थे, जिनके पास अपनी बेटियों की शादी के लिए दहेज तक नहीं था। एक रात उन्होंने चुपचाप उस घर की चिमनी से सोने के सिक्के नीचे डाल दिए। संयोग से ये सिक्के आग के पास सूख रहे मोजों में जाकर गिर गए।
सुबह जब परिवार ने मोजों में सोने के सिक्के पाए, तो वे आश्चर्यचकित और बेहद खुश हुए। धीरे-धीरे यह कहानी लोगों में फैल गई और क्रिसमस के दिन मोजे लटकाने की परंपरा बन गई। माना जाने लगा कि सांता क्लॉज चिमनी के रास्ते घर में आते हैं और अच्छे बच्चों के लिए मोजों में उपहार छोड़ जाते हैं।
यूरोप और बाद में अमेरिका में यह परंपरा और लोकप्रिय हुई। समय के साथ मोजे साधारण कपड़े से निकलकर सजावटी स्टॉकिंग्स में बदल गए, जिन पर बच्चों के नाम लिखे जाने लगे। आज यह परंपरा न केवल उपहार पाने की उम्मीद से जुड़ी है, बल्कि प्रेम, उदारता और खुशियाँ बांटने का प्रतीक भी बन चुकी है।







