
संसद के शीतकालीन सत्र में 18 दिसंबर 2025 को लोकसभा में विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 (VB-G RAM G बिल) को भारी विरोध और हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस बिल का नाम ‘जी राम जी’ रखा गया है, जो मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेगा। विपक्ष ने इसे महात्मा गांधी का अपमान और ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों पर हमला करार दिया।
सदन में क्या हुआ?
विपक्षी सांसदों ने बिल के विरोध में वेल में उतरकर जोरदार नारेबाजी की।
कई सांसदों ने विधेयक की कॉपियां फाड़कर स्पीकर की कुर्सी की ओर फेंक दीं।
हंगामे इतना बढ़ा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही शुक्रवार सुबह तक स्थगित कर दी।
विपक्ष ने मांग की कि बिल को स्थायी समिति के पास भेजा जाए, लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दिया।
इससे पहले बुधवार को बिल पर 14 घंटे की बहस हुई, जिसमें 98 सांसदों ने हिस्सा लिया।
बिल के मुख्य प्रावधान
रोजगार गारंटी: हर ग्रामीण परिवार को साल में 125 दिन का गारंटीड वेज एम्प्लॉयमेंट (पहले 100 दिन)।
फोकस क्षेत्र: जल सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका और जलवायु परिवर्तन से निपटने वाले कार्य।
फंडिंग: केंद्र-राज्य साझेदारी (60:40 अनुपात, कुछ राज्यों में 90:10)।
अन्य बदलाव: खेती के मौसम में काम रोका जा सकता है, डिजिटल निगरानी से पारदर्शिता बढ़ेगी।
सरकार का दावा: यह बिल मनरेगा की कमियों (जैसे फंड का गलत इस्तेमाल) को दूर करेगा और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को मजबूत बनाएगा।
विपक्ष का विरोध
कांग्रेस, टीएमसी, सपा, डीएमके सहित विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि:
महात्मा गांधी का नाम हटाकर उनकी विरासत का अपमान किया जा रहा है।
बिल से राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा और रोजगार गारंटी कमजोर होगी।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, “यह गरीबों के अधिकार छीनने की साजिश है।”
विपक्ष ने संसद परिसर में मार्च निकाला और बिल वापस लेने की मांग की।
सरकार का जवाब
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा:
हम महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते हैं। मनरेगा में पहले गांधी जी का नाम नहीं था, 2009 में चुनावी फायदे के लिए जोड़ा गया।
मोदी सरकार ने इसे बेहतर तरीके से लागू किया है।
नया बिल गरीबों को मजबूत बनाएगा, न कि कमजोर।
आगे क्या?
बिल अब राज्यसभा में जाएगा, जहां भी विरोध की उम्मीद है। विपक्ष ने 19 दिसंबर से राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। यह बिल ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दे सकता है, लेकिन राजनीतिक विवाद से सफलता पर असर पड़ सकता है।






