
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धि हासिल की है। इसने पहली बार सूर्य से निकलने वाली कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के प्रभाव को चंद्रमा की एक्सोस्फीयर पर दर्ज किया।
CME क्या है?
कोरोनल मास इजेक्शन (CME) सूर्य से निकलने वाली अत्यधिक ऊर्जा और आवेशित कणों की एक धारा होती है, जो सौर हवाओं के रूप में अंतरिक्ष में फैलती है।
चंद्रमा पर CME का असर
जब यह सौर लहरें चंद्रमा से टकराती हैं, तो चंद्रयान-2 के “चंद्रमा एक्सोस्पेयर मॉनिटरिंग” उपकरण ने रिकॉर्ड किया कि इस घटना का असर चंद्रमा के चारों ओर मौजूद बेहद पतली गैसों की परत, जिसे एक्सोस्फीयर कहते हैं। विशेष रूप से, सोडियम कणों की मात्रा में उछाल आया।
वैज्ञानिक महत्व
यह खोज अंतरिक्ष मौसम और चंद्रमा के वातावरण के अध्ययन में मील का पत्थर साबित हो रही है। इससे यह स्पष्ट रूप से समझने में मदद मिली है कि सौर घटनाएं, जैसे की CME, चंद्रमा के वातावरण को कैसे प्रभावित करती हैं। यह जानकारी भविष्य के चंद्र मिशनों और स्पेस वेदर अध्ययन के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस महत्वपूर्ण वैज्ञानिक योगदान के कारण इसरो को वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। इस उपलब्धि ने चंद्रयान-2 को अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई दिशा दी है और भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को और भी सशक्त किया है।