
बिहार की राजनीति अब सिर्फ नारों से नहीं, बल्कि सवालों से तय होगी। राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा ने जनता के बीच दो सवाल खड़े कर दिए हैं—
“वोट चोर गद्दी छोड़” और “Original CM या Duplicate CM?”
तेजस्वी यादव ने इस सवाल को सीमांचल की धरती पर जिस अंदाज़ में उठाया, उसने सीधे नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा कर दिया। कटिहार की कदवा सभा में उमड़ी भीड़ ने साफ कर दिया कि बिहार अब बदलाव के मूड में है।नीतीश कुमार की राजनीति का इतिहास पलटीबाज़ी से भरा है। कभी इधर तो कभी उधर—कुर्सी बचाने के लिए उन्होंने जनता की भावनाओं को बार-बार छलनी किया। यही वजह है कि आज उन्हें लोग “Duplicate CM” कह रहे हैं।
जनता पूछ रही है—जो नेता अपने फैसलों में “Original” न हो, वो जनता का असली रहनुमा कैसे हो सकता है?
इसके उलट, तेजस्वी यादव ने भीड़ के बीच जिस आत्मविश्वास के साथ अपनी दावेदारी पेश की, वह बताता है कि बिहार की नई पीढ़ी उन्हें “Original CM” मानने को तैयार बैठी है। राहुल गांधी की मौजूदगी ने इस नैरेटिव को और मजबूती दी। अररिया में भले ही राहुल ने डिप्लोमैटिक जवाब दिया हो, लेकिन आरा में दोनों नेताओं ने मिलकर साफ कर दिया—
बिहार की लड़ाई अब असली बनाम नकली की है।
यह नारा सिर्फ चुनावी जुमला नहीं, बल्कि बिहार की जनता का गुस्सा और उम्मीद है।
एक तरफ है नीतीश कुमार की थकी हुई, टूट चुकी और अविश्वसनीय छवि।
दूसरी तरफ है तेजस्वी यादव की नई ऊर्जा, भीड़ की दीवानगी और राहुल गांधी का समर्थन।
आने वाले चुनावों में असली सवाल यही होगा
बिहार को चाहिए “Original CM” या फिर “Duplicate CM” जो सिर्फ कुर्सी बचाने के लिए राजनीति करता है?जनता का मूड बताता है—इस बार पटना के तख़्त पर नकली नहीं, असली बैठेगा।