
नई दिल्ली
यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाम लगाने की चेतावनी देते हुए कहा गया कि वह रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर आयात शुल्क (टैरिफ) में भारी वृद्धि करेंगे, तो भारत की वित्तीय, आर्थिक सुरक्षा पर मंडराती इस चुनौती के खिलाफ विदेश मंत्रालय ने जोरदार प्रतिक्रिया दी।विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस चेतावनी को “अनुचित और गैरतर्कसंगत” बताया। MEA प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत ने रूस से तेल, उर्वरक और अन्य आवश्यक वस्तुएँ इसलिए खरीदीं क्योंकि वैश्विक बाजार में उपलब्धता और उचित मूल्य सुनिश्चित करना जरूरी था। उन्होंने कहा, “भारत की आयात नीतियाँ भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं,” और “यह एक संसद या अदालत का मामला नहीं कि कौन देशभक्त है और कौन नहीं।” MEA ने पश्चिमी देशों की दोहरे मानदंड की आलोचना करते हुए बताया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ भी रूस से महत्वपूर्ण वस्तुएँ आयात करते हैं—जैसे यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (नैदानिक उर्जा के लिए), पैलाडियम (इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए), उर्वरक और रसायन। जबकि ये आयात भारत की तरह राष्ट्रीय जरूरतों पर आधारित नहीं, फिर भी खुलेआम हो रहे हैं। MEA ने स्पष्ट किया कि पश्चिमी देशों ने युद्ध के दौरान भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था, ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर रहे।
MEA की मुख्य बातें
- ट्रम्प की आलोचना “अन्यायपूर्ण” और “तर्कहीन” है।
- भारत अपनी राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है, और आवश्यकतानुसार कदम उठाएगा।
- भारत की प्राथमिकता है उपभोक्ता को सस्ती ऊर्जा मिले और देश की ऊर्जा सुरक्षा बनी रहे।
राजनीतिक और द्विपक्षीय पहलू
ट्रम्प के बयान से भारत और यूएस के बीच आर्थिक तनाव उभरे हैं। ट्रम्प ने पहले ही 1 अगस्त से भारत की आयात के लिए 25% टैरिफ लागू कर दिया है, और अब उस दशा में “महत्वपूर्ण” वृद्धि की धमकी दी है जैसे कि 100% तक टैरिफ संभव हो सकता है। भारत-US के बीच व्यापारिक वार्ताएँ जारी हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह तर्कसंगत, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते की दिशा में काम कर रहा है, और अपने किसानों और उद्योगों को सुरक्षा देना भी प्राथमिकता है। भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है। ट्रम्प की टिप्पणियों को भारत ने दोहरावयुक्त और अनुचित बताया है, और यह कहा है कि जो वस्तुएँ वह रूस से ले रहा है,वही यूएस और यूरोप भी कर रहे हैं, लेकिन किसी भी दायित्व में फंसे बिना। MEA ने यह स्पष्ट किया कि देश की नीति बिल्कुल राष्ट्रीय आवश्यकता पर आधारित है और इस आधार पर भारत सभी आवश्यक निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगा।