हरिद्वार धर्म संसद : हेट स्पीच केस में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार, सिब्बल ने कहा ‘शस्त्रमेव जयते’ हो गया है देश का नारा
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Mohammad Siraj
हरिद्वार धर्म संसद : हेट स्पीच केस में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार, सिब्बल ने कहा ‘शस्त्रमेव जयते’ हो गया है देश का नारा
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट सोमवार को हरिद्वार में धर्म संसद में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दिए गए नफरत भरे भाषणों के संबंध में आपराधिक कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तत्काल सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया।
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “हम अलग-अलग समय में रह रहे हैं जहां देश में नारे सत्यमेव जयते से बदल गए हैं।” उन्होंने अदालत से कहा कि सत्यमेव जयते की जगह अब शस्त्रमेव जयते की बातें हो रही हैं।
पीठ ने सिब्बल से कहा, “हम इस पर गौर करेंगे। पीठ ने सिब्बल से यह भी पूछा कि क्या कुछ जांच चल रही है? सिब्बल ने जवाब दिया कि प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और अदालत के हस्तक्षेप के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। संक्षिप्त सुनवाई के बाद, पीठ मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गई।
गौरतलब हैं कि याचिका पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज जस्टिस अंजना प्रकाश और वरिष्ठ पत्रकार कुर्बान अली ने दाखिल की है। कुर्बान दिल्ली के रहने वाले हैं और उन्होंने बीबीसी, दूरदर्शन न्यूज़ और राज्यसभा टीवी जैसे प्रसिद्ध चैनलों में काम किया है।
याचिका में मुस्लिमों के खिलाफ हेट स्पीच (Hate Speech) की SIT से स्वतंत्र, विश्वसनीय और निष्पक्ष जांच की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि ‘ये केवल हेट स्पीच नहीं बल्कि पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान के समान था। इस हेट स्पीच ने लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को खतरे में डाल दिया। हेट स्पीच हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा है, लेकिन करीब 3 हफ्ते बीत जाने के बावजूद पुलिस अधिकारियों द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।
पुलिस की निष्क्रियता न केवल हेट स्पीच देने की अनुमति देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पुलिस अधिकारी वास्तव में सांप्रदायिक हेट स्पीच के अपराधियों के साथ हाथ मिला रहे हैं।’
याचिका में दिल्ली में हुए हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम की भी जांच की मांग की गई है। याचिका में केंद्रीय गृहमंत्रालय, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और उतराखंड के DGP को पक्षकार बनाया गया है।
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