बॉम्बे हाई कोर्ट ने उद्योगपति विजयपत सिंघानिया की आत्मकथा ‘एन इनकंप्लीट लाइफ’ की बिक्री, प्रसार और वितरण पर लगायी रोक
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Mohammad Siraj
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2019 में रेमंड लिमिटेड और इसके अध्यक्ष गौतम सिंघानिया ने ठाणे जिला सत्र अदालत और मुंबई की एक दीवानी अदालत में मुकदमा दायर किया था, जिसमें दावा किया गया था कि पुस्तक की सामग्री मानहानिकारक है।
कंपनी ने गुरुवार को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर तत्काल राहत की मांग करते हुए दावा किया कि विजयपत सिंघानिया ने रविवार (31 अक्टूबर) को गुप्त रूप से 232 पन्नों की किताब का विमोचन किया। गुरुवार को न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ ने रेमंड की याचिका पर सुनवाई की और पुस्तक की बिक्री, वितरण और प्रसार पर रोक लगाने का आदेश पारित किया।
कंपनी ने एचसी से प्रकाशकों, मैकमिलन पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड को पुस्तक के आगे वितरण, बिक्री या उपलब्ध कराने से रोकने की मांग की। अधिवक्ता कार्तिक नायर, ऋषभ कुमार और कृष कालरा के माध्यम से दायर याचिका में दावा किया गया है कि विजयपत सिंघानिया और प्रकाशकों ने ठाणे जिले में सत्र अदालत द्वारा जारी अप्रैल 2019 के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसके द्वारा आत्मकथा के विमोचन पर निषेधाज्ञा जारी की गई थी।
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