07/06/2021

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अब टीकाकरण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र के कंधों पर, सभी को मिलेगी फ्री वैक्सीन जानें पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

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अब टीकाकरण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र के कंधों पर, सभी को मिलेगी फ्री वैक्सीन… जानें पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

अब टीकाकरण की पूरी जिम्मेदारी केंद्र के कंधों पर, सभी को मिलेगी फ्री वैक्सीन... जानें पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के नाम अपने संबोधन में टीकाकरण अभियान की पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार के कंधों पर होने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि राज्यों की अपील पर पहले टीकाकरण की 25 प्रतिशत जिम्मेदारी राज्यों को दी। बाद में इसमें कुछ दिक्कतें देखने को मिलीं। इसे देखते हुए सरकार ने तय किया है कि 21 जून यानी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए राज्यों को केंद्र सरकार मुफ्त में वैक्सीन देगी। राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में पीएम मोदी ने गरीबों के लिए मुफ्त राशन योजना का लाभ दीपावली तक बढ़ाने की घोषणा की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन की 15 बड़ी बातें

1- कोरोना की दूसरी लहर में कोविड अस्पताल बनाने से लेकर आईसीयू बेड बढ़ाने तक में देश ने काफी तेज गति से काम किया है। कोविड से लड़ने के लिए बीते सवा साल में एक नया हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया है। दूसरी लहर में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ी। भारत के इतिहास में इतनी मात्रा में कभी भी जरूरत महसूस नहीं हुई थी।  इसे पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया। ऑक्सीजन एक्सप्रेस, एयरफोर्स, नौसेना की मदद ली गई। आज के समय में दस गुना उत्पादन बढ़ गया है।

2- कोरोना की लड़ाई में दवाइयों की कमी भी देखने को मिली। दुनिया के हर कोने से जो कुछ भी उपलब्ध हो सकता था उसे लाया गया। जरूरी दवाओं के उत्पादन को कई गुना बढ़ाया गया। विदेशों से दवाइयां और इंजेक्शन मंगाई गई।

3- कोरोना जैसे अदृश्य और रूप बदलने वाले दुश्मन के खिलाफ लड़ाई में सबसे बड़ा हथियार कोविड प्रोटोकॉल है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। मास्क लगाए रखें। इस लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है।

4- आज पूरे विश्व में वैक्सीन की मांग की तुलना में उत्पादन करने वाले देश और कंपनियां काफी कम हैं। अभी भारत के पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता। भारत को विदेशों से वैक्सीन प्राप्त करने में दशकों लग जाते थे। विदेशों में वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे यहां टीकाकरण शुरू नहीं होता था। पोलियो, चेचक जैसे टीकों के लिए देश ने लंबा इंतजार किया था।

5- भारत में टीकाकरण का कवरेज 2014 में सिर्फ 60 प्रतिशत के आसपास था। यह चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से टीकाकरण चल रहा था, 40 साल लग जाते। हमने मिशन इंद्रधनुष लॉन्च किया। इसके जरिए युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया जा रहा है। मिशन मोड में काम किया। सिर्फ 5-6 साल में वैक्सीनेशन कवरेज 60 से बढ़कर 90 प्रतिशत से ज्यादा हो गई। हमने टीकाकरण की स्पीड भी बढ़ाई और दयरा भी बढ़ाया।

6- हमने बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई टीकों को शामिल किया। हमें गरीब के बच्चों की चिंता थी। देश 100 प्रतिशत टीकाकरण की तरफ बढ़ रही था कि कोरोना संक्रमण ने हमें घेर लिया। आशंकाएं घिरने लगीं कि भारत कैसे इससे बच पाएगा।

7- जब नीयत साफ हो, नीति स्पष्ट होती है तो नतीजे मिलते हैं। भारत एक साल के भीतर ही दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दिया।  वैज्ञानिकों ने दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों के पीछे नहीं है। अब तक 23 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। हमारे प्रयासों से हमें सफलता तब मिलती है जब हमें खुद पर भरोसा होता है। हमें पूरा विश्वास था कि हामारे वैज्ञानिक सफल होंगे। रिसर्च वर्क के दौरान ही दूसरी तैयारियां शुरू कर दी गईं। पिछले साल जब कोरोना के कुछ ही हजार केस थे तभी वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था।

8- सरकार ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हर तरीके से सपोर्ट किया। क्लीनिकल ट्रायल और रिचर्स के लिए फंड दिया गया। आत्मनिर्भर भारत के तहत हजारों करोड़ों रुपए उपलब्ध कराए गए। आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई और भी ज्यादा बढ़ने वाली है।

9- आज देश में सात कंपनी विभिन्न वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही हैं। दूसरे देशों से भी वैक्सीन खरीदने की प्रक्रिया तेज किया गया है। बच्चों को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। इस दिशा में भी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। नेजल वैक्सीन पर भी रिसर्च जारी है। देश को अगर निकट भविष्य में सफलता मिलती है तो भारत के टीकाकरण अभियान में और तेजी आएगी। इतने कम समय में वैक्सीन बनाना पूरी मानवता के लिए बड़ी उपलब्धी है।

10- वैक्सीन बनने के बाद दुनिया के कम ही देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ। WHO ने टीकाकरण को लेकर गाइडलाइन्स दी। भारत ने भी मानक के आधार पर चरणबद्ध तरीके से वैक्सीनेशन करना तय किया। मुख्यमंत्रियों से मिले सुझाव के बाद ही तय हुआ कि जिन्हें कोरोना से ज्यादा खतरा है उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।

11- अगर कोरोना की दूसरी लहर से पहले हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन नहीं दी गई होती तो क्या होता। ज्यादा से ज्यादा हेल्थ वर्कर्स टीकाकरण के कारण ही देशवासियों का जीवन बचा पाए।

12- देश में कम होते कोरोना के मामलों के बीच केंद्र सरकार के पास कई तरह की मांगेे आने लगीे। पूछा जाने लगा कि राज्य सरकारों को क्यों नहीं छूट दी जा रही है। दलील यह दी गई संविधान में हेल्थ राज्य का विषय है। इसलिए अच्छा है कि राज्य ही तय करे। भारत सरकार ने गाइडलाइन्स बनाकर राज्यों को दी। स्थानीय स्तर पर कोरोना कर्फ्यू लगाना हो। कंटेनमेंट जोन बनाना हो। भारत सरकार ने राज्यों के इसके लिए नियम बनाकर दिए।

13- 16 जनवरी से अप्रैल तक भारत सरकार के द्वारा टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा था। कई राज्य सरकारों ने टीकाकरण का काम राज्यों पर छोड़ने के लिए कहा। किसी ने कहा उम्र की सीमा केंद्र ही क्यों तय करे। आवाज उठी कि बुजुर्गों को पहले टीका क्यों दिए जा रहे हैं। काफी चिंता करने के बाद इस बात पर सहमति बनी कि राज्य सरकारों की मांग को देखते हुए 16 जनवरी से चली आ रही व्यवस्था में बदलाव किया गया।

14- 25 प्रतिशत का काम राज्यों को दे दिया जाए। 1 मई से राज्यों को 25 प्रतिशत काम दे दिया गया। इसे पूरा करने के  लिए सभी ने प्रयास किए। पूरी दुनिया में वैक्सीन की क्या स्थिति है इससे राज्य परिचित हुए। राज्य सरकारें कहने लगीं की पहली व्यवस्था ही अच्छी थी। राज्यों के मन बदलने लगे। राज्यों की इस मांग पर हमने सोचा कि देशवासियों को तकलीफ ना हो। इसके लिए एक मई के पहले वाली व्यवस्था को फिर से लागू किया जाए।

15- आज यह निर्णय लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ी 25 प्रतिशत जिम्मेदारी भी केंद्र सरकार उठाएगी। अगले दो सप्ताह में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर गाइडलाइन्स तय कर लेगी। 21 जून से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देगी। देश के  किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं होगा। अब 18 साल से अधिक उम्र के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे।

16- आज सरकार ने फैसला लिया है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। महामारी के इस समय में, सरकार गरीब की हर जरूरत के साथ, उसका साथी बनकर खड़ी है। यानी नवंबर तक 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को, हर महीने तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा।

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