बांदा में ग्राम पंचायतों का चुनाव, रच दिया गया इतिहास
बांदा। पंचायत चुनाव में बांदा जिला ने इतिहास रच दिया।ग्राम पंचायतों के एक चौथाई यानी 25 फीसदी वार्डों में सदस्यों का चुनाव न हो पाने से नई ग्राम पंचायतों को कोरम के संकट से जूझना पड़ सकता है। इन वार्डों में सदस्यता के लिए कोई नामांकन ही दाखिल नहीं हुए।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के इतिहास में शायद यह पहला अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में गांवों के वार्ड का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई आगे नहीं आया है। ग्राम पंचायतों में सदस्यों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मानक के अनुसार, ग्राम पंचायत की आबादी के आधार पर कम से कम 9 से 15 सदस्य होने चाहिए। उधर, ग्राम पंचायतों में सदस्यों की उपेक्षा और अनदेखी और उनके महत्व को दर किनार करने से ग्रामीणों में अब सदस्य पद को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं रही। मौजूदा चुनाव में यह तथ्य सामने आया है। जनपद की 269 ग्राम पंचायतों में 6153 वार्ड हैं। इनमें 4153 वार्डों में ही 5968 नामांकन हुए हैं। 2000 वार्डों में किसी ने नामांकन नहीं कराया। 70 फीसदी वार्डों में एक-एक ही नामांकन हुए हैं। ऐसे में गांव की नई सरकार के समक्ष बैठक में कोरम पूरा होना मुश्किल होगा। इन वार्डों में दोबारा चुनाव कराने होंगे।
क्योकि पंचायत की बैठक का कोरम पूरा करने के लिए आधेे से ज्यादा सदस्यों की उपस्थिति जरूरी है। इसी तरह ग्राम पंचायत द्वारा कोई निर्णय लेने के लिए आधे से ज्यादा सदस्यों की सहमति होनी चाहिए। कोरम पूरा न होने पर बैठक स्थगित हो जाती है। ग्राम पंचायत की छह समितियों जल संसाधन, स्वास्थ्य समिति, प्रशासनिक समिति, निर्माण समिति, विकास एवं नियोजन का अध्यक्ष सदस्यों को ही बनाया जाता है। बिना समिति के प्रस्ताव के कार्य नहीं हो सकते। समिति मिड-डे मील, मरम्मत आदि क्रिया कलापों निगरानी सुनिश्चित करती है। सदस्यों को बीपीएल सूची से अपात्रों का नाम काटने व पात्रों का नाम जोड़ने का अधिकार होता है।
जिला पंचायत अधिकारी सर्वेश कुमार कहते हैं कीआयोग के निर्देश पर हाेंगे चुनाव । जिन वार्डों में नामांकन नहीं हो पा रहे हैं, वहां राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर दोबारा चुनाव होगा। निर्णय में सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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