
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में एक सम्मेलन में दावा किया कि चीन ने 2025 में कई अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने में भूमिका निभाई, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने का तनाव भी शामिल है। वांग यी ने कहा कि चीन ने “निष्पक्ष और न्यायसंगत रुख” अपनाते हुए उत्तरी म्यांमार, ईरान परमाणु मुद्दे, भारत-पाक तनाव, फिलिस्तीन-इजराइल और कंबोडिया-थाईलैंड संघर्ष में मध्यस्थता की। उन्होंने इसे चीन की “हॉटस्पॉट मुद्दों को सुलझाने की नीति” का हिस्सा बताया।
यह दावा मई 2025 के भारत-पाक सैन्य टकराव के संदर्भ में आया है, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर हमले किए। चार दिन चले इस टकराव के बाद 10 मई को युद्धविराम हुआ।
भारत ने चीन के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। सरकारी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत से हुआ था। पाकिस्तान ने भारतीय डीजीएमओ से युद्धविराम की गुहार लगाई थी। भारत का रुख रहा है कि भारत-पाक द्विपक्षीय मुद्दों में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है। विदेश मंत्रालय ने पहले भी ऐसे दावों को खारिज किया है।
चीन का दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समान है, जिन्होंने भी इस युद्धविराम में अपनी भूमिका का बार-बार जिक्र किया, जिसे भारत ने अस्वीकार किया। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह बयान अपनी वैश्विक शांति ब्रोकर की छवि मजबूत करने की कोशिश है, जबकि संघर्ष के दौरान चीन ने पाकिस्तान को सैन्य सहायता दी थी।







