
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने साल के अंत में अपनी प्रेस ब्रीफिंग में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर ड्रोन हमले किए थे। डार के अनुसार, भारत ने 36 घंटों के अंदर कम से कम 80 ड्रोन भेजे थे, जिनमें से पाकिस्तानी सेना ने 79 को रोकने में सफलता हासिल की, लेकिन एक ड्रोन नूर खान एयरबेस तक पहुंच गया और वहां सैन्य ठिकाने को नुकसान पहुंचाया। इस हमले में कई जवान घायल भी हुए।
यह कबूलनामा पाकिस्तान के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया है, क्योंकि इससे पहले इस्लामाबाद लगातार इनकार करता रहा था कि ऑपरेशन सिंदूर से उसके सैन्य ठिकानों को कोई बड़ा नुकसान हुआ। नूर खान एयरबेस रावलपिंडी के चकलाला क्षेत्र में स्थित पाकिस्तान वायुसेना का प्रमुख केंद्र है, जो रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। यह पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय से महज कुछ किलोमीटर दूर है और ड्रोन कमांड सेंटर सहित कई संवेदनशील सुविधाओं का घर है। भारतीय हमलों में इस बेस पर आग लगने की घटनाएं भी सामने आई थीं, जिनके वीडियो पाकिस्तानी नागरिकों ने सोशल मीडिया पर साझा किए थे।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला था, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी थी। जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। बाद के चरणों में यह संघर्ष बढ़ा और भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस, जिसमें नूर खान शामिल था, पर सटीक हमले किए। सैटेलाइट इमेजेस और ओएसआईएनटी रिपोर्ट्स से पता चला कि कई बेसों को भारी नुकसान पहुंचा, जिसमें लड़ाकू विमान और इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हुए।
पाकिस्तानी दावों के विपरीत, भारतीय रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने डार के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि यदि केवल ‘मामूली नुकसान’ हुआ तो पाकिस्तानी मीडिया ने 138 सैनिकों को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार क्यों दिए? उनका अनुमान है कि वास्तविक हताहतों की संख्या 400-500 तक हो सकती है।








