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‘वोट चोरी’ पर शाह का पलटवार: नेहरू, इंदिरा से लेकर इम्युनिटी तक कई उदाहरण गिनाए

‘वोट चोरी’ पर शाह का पलटवार
‘वोट चोरी’ पर शाह का पलटवार
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Written by
Rishabh Rai

लोकसभा में बुधवार को चुनाव सुधार से जुड़े SIR मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कई ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए तीखा पलटवार किया। शाह ने कहा कि विपक्ष SIR को वोट चोरी का औजार बताकर जनता में भ्रम फैला रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि SIR सिर्फ एक तकनीकी सुधार है, जिसका मकसद मतदान सूची की शुद्धि करना है।

शाह ने कहा कि वोट चोरी के तीन आयाम होते हैं

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  • मतदाता मौजूद न होना,
  • गलत तरीके से चुनाव जीतना,
  • जनादेश न मिलने पर पद हथियाना।

इसी संदर्भ में शाह ने कहा कि देश में पहली वोट चोरी आजादी के तुरंत बाद हुई, जब प्रधानमंत्री के चयन में पटेल को 28 वोट और नेहरू को केवल 2 वोट मिले थे, फिर भी प्रधानमंत्री नेहरू बने। शाह ने कहा, प्रांतों के प्रतिनिधियों ने जो मतदान किया था, वह जनइच्छा का सटीक प्रतिबिंब नहीं था। इसके बावजूद पद नेहरू जी को मिला। क्या यह वोट चोरी नहीं थी?

इसके बाद शाह ने 1975 के ऐतिहासिक रायबरेली केस का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द की क्योंकि चुनाव उचित तरीके से नहीं जीता गया था। “यह सिद्ध हुआ था कि गलत तरीकों से चुनाव जीता गया। इसे ढकने के लिए कानून लाया गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ केस नहीं चल सकता। ये वोट चोरी की क्लासिक मिसाल है।

शाह ने कहा कि विपक्ष की यह दलील कि सरकार चुनाव आयुक्तों को इम्युनिटी दे रही है, पूरी तरह गलत है। “इंदिरा गांधी ने खुद को इम्युनिटी दी थी। विपक्ष इस पर क्यों मौन है? चर्चा के दौरान शाह ने SIR से जुड़ी तकनीकी समस्याओं का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि एक जगह से दूसरी जगह जाने पर मतदाता सूची से नाम हटाने का अधिकार निर्वाचन अधिकारियों से वापस ले लिया गया था। इसी वजह से गड़बड़ियां हुईं, जिन्हें अब सुधारना है। इसे वोट चोरी बताना सरासर गलत है

राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए शाह ने कहा कि विपक्ष अपनी हार को छिपाने के लिए लगातार चुनाव आयोग और पूरी चुनावी प्रणाली पर अविश्वास जता रहा है। बिहार में हम दो-तिहाई बहुमत से जीते। ये नहीं जीते तो चुनाव आयोग को बदनाम कर दिया। हमने जब-जब चुनाव हारे, कभी EC पर उंगली नहीं उठाई।

सोनिया गांधी वाले विवाद पर भी शाह ने राय रखी। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सिविल अदालत में यह मामला लंबित है कि सोनिया गांधी ने मतदाता बनने से पहले ही वोट दिया था या नहीं। ये अदालत का विषय है। विपक्ष इसे राजनीति का मुद्दा क्यों बना रहा है? मैंने कोई निष्कर्ष नहीं दिया, सिर्फ तथ्य रखे हैं।

अपने पूरे भाषण में शाह ने बार-बार कहा कि SIR को वोट चोरी बताना राजनीतिक भ्रम है। “वास्तविक वोट चोरी क्या होती है, इसके उदाहरण इतिहास में हैं। विपक्ष जिन बातों को मुद्दा बता रहा है, वे तकनीकी त्रुटियाँ हैं, जिनका समाधान SIR देने जा रहा है।

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