पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। लम्बे समय से सूबे की सत्ता का चेहरा बने नीतीश कुमार एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार हैं। वे 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। मंगलवार को उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया। उनके साथ एनडीए के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे।सूत्रों के अनुसार, विधानसभा में NDA का बहुमत स्पष्ट है और समर्थन पत्र के साथ गठबंधन ने राज्यपाल को बताया कि वे स्थिर सरकार देने की स्थिति में हैं। इस बीच महागठबंधन में हलचल तेज हो गई है। कुछ नेताओं ने नीतीश कुमार के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, वहीं कई इसे “बिहार की स्थिरता के लिए आवश्यक कदम” बता रहे हैं।नई कैबिनेट में 26 मंत्रियों को शामिल किए जाने की संभावना जताई जा रही है, जिनमें अनुभवी चेहरे और नए दोनों नेताओं को जगह मिल सकती है। रिपोर्टों के मुताबिक, कैबिनेट में महिला और अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व भी बढ़ाया जाएगा। वहीं जेडीयू के अंदर भी कुछ बड़े फेरबदल की चर्चा है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नीतीश कुमार का यह फैसला आने वाले वर्षों की राजनीति को गहरे रूप से प्रभावित करेगा। एक ओर वे प्रशासनिक अनुभव के साथ “सुशासन” की छवि को फिर मजबूती देंगे, वहीं दूसरी ओर विपक्ष की रणनीति को यह कदम बड़ा झटका माना जा रहा है।कुल मिलाकर, बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार की राजनीतिक पकड़ और उनकी गठबंधन प्रबंधन क्षमता खुलकर सामने आई है। शपथ ग्रहण कार्यक्रम के बाद नई सरकार किन प्राथमिकताओं पर काम शुरू करेगी





