
दिल्ली दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने सनसनीखेज खुलासा किया है। पुलिस ने कहा कि 2020 में हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगे किसी आकस्मिक घटना का परिणाम नहीं थे, बल्कि देश में “सत्ता परिवर्तन” की एक सुनियोजित साजिश थी।
पुलिस की ओर से दाखिल 177 पन्नों के हलफनामे में कहा गया है कि कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने सरकार विरोधी माहौल बनाकर हिंसा फैलाने की कोशिश की। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बदनाम करना और राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना था।
पुलिस ने कहा कि “इन दंगों की योजना बहुत पहले बनाई गई थी। इसके लिए फंडिंग की व्यवस्था, सोशल मीडिया पर प्रचार और भीड़ जुटाने की रणनीति तैयार की गई थी। हिंसा को एक विशेष समय पर भड़काने का मकसद था — ताकि देश की छवि को नुकसान पहुंचे और जनता में असंतोष फैले।” हलफनामे में कहा गया है कि जांच में ऐसे सबूत मिले हैं जो “संगठित षड्यंत्र” की ओर इशारा करते हैं। पुलिस के अनुसार, दंगों के दौरान फैलाई गई अफवाहें और सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट उसी नेटवर्क का हिस्सा थे जो राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित था।
“हिंसा फैलाने की कोशिश एक बड़े नैरेटिव का हिस्सा थी”
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा है कि हिंसा के दौरान न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय देखने को मिला। पुलिस ने कहा कि कुछ NGO और एक्टिविस्ट संगठनों ने विदेशों से वित्तीय सहायता लेकर धरना-प्रदर्शन को बढ़ावा दिया। पुलिस का यह बयान उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें दंगे की जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
विपक्ष ने कहा — सरकार साजिश के नाम पर विरोध की आवाज़ दबा रही
पुलिस के हलफनामे पर विपक्षी दलों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार साजिश का हवाला देकर लोकतांत्रिक विरोध को अपराध की तरह पेश कर रही है। विपक्ष ने मांग की कि जांच पारदर्शी तरीके से हो और सच्चाई सामने लाई जाए।








