
नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी (LIC) एक बार फिर सियासी विवाद के केंद्र में आ गई है। अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एलआईसी ने अडाणी ग्रुप की कंपनियों में करीब ₹33,000 करोड़ का निवेश किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, यह निवेश समूह की कई प्रमुख कंपनियों में किया गया है, जिससे बीमा नियामक और बाजार विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ी है।
रिपोर्ट के सामने आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार और एलआईसी प्रबंधन पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का कहना है कि “जनता की गाढ़ी कमाई से बनी एलआईसी को चुनिंदा उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का जरिया बनाया गया है।” कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि आखिर सरकारी बीमा कंपनी का इतना बड़ा हिस्सा एक कॉरपोरेट समूह में क्यों झोंका गया और निवेश का मूल्यांकन किस आधार पर किया गया। वहीं बाजार जानकारों का कहना है कि अडाणी ग्रुप के शेयरों में उतार-चढ़ाव के बीच एलआईसी का निवेश पोर्टफोलियो पहले से ही दबाव में रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए पारदर्शिता और जोखिम प्रबंधन बेहद जरूरी है, क्योंकि इनका सीधा संबंध करोड़ों पॉलिसीधारकों की बचत से है। एलआईसी की ओर से अब तक इस रिपोर्ट पर आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। हालांकि कंपनी पूर्व में यह स्पष्ट कर चुकी है कि उसका निवेश पूरी तरह नियामकीय दिशानिर्देशों और जोखिम मूल्यांकन मानकों के अनुरूप होता है।
विपक्ष ने सरकार से मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाए और एलआईसी के निवेश की पारदर्शिता को लेकर जनता के सामने पूरी जानकारी रखी जाए।








