
1900 करोड़ की पॉड टैक्सी परियोजना से मिलेगा मेट्रो जैसा सफर
उज्जैन। मध्य प्रदेश का उज्जैन अब आधुनिकता और आध्यात्म का संगम बनने जा रहा है। सरकार ने यहां 1900 करोड़ रुपये की पॉड टैक्सी परियोजना को मंजूरी दी है, जिसके बाद उज्जैन देश का पहला धार्मिक स्मार्ट सिटी बनने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है। परियोजना पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मेट्रो जैसी आधुनिक, तेज़ और पर्यावरण–अनुकूल यात्रा सुविधा मिलेगी।
जानकारी के अनुसार, उज्जैन में प्रस्तावित पॉड टैक्सी परियोजना 25.46 किलोमीटर लंबी होगी, जिसमें दो रूट और 13 स्टेशन शामिल होंगे। यह पूरी व्यवस्था इलेक्ट्रिक और चालक रहित (ड्राइवरलेस) होगी, जो ऊंचे ट्रैक पर चलने वाली छोटी-छोटी कैप्सूल जैसी टैक्सियों के रूप में संचालित होगी। प्रत्येक पॉड में 4 से 6 यात्रियों के बैठने की सुविधा होगी।
पॉड टैक्सी रूट में महाकाल मंदिर, इस्कॉन मंदिर, रेलवे स्टेशन, देवास गेट बस स्टैंड, टॉवर चौक, नानाखेड़ा बस स्टैंड और अन्य प्रमुख स्थानों को जोड़ा जाएगा। इससे श्रद्धालुओं को सुविधा, शहर के यातायात में सुगमता और पर्यटन को नया आयाम मिलेगा।
उज्जैन विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना को सिंहस्थ 2028 के पहले चरण में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि उस दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय यात्रा सुविधा मिल सके।
क्या है पॉड टैक्सी
पॉड टैक्सी को “पर्सनल रैपिड ट्रांज़िट (PRT)” प्रणाली कहा जाता है। यह एक स्वचालित, इलेक्ट्रिक और पर्यावरण–अनुकूल परिवहन माध्यम है, जो बिना चालक के ऊंचे ट्रैक पर चलती है। दुनिया के कुछ ही शहरों में यह सुविधा है, और भारत में उज्जैन इसे धार्मिक शहर के रूप में पहली बार अपनाने जा रहा है।
सरकार का दावा है कि इस परियोजना के बाद उज्जैन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी देश के अग्रणी शहरों में शामिल होगा — जहां आस्था और आधुनिकता का संगम देखने को मिलेगा।









