
भारतीय विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का 23 अक्टूबर 2025 को मुंबई में निधन हो गया। वे 70 वर्ष के थे। उनके निधन से विज्ञापन और मीडिया उद्योग में गहरा शोक है। पांडे को भारतीय विज्ञापन जगत में “Voice of Indian Advertising” के नाम से जाना जाता था।
पीयूष पांडे ने ओगिल्वी इंडिया में अपने करियर की शुरुआत की और वर्षों तक भारतीय विज्ञापन को नई दिशा दी। उनके बनाए हुए विज्ञापन अभियानों में “Asian Paints – हर खुशी में रंग लाए”, “Cadbury – कुछ खास है”, और “Fevicol – Egg” फिल्म शामिल हैं, जिन्हें आज भी भारतीय जनमानस में याद किया जाता है। उन्होंने अपनी रचनात्मक शैली से विज्ञापन को केवल उत्पाद प्रचार नहीं बल्कि सांस्कृतिक अभिव्यक्ति में बदल दिया।
पांडे ने 2004 में कैनस लायंस इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ क्रिएटिविटी में पहली बार एशियाई जूरी अध्यक्ष के रूप में काम किया। उन्हें 2012 में CLIO लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड और बाद में पद्मश्री से सम्मानित किया गया, जो उन्हें पहला भारतीय विज्ञापन पेशेवर बनाता है जिसने यह राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, “श्री पियूष पांडे जी की रचनात्मकता के लिए सभी सम्मान करते थे। विज्ञापन और संचार की दुनिया में उनका योगदान अभूतपूर्व है। उनके निधन से दुख है। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पांडे को श्रद्धांजलि दी और कहा, “पीयूष पांडे भारतीय विज्ञापन के महानायक थे। उन्होंने विज्ञापन में आम भाषा, हास्य और सजीवता ला कर इसे जनप्रिय बनाया। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगा।”
फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने भी ट्वीट कर कहा, “Fevicol का जोड़ टूट गया। आज विज्ञापन की दुनिया ने अपना महान गोंद खो दिया।”








