Responsive Menu

Download App from

Download App

Follow us on

Donate Us

पंडित छन्नूलाल मिश्र नहीं रहे, शास्त्रीय संगीत के युग का अवसान

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]
Author Image
Written by
Rishabh Rai

वाराणसी/मीरजापुर, 2 अक्टूबर

Advertisement Box

भारतीय शास्त्रीय संगीत की विराट परंपरा को स्वर और साधना से जीवित रखने वाले पद्मभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का सोमवार सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। बनारस घराने की प्रतिष्ठित परंपरा के प्रतिनिधि रहे पंडित मिश्र ने मीरजापुर के एक निजी स्थान पर तड़के लगभग 4:15 बजे अंतिम सांस ली। उनका अंतिम संस्कार आज ही काशी (वाराणसी) में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे देश में संगीत प्रेमियों, शिष्यों और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों में शोक की लहर दौड़ गईबनारस की गलियों से लेकर राष्ट्रपति भवन तक उन्हें याद किया जा रहा है

सुरों के संत: एक जीवन संगीत को समर्पित

पंडित छन्नूलाल मिश्र का जन्म 3 अगस्त 1933 को उत्तर प्रदेश के ज़िला गाज़ीपुर के बड़ागांव में हुआ था। बचपन से ही संगीत के प्रति आकर्षण था। उन्हें गायन की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता बद्री प्रसाद मिश्र से मिली। बाद में उन्होंने बनारस घराने के दिग्गज उस्तादों से खयाल, ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती जैसी लोक और शास्त्रीय गायकी की बारीकियां सीखीं। वे ऐसे विरले गायक थे जिन्होंने शास्त्रीय और उपशास्त्रीय दोनों ही क्षेत्रों में समान अधिकार से गायन किया और उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पहुंचाया। उनकी गायकी में बनारस की मिठास, ठहराव और गहराई साफ़ झलकती थी।

कला, साधना और सम्मान

पंडित मिश्र को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री (2010) और पद्मभूषण (2020) से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें संगीत नाटक अकादमी और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों से भी सम्मान मिला। उनके रचनात्मक योगदान में रामचरितमानस, कबीर, तुलसीदास, और देवी गीतों की गायन परंपरा को आधुनिक पीढ़ी तक पहुंचाना भी शामिल रहा। उनके प्रसिद्ध एल्बमों में Ramcharitmanas Sangeetmay, Kabir Ganga, Bhakti Rasamrit, Krishna Madhur, आदि शामिल हैं। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्वस्तरीय मंचों तक पहुंचाया और देश-विदेश में हजारों श्रोताओं को भावविभोर किया।

गुरु, गायक और संरक्षक

पंडित जी न केवल एक गायक थे, बल्कि एक गुरु भी थे। उनके सान्निध्य में कई शिष्य तैयार हुए जो आज देश-विदेश में भारतीय संगीत को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रोफेसर के रूप में कार्य किया और संगीत में शोध करने वाले छात्रों का मार्गदर्शन किया। उनकी गायकी में बनारस की मिट्टी की खुशबू और आध्यात्मिकता का रंग था। वे कहते थे, “संगीत केवल मनोरंजन नहीं, आत्मा की यात्रा है।”

वहीं राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अनेक नेताओं और कलाकारों ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया

“पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का निधन अत्यंत पीड़ादायक है। वे सुरों के माध्यम से भारतीय संस्कृति की आत्मा को अभिव्यक्त करते थे। उनका योगदान सदैव याद रहेगा।”

पंडित जी की अंतिम यात्रा आज दोपहर वाराणसी स्थित उनके आवास से निकलेगी। परिजनों के अनुसार, उनके पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि के लिए कुछ समय तक सार्वजनिक दर्शनार्थ रखा जाएगा, जिसके बाद मणिकर्णिका घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

संगीत का एक युग समाप्त

पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन केवल एक गायक के जाने की नहीं, बल्कि भारतीय संगीत के एक युग के समाप्त होने की तरह है। वे उन चंद कलाकारों में से थे जिन्होंने परंपरा को न केवल सहेजा, बल्कि उसे नए युग से जोड़ते हुए अगली पीढ़ियों को सौंपा। उनकी स्मृति में देश भर में संगीत सभाओं, श्रद्धांजलि आयोजनों और संगोष्ठियों की योजना बनाई जा रही है।

स्वर अनंतः, साधकः अमर

भले ही अब पंडित छन्नूलाल मिश्र हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत, उनकी सीख और उनकी परंपरा आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव जीवित रहेगी।

आज का राशिफल

वोट करें

'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद दुनिया के सामने रोज बेनकाब हो रहे पाकिस्तान को दी गई एक अरब डॉलर की मदद पर क्या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को फिर से विचार करना चाहिए?

Advertisement Box

और भी पढ़ें

WhatsApp