
नई दिल्ली, 12 अगस्त
बिहार में चल रही विशेष मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई अहम सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है। न्यायालय ने चुनाव आयोग (ECI) के उस रुख का समर्थन किया जिसमें यह कहा गया है कि आधार केवल निवास प्रमाण का साधन हो सकता है, नागरिकता का नहीं।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा, “यदि इस प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियाँ सामने आती हैं, तो पूरी की पूरी SIR प्रक्रिया को रद्द किया जा सकता है।” कोर्ट की यह टिप्पणी उन शिकायतों के आलोक में आई जिसमें कहा गया है कि हजारों वास्तविक मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं, कुछ को तो ‘मृत’ तक घोषित कर दिया गया है।
सुनवाई के दौरान समाजवादी नेता योगेंद्र यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दो ऐसे मतदाताओं का उदाहरण प्रस्तुत किया जिन्हें मतदाता सूची में ‘मृत’ घोषित कर दिया गया था, जबकि वे जीवित हैं। यादव ने अदालत से आग्रह किया कि इस प्रक्रिया को अवैध करार दिया जाए और इसकी गहन समीक्षा कराई जाए।
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और प्रशांत भूषण जैसे बड़े वकीलों ने पक्ष रखा।
कपिल सिब्बल ने दलील दी कि इस संशोधन प्रक्रिया में लगभग 65 लाख लोगों के नाम सूची से गायब कर दिए गए हैं, जो न केवल असंवैधानिक है, बल्कि आम नागरिकों के वोटिंग अधिकार का भी हनन है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव आयोग को नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है।
इसी तरह, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि 5 करोड़ से अधिक लोगों की नागरिकता और लोकतांत्रिक अधिकारों से जुड़ा प्रश्न है। इस पर चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने के लिए आधार और अन्य दस्तावेजों का सत्यापन किया गया है। साथ ही यह भी कहा कि किसी को अनुचित रूप से सूची से बाहर नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से सितंबर तक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जिसमें यह स्पष्ट हो कि किन प्रक्रियाओं के तहत लोगों के नाम हटाए गए और क्या उन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिला या नहीं।
मुख्य बिंदु:
आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं, सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट टिप्पणी
त्रुटिपूर्ण साबित होने पर SIR प्रक्रिया रद्द हो सकती है
योगेंद्र यादव ने पेश किए दो ‘मृत’ लेकिन जीवित मतदाताओं के उदाहरण
कपिल सिब्बल ने कहा: 65 लाख नाम लिस्ट से हटाए गए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और ECI से मांगा विस्तृत स्पष्टीकरण