चुनाव आयोग क्या नागरिकता का भी मांग सकता है प्रमाण? जानें क्या हैं अधिकार
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Mohammad Siraj
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर।
बिहार में चुनाव से पहले वोटर लिस्ट रिवीजन का मामला सुर्खियों में है. हाल ही में बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान चुनाव आयोग ने हैरान करने वाले खुलासे करने शुरू कर दिए हैं. आयोग की मानें तो बिहार में जांच के दौरान घर-घर जाकर किए गए दौरे में बीएलओ को नेपाल, म्यांमार और बांग्लादेश से आकर अवैध रूप से रह रहे लोग बड़ी संख्या में मिले हैं. अब चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उचित जांच के बाद 1 अगस्त 2025 के बाद उनके नाम 30 सितंबर 2025 को जो लास्ट लिस्ट रिवील की जाएगी, उसमें शामिल नहीं किए जाएंगे. आयोग का कहना है कि सभी विदेशी नागरिकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाने से पहले जांच की जाएगी. जांच में जिसकी भी विदेशी नागरिकता पाई गई, उसको इस लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा. ऐसे में यहां जानने की जरूरत है कि क्या चुनाव आयोग नागरिकता का प्रमाण मांग सकता है या नहीं. आइए जानें
क्या चुनाव आयोग मांग सकता है नागरिकता
सरकारी एजेंसियां जैसे कि चुनाव आयोग, पुलिस या अन्य सरकारी विभाग, जब किसी खास काम के लिए नागरिकता की जरूरत होती है, जैसे कि वोटर लिस्ट में नाम जोड़ना या जांच करना या फिर सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए नागरिकता का प्रमाण पत्र मांग सकते हैं. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि नागरिकता का प्रमाण मांगने वाले को वैध कारण बताना होगा और उचित प्रक्रिया का पालन करना होगा.
चुनाव आयोग के अधिकार
निर्वाचन आयोग के पास संविधान के तहत अधिकार है कि चुनाव के वक्त कोई भी स्थिति पैदा होने पर पहले से जारी कानून अगर अपर्याप्त प्रावधान हों तो वह उचित कार्रवाई कर सकता है. निर्वाचन आयोग की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है, नियमित अंतराल पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव करवाना. इसके पहले चुनाव आयोग आचार संहिता लागू करता है, जिससे कि स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराए जा सकें. चुनाव आयोग ने पहली बार 1971 में पांचवीं लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू की थी. राजनीतिक दलों और नेताओं को इसी के तरह व्यवहार करना होता है. चुनाव आयोग को अधिकार है कि वो 1989 के तहत बने कानून के अनुसार चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक पार्टियों के पास खुद को रजिस्टर कराती हैं. इसके बाद चुनाव आयोग चुनाव चिह्न अलॉट करता है और इलेक्शन में कितना खर्चा करना है, इस पर भी एक सीमा तय कर देता है. आयोग समय-समय पर इलेक्टोरल और वोटर लिस्ट को भी अपडेट करता है, जो कि अभी बिहार चुनाव से पहले हो रहा है।
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