21/06/2024

अवध सूत्र

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अवध सूत्र न्यूज़

यूपी में भर्ती परीक्षाओं की चप्पे-चप्पे पर निगरानी

योगी का बड़ा फैसला प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बनाई नई नीति

धांधली रोकने के लिए गृह मंडल के बाहर देनी होगी परीक्षा

सरकारी स्कूल, इंजीनियरिंग व मेडिकल कालेज बनेंगे केंद्र

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर भर्ती परीक्षा पेपर लीक होने से रोकने और धांधली खत्म करने के लिए फूलप्रूफ इंतजाम करते हुए नई नीति जारी कर दी गई है। एक भर्ती परीक्षा कराने के लिए चार एजेंसियों की अलग-अलग जिम्मेदारी होगी। परीक्षार्थियों को अपने गृह मंडल के बाहर परीक्षा देने जाना होगा। निशक्तों और महिलाओं पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। चार लाख से अधिक परीक्षार्थी होने पर दो चरणों में परीक्षा होगी। रिजल्ट बनाने में धांधली रोकने के लिए आयोग और बोर्ड में ही ओएमआर शीट की स्कैनिंग कराई जाएगी।परीक्षा केंद्र बनाने के लिए दो श्रेणियां बनाई गई हैं। पहली श्रेणी में राजकीय इंटर कॉलेज से लेकर मेडिकल व इंजीनयिरंग कॉलेजों को रखा गया है। दूसरी श्रेणी में एडेड स्कूलों को रखा गया है। वित्त विहीन स्कूलों व कॉलेजों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा।

गोपनीय कोड रहेंगे अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने गुरुवार की रात शासनादेश जारी करते हुए सभी आयोगों व बोर्डों को भेज इसे दिया है। एक पाली में अधिकतम पांच लाख परीक्षार्थियों को ही रखा जाएगा। पीसीएस परीक्षा को एक ही पाली में कराने की छूट होगी। प्रश्नपत्र के हर पन्ने पर गोपनीय सुरक्षा चिह्न जैसे यूनीक बार कोड, क्यूआर कोड, यूनीक सीरियल नंबर डालने होगा। जिससे जरूरत पर उसकी सीरीज के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके।प्रश्नपत्र लाने व ले जाने के बक्से की टेंपर प्रूफ मल्टीलेयर पैकेजिंग होगी। प्रश्नपत्र सेटिंग के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। परीक्षा नियंत्रक द्वारा प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी का नियमित निरीक्षण किया जाएगा।

चार एजेंसियों को मिली अलग-अलग जिम्मेदारी

एजेंसी-ए का काम प्रश्नपत्र तैयार करना, छपवाना और सभी जिलों के कोषागार में पहुंचाना होगा।

एजेंसी-बी का काम परीक्षा कराना, इसमें प्रश्नपत्रों को कोषागार से परीक्षा केंद्र तक पहुंचाना, परीक्षा केंद्र की सभी व्यवस्था व परीक्षा के बाद ओएमआर शीट को आयोग व बोर्ड तक पहुंचाना होगा।

एजेंसी सी का काम परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा व्यवस्था, इसमें सिक्योरिटी, फ्रिस्किंग, बायोमैट्रिक कैप्चर, सीसीटीवी, कंट्रोल रूम की व्यवस्था करना होगा।

एजेंसी-डी का काम ओएमआर शीट की स्कैनिंग आयोग व बोर्ड परिसर में ही कराकर परीक्षा का स्कोर चयन संस्था को उपलब्ध कराना होगा।

तीन सेटों में ओएमआर शीट, मूल प्रति आयोग के पास होगी

ओएमआर शीट तीन सेटों में होगी। मूल प्रति आयोग व बोर्ड के पास होगी। दूसरी सीलबंद कोषागार व तीसरी अभ्यर्थियों को दी जाएगी। परीक्षा के दौरान आयोग व बोर्ड किसी भी तरह की अफवाह का खंडन करेगा। परीक्षा के दौरान एसटीएफ व पुलिस के संपर्क में रहेंगे। परीक्षा के दौरान कंट्रोल रूम से कड़ी निगरानी की जाएगी।

सरकार व उसकी नीतियों की आलोचना करना राज्य कर्मचारियों को भारी पड़ेगा

लेख लिखने या फिर बयान देने पर भी प्रतिबंध,सरकारी सूचना लीक करने पर भी कार्रवाई

लखनऊ। राज्य कर्मियों द्वारा प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया में दिए जाने वाले वक्तव्य या मैसेज करने से सरकार के समक्ष खड़ी होने वाली असहज स्थिति को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके लिए दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सरकारी सूचना लीक करने पर भी कार्रवाई का प्रावधान कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव कार्मिक डा. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में गुरुवार को शासनादेश जारी करते हुए सभी विभागध्यक्षों को निर्देश भेज दिया है।इस शासनादेश के बाद राज्य कर्मी सरकारी की नीतियों या फिर विभागीय फैसलों के प्रति गलत टिप्पणी करना भारी पड़ेगा। इतना ही नहीं अखबारों में अनर्गल लेख लिखने या फिर मीडिया में बाइट देने पर भी प्रतिबंध होगा। सरकारी कर्मचारी सिर्फ साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक लेख ही लिख सकेगा। कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम-6 में यह व्यवस्था की गई है कि राज्य कर्मी बिना मंजूरी समाचार पत्र का मालिक नहीं बनेगा और न ही उसका संचालन करेगा। समाचार पत्र या पत्रिका को लेख नहीं भेजेगा और गुमनाम, अपने नाम में या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से कोई पत्र भेजेगा व लिखेगा।नियम-7 में यह प्रावधान किया गया है कि कोई कर्मी रेडियो प्रसारण में गुनाम या स्वयं अपने नाम से कोई ऐसी बात या मत व्यक्त नहीं करेगा जिसमें सरकार के फैसले की आलोचना हो। उत्तर प्रदेश, केंद्र सरकार, किसी अन्य सरकार या अन्य स्थानीय प्राधिकारी की किसी चालू या हाल की नीति की आलोचना भी नहीं कर सकेगा, जिससे सरकार के अपासी संबंधों में उलझन पैदा हो या विदेशी सरकार के आपसी संबंधों में समस्या आए। नियम-9 में की गई व्यवस्था के मुताबिक कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी कोई सूचना नहीं किसी को नहीं दे सकेगा। सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश पर ही दिया जा सकेगा।

सोशल मीडिया पर भी कोई टिप्पणी नहीं कर सकेंगे

शासनादेश के मुताबिक प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, एक्स, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम या फिर अन्य किसी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म और डिजिटल मीडिया पर कोई भी टिप्पणी या मैसेज पोस्ट करने पर रोक लगा दी गई है।

नए कानून में गवाहों को मिल सकेगी पूरी सुरक्षा

एक जुलाई से लागू होने जा रहे नए कानूनों में गवाह संरक्षण योजना शामिल

विवेचकों को डिजिटल साक्ष्य संकलन की दी जा रही ट्रेनिंग

बिना कोर्ट गए वीडियो कांफ्रेंसिंग से दे सकेंगे गवाही

अपराध स्थल से लेकर जांच और मुकदमे तक की प्रक्रियाओं को तकनीक से जोड़ा गया है

लखनऊ। अपराधी को सजा दिलाने में पीड़ित के साथ ही गवाह की भी अहम भूमिका होती है। इस कारण गवाहों को धमकियों से बचाने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में गवाह संरक्षण योजना को शामिल किया गया है। आगामी एक जुलाई से लागू होने वाले इस नए कानून में गवाहों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की भी आजादी होगी।देश भर में आगामी एक जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अपराध स्थल से लेकर जांच और मुकदमे तक की प्रक्रियाओं को तकनीक से जोड़ा गया है। डिजिटल साक्ष्यों को मान्यता मिलने से पुलिस को जांच में मदद मिलेगी। इससे फॉरेंसिक रिपोर्ट की भूमिका अहम हो जाएगी। नए कानूनों के क्रियान्वयन के लिए ही फॉरेंसिक लैब की संख्या बढ़ाई गई है। साथ ही फॉरेंसिक विशेषज्ञों की कमी दूर करने के लिए लखनऊ में उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट आफ फॉरेंसिक साइंसेज की स्थापना की गई है।

निश्चित समय में न्याय मिले इस पर फोकस

डीजीपी मुख्यालय के अनुसार विवेचकों को डिजिटल साक्ष्य संकलन के लिए लगातार ट्रेनिंग दी जा रही है। नए कानूनों में इस बात पर जोर दिया गया है कि अपराध पीड़ितों को तय समय सीमा में न्याय मिले। साथ ही किसी शिकायत के समाधान में उससे जुड़े किसी भी पक्ष का उत्पीड़न न हो। इसमें आतंकवाद और संगठित अपराध जैसे नए विषय भी शामिल किए गए हैं।

पुलिस विभाग का मानना है कि नई तकनीक के जरिए मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी।

एक चौथाई ने ही देखी पीसीएस जे की कॉपी

मेंस की कॉपी में हैंडराइटिंग बदलने के आरोप का मामला

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस जे 2022 मुख्य परीक्षा की कॉपी दिखाने के लिए गुरुवार को पहले दिन परीक्षा में शामिल 100 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था। इसमें एक चौथाई यानी 25 अभ्यर्थी ही कॉपी देखने के लिए पहुंचे। इन्हें चार सत्रों में कॉपी दिखाई गई। कॉपी देखने वालों की संख्या कम होने पर प्रतियोगी छात्रों ने तर्क दिया कि 23 जून को राजस्थान आयोग की ओर से पीसीएस-जे की प्रारंभिक परीक्षा प्रस्तावित है। ऐसे में छात्र तैयारी में जुटे हैं। कॉपियों के अवलोकन के बाद अभ्यर्थियों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। जो अभ्यर्थी पहले दिन कॉपियां देखने नहीं आए, उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। प्रत्येक अभ्यर्थी को कॉपी देखने के लिए अधिकतम 30 मिनट का वक्त आयोग ने दिया।कॉपियों के अवलोकन के लिए अभ्यर्थियों को चार सत्रों में सुबह 10.30, 11.30, अपराह्न 2.30 और 3.30 बजे बुलाया गया था। इसके लिए 20 जून से 31 जुलाई तक का समय निर्धारित किया गया है। कुल 31 दिनों में 3019 अभ्यर्थियों को कॉपियां दिखाई जाएंगी। गुरुवार को कॉपियां देखने के लिए आयोग पहुंचे अभ्यर्थियों को आपत्ति दर्ज कराने का मौका भी दिया गया। लेकिन किसी तरह की कोई शिकायत सामने नहीं आई। अभ्यर्थी कॉपियों पर मिले अंकों से संतुष्ट दिखे। उन्होंने पूर्व में आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किए गए प्राप्तांक एवं कॉपियों में दर्ज अंकों का मिलान भी किया।

एक विषय के लिए मिले महज पांच मिनट

छह विषयों की कॉपियां देखने के लिए निर्धारित अधिकतम 30 मिनट के वक्त को अभ्यर्थियों ने कम बताया। इनका कहना है कि एक विषय की कॉपी देखने के लिए उन्हें महज पांच मिनट का समय ही मिल सका। ऐसे में वे कॉपियों को सरसरी नजर से ही देख पाए। अभ्यर्थियों ने कॉपियों के अवलोकन का समय बढ़ाने की मांग की है।

आयोग की कार्य प्रणाली में सुधार के लिए भेजा पत्र

प्रयागराज। प्रतियोगी छात्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली में सुधार लाने की मांग की है।प्रतियोगियों का सुझाव है कि जिस तरह से कर्मचारी चयन आयोग और लोक सेवा आयोग बकायदा भर्ती परीक्षा कैलेंडर जारी कर अपनी भर्ती परीक्षाएं नियमित तौर पर करवाता है, वैसी ही व्यवस्था इस आयोग में भी लागू की जाएं। प्रतियोगियों ने पत्र के साथ अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में लंबित भर्तियों का विवरण भी मुख्यमंत्री को भेजा है। कहा गया है कि इस आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली की वजह से 32 से ज्यादा भर्तियां लंबित हैं। प्रतियोगियों का दावा है कि इन भर्तियों के जरिए विभिन्न विभागों के 34 हजार से ज्यादा रिक्त पद भरे जाने हैं। प्रतियोगी छात्रों ने इन लंबित भर्तियों को तीन माह में पूरा करवाने की मांग मुख्यमंत्री से की है। सुझाव दिया है कि आयोग की भर्ती प्रक्रिया विज्ञापन जारी होने के आठ माह के भीतर पूरी कराने की व्यवस्था की जाए। भर्ती प्रक्रिया की जानकारी लिखित तौर पर देने की व्यवस्था की जाए कि आखिर किन कारणों से भर्ती लंबित है। प्रतियोगियों ने आयोग के वार्षिक कार्यों की समीक्षा कराने का भी सुझाव मुख्यमंत्री को दिया है। परीक्षार्थियों की मांग है कि परिणाम के साथ परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को मिले अंक, उनकी रैंक तथा प्रतीक्षा सूची भी जारी की जाए।

चिकित्साधिकारी आर्थोपेडिशियन का परिणाम जारी

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत चिकित्साधिकारी, ग्रेड-दो आर्थोपेडिशियन के 22 पदों पर सीधी भर्ती का चयन परिणाम गुरुवार को जारी कर दिया है। आयोग के उप सचिव विवेक कुमार श्रीवास्तव के अनुसार, चयनितों में आशीष सिंघानिया, मयंक प्रताप सिंह, तरुण नौगरिया, सौरभ जीत, वैभव अधौलिया, अंकुर ओझा, अंकुर, अनुनय प्रताप सिंह चौहान, पवन दुबे, विकास कुमार दुबे, नवीन कुमार यादव, अजय जायसवाल, श्रीकांत, सौरभ सिंह, पुरुषोत्तम गांधी, पंकज कुमार वर्मा, पंचम अनिरुद्ध यादव, रविंद्र कुमार गुप्ता, राकेश प्रसाद, आलोक कुमार द्विवेदी, करमवीर, अवनीश कुमार शामिल हैं।

कंप्यूटर के अतिथि प्रवक्ता की होगी भर्ती

प्रयागराज। अटल आवासीय विद्यालय बेलहट, कोरांव में कंप्यूटर के अतिथि प्रवक्ता की भर्ती होनी है। इसके लिए मंडलायुक्त से अनुमोदन मिल चुका है। जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।उपायुक्त श्रम राजेश मिश्र ने बताया कि आवेदक की आयु एक जुलाई 2024 को 50 वर्ष होनी चाहिए। स्नातक या पीजीडीसीए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से उत्तीर्ण होना चाहिए या कंप्यूटर ए लेवल कोर्स या कंप्यूटर साइंस में बीसीए, बीटेक, बीएससी पास होना चाहिए। इस अनिवार्य अर्हता के लिए 50 अंक निर्धारित किए गए हैं। जबकि वांछित योग्यता में किसी सरकारी या अर्द्धसरकारी संस्थान में पढ़ाने का अनुभव, किसी आवासीय विद्यालय में पढ़ाने का अनुभव, कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग की जानकारी होनी चाहिए। आवेदन पांच जुलाई तक करना है। चयनित अभ्यर्थी को 34 हजार 125 रुपये प्रतिमाह भुगतान किया जाएगा।

नए पाठ्यक्रमों पर होगी नजर

प्रयागराज। इविवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत संचालित हो रहे पाठ्यक्रमों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के उत्साह (अंडरटेंकिंग ट्रांसफॉरमेटिव स्ट्रेटेजी एंड एक्शन इन हायर एजुकेशन) पोर्टल की पैनी नजर होगी। उत्साह पोर्टल के माध्यम से एनईपी 2020 की सिफारिशों के तहत योजनाओं की जानकारी, लागू करने से लेकर उसको ट्रैक किया जा सकेगा। भारतीय परंपरा, डिजिटल लर्निंग, आउटकम की जानकारी भी मिलेगी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने सूचना वैज्ञानिक सुधाकर मिश्र को नोडल अफसर नियुक्त कर दिया है। इस बाबत रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पोर्टल को छात्रों की सुविधा के हिसाब से तैयार किया गया है।

अब मिडिल स्कूल के बच्चे जमीन पर बैठकर नहीं करेंगे पढ़ाई

प्रतापगढ़। जिले के 236 परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत लगभग 35 हजार बच्चों को डेस्क-बेंच पर पढ़ने की सुविधा मिलेगी। फर्नीचर आपूर्ति के लिए शासन की ओर से 4.26 करोड़ रुपये का बजट दिया गया है। टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद चिह्नित विद्यालयों में फर्नीचर पहुंचना प्रारंभ हो जाएगा। निजी स्कूलों से बराबरी करने की दिशा में बेसिक शिक्षा विभाग ने एक कदम और बढ़ाया है। परिषदीय विद्यालयों को अवस्थापना सुविधाओं से परिपूर्ण करने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प योजना चलाई जा रही है।इस योजना के तहत विद्यालय में चहारदीवारी निर्माण, प्रसाधन निर्माण, शिक्षण कक्षों का टाइलीकरण, हैंडवाश यूनिट, पेयजल व्यवस्था समेत 14 बिंदुओं पर ग्राम पंचायत निधि से काम कराया जा रहा है। अब तक लगभग 84 फीसदी काम पूरे भी हो चुके हैं। इसके साथ शासन ने उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों को फर्नीचर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

विभाग ने पहली बार डेस्क-बेंच खरीदने के लिए बजट दिया है, पहले चरण में 236 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को डेस्क-बेंच मिलेगा, अगले चरण में प्राइमरी स्कूलों के बच्चों के लिए डेस्क-बेंच खरीदा जाएगा। – भूपेंद्र सिंह, बीएसए

बिना सहमति प्रचार कॉल करने पर कार्रवाई होगी

नई दिल्ली। अनचाही कॉल्स और एसएमएस को रोकने के लिए गुरुवार को जारी किए गए मसौदे में कई प्रावधान किए गए हैं। इनके तहत ऐसी किसी भी व्यावसायिक कॉल और संदेश को अनचाहा और अवांछित माना जाएगा, जिसके लिए प्राप्तकर्ता की सहमति नहीं ली गई है या तय मानकों के अनुरूप नहीं है। इनकी पहचान करके कार्रवाई कार्रवाई की जाएगी।इसके अलावा अपंजीकृत नंबर या एसएमएस हेडर का उपयोग करना, कॉल न आने का विकल्प चुनने के बावजूद कॉल करना, डिजिटल सहमति न लेना, कॉल करने वाले और उद्देश्य की पहचान न करना और सहमति बंद करने का विकल्प न देने जैसी स्थितियां भी अनचाही और अवांछित कारोबारी संचार की श्रेणी में रखी जाएंगी। उपभोक्ता मंत्रालय ने कहा कि दिशा-निर्देशों में ऐसे संचार या प्रचार कॉल पर भी रोक लगाने का प्रावधान है, जो ग्राहक वरीयताओं के आधार पर वाणिज्यिक संदेशों पर दूरसंचार नियामक ट्राई के नियमों का उल्लंघन करते हैं।

रोडवेज फायदे में आएगा तभी मृतक आश्रितों को मिलेगी नौकरी

लखनऊ।उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम में मृतकों की आश्रितों की नौकरी अब रोडवेज के फायदे पर टिकी है। रोडवेज फायदे में आएगा, तभी मृतक आश्रितों को नौकरी मिलेगी। इसके लिए रोडवेज में ऑडिट शुरू हो गया है, जिसकी रिपोर्ट 31 जुलाई तक आएगी। तभी मृतक आश्रिकों की भर्ती को लेकर शासन स्तर पर फिर कवायद शुरू होगी। वर्ष 2018 के बाद करीब 1000 मृतक आश्रितों की सूची तैयार की गई है। इनकी भर्ती करने पर रोडवेज को हर महीने करीब 30 करोड़ रुपये वेतन के मद में भार पड़ेगा।बीते तीन दिनों से निगम मुख्यालय पर धरने पर बैठे पुरुष और महिला मृतक आश्रित अब अमरण अनशन पर बैठ गए हैं। गुरुवार को कैसरबाग बस डिपो के एआरएम ने मौके पर मृतक आश्रितों से मिलकर आश्वासन दिया, लेकिन वे आश्वासन के जुमले को मानने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में शुक्रवार को भी रोडवेज मुख्यालय पर मृतक आश्रितों का धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। दरअसल, रोडवेज में वर्ष 2018 के बाद मृतकों आश्रितों की नियुक्ति नहीं हुई, जबकि निगम मुख्यालय से तीन बार मृतक आश्रितों की भर्ती के सिलसिले में प्रस्ताव भेजा जा चुका है। शासन हर बार फायदे की रिपोर्ट देने की बात करते नियुक्त का आदेश करने से रोक दे रहा है।

वर्ष 2004 में शासन के आदेश पर कर रहे काम

प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने बताया कि वर्ष 2004 में शासन ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए सभी निगमों को आदेश दिया था कि मृतक आश्रितों की भर्ती तभी होगी जब निगम फायदे में रहेंगे। इस दौरान वर्ष 2018 में निगम फायदे में रहा तब 588 मृतक आश्रितों की भर्ती की गई थी। इसके बाद से निगम घाटे में चल रहा है। ऐसे में आडिट रिपोर्ट में निगम फायदे में रहेगा तभी भर्ती की कवायद शुरू होगी

नीट और यूजीसी नेट को लेकर लखनऊ में फूटा छात्र संगठनों का गुस्सा

लखनऊ।नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) का विरोध गुरुवार को और तीखा हो गया। यूजीसी नेट रद्द किए जाने के बाद छात्र संगठन सड़क पर उतर आए। एनएसयूआई, सपा छात्रसभा और आइसा से जुड़े छात्रों ने प्रदर्शन कर विरोध जताया। लखनऊ विश्वविद्यालय से लेकर हजरतगंज चौराहे तक छात्रों का विरोध दिखा। शिक्षा मंत्री से इस्तीफे की मांग की। लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री का पोस्टर फूंका। छात्रों के बढ़ते विरोध के बीच पुलिस भी पहुंच गई। कुछ छात्र सड़क पर लेट गए। तीखी नोकझोंक के बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों को जबरन बस में बैठाया गया और ईकोगार्डन पहुंचा दिया, जहां से सभी को छोड़ दिया गया।वहीं, स्वराज आन्दोलन ट्रस्ट और हजरतगंज कोचिंग टीचर्स ने गुरुवार को प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में नीट-2024 को रद्द कर दोबारा एनटीए के अलावा किसी अन्य एजेंसी से परीक्षा कराने की मांग की। साथ ही कहा कि नीट धांधली की निष्पक्ष जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से कराई जाए।

समाजवादी छात्रसभा, एनएसयूआई और आइसा ने साथ बोला हल्ला

लखनऊ विश्वविद्यालय के एक नम्बर गेट पर समाजवादी छात्र सभा, एनएसयूआई और आइसा एक साथ लड़ते नजर आए। समाजवादी छात्र सभा के तौकीर गाजी के नेतृत्व में कांशी यादव सहित अन्य छात्र जमा हुए। इस बीच एनएसयूआई की लखनऊ विश्वविद्यालय की इकाई के अध्यक्ष शुभम खरवार, विशाल सिंह, सुधांशु शर्मा सहित अन्य छात्र पहुंच गए। आईसा का नेतृत्व निखिल राज और समर गौतम कर रहे थे। परिसर के भीतर छात्रों ने नेट रद्द होने के विरोध में शिक्षा मंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। जैसे ही छात्र संगठन विश्वविद्यालय गेट के निकट पहुंचे, पुलिस ने इन्हें रोक लिया। फिर धक्कामुक्की हुई और हंगामा बढ़ता गया। बढ़ते आक्रोश के बीच प्रदर्शनकारी छात्रों में से एक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फोटो को जलाना शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने बलपूर्वक छात्रों को पकड़कर बस में बैठाया और ईकोगार्डन पहुंचाया। बस पर बैठाने के दौरान कई छात्र बसों के ऊपर चढ़ गए और एनटीए एवं सरकार विरोधी नारे लगाए। आक्रोशित छात्रों को बस की छत से उतारने में पुलिस बल को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

हजरतगंज चौराहे पर भी युवाओं का हंगामा

हजरतगंज चौराहे पर युवा नीट में गड़बड़ियों की वजह से आक्रोशित दिखे। दोपहर में ही दर्जन भर युवा नीट रद्द करने की मांग लेकर हजरतगंज चौराहे पर एकत्रित हुए। हाथों में नीट की सीबीआई जांच कराएं, परीक्षा रद्द की जाए, पेपर लीक जैसे पोस्टर लेकर नारे लगाने शुरू कर दिए। चौराहे पर पहले ही पुलिस बल बड़ी संख्या में मौजूद था। इसलिए जल्दी ही युवाओं के प्रदर्शन काबू पा लिया गया।

तदर्थ शिक्षकों ने सेवा बहाली और बकाया वेतन मांगा

लखनऊ।माध्यमिक तदर्थ संघर्ष समिति के बैनर तले गुरुवार को पार्क रोड स्थित शिक्षा निदेशालय में धरने पर बैठे तदर्थ शिक्षकों ने सेवा बहाली और बकाये वेतन का भुगतान मांगा। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सम्बोधित ज्ञापन शिक्षा निदेशक को सौंपा।माध्यमिक तदर्थ संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार ने नौ नवम्बर को प्रदेश के करीब तीन हजार तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं खत्म कर दी थीं, जबकि ये शिक्षक 1993 से सेवाएं दे रहे थे। सेवाएं समाप्त किए जाने के बाद तदर्थ शिक्षकों ने शासन से लेकर मंत्री, विधायक, सांसद व विभागीय अधिकारियों से सेवा बहाली की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। समिति के प्रदेश महामंत्री सुशील शुक्ला ने कहा कि तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने के बाद से उनके आगे घर व परिवार की जिम्मेदारियां निभाना मुश्किल हो गया है।

इविवि के नए पाठ्यक्रमों पर होगी उत्साह पोर्टल की पैनी नजर

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत संचालित हो रहे पाठ्यक्रमों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के उत्साह (अंडरटेंकिंग ट्रांसफॉरमेटिव स्ट्रेटेजी एंड एक्शन इन हायर एजुकेशन) पोर्टल की पैनी नजर होगी। उत्साह पोर्टल के माध्यम से एनईपी 2020 की सिफारिशों के तहत योजनाओं की जानकारी, लागू करने से लेकर उसको ट्रैक किया जा सकेगा। भारतीय परंपरा, डिजिटल लर्निंग, आउटकम की जानकारी भी मिलेगी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने सूचना वैज्ञानिक सुधाकर मिश्र को नोडल अफसर नियुक्त कर दिया है। इस बाबत रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।इस पोर्टल पर डिजिटल माध्यम से उच्च शिक्षा से जुड़ी जानकारियां और योजनाओं के बारे में आसानी से छात्र और अभिभावक समझ सकेंगे। पोर्टल को विश्वविद्यालयों, प्रोफेसर और छात्रों की सुविधा के हिसाब से तैयार किया गया है, ताकि वे सभी अपनी जरूरत के आधार पर जानकारियायों को समझ सकें।

सीयूईटी पर भी नेट, नीट विवाद की काली छाया

प्रयागराज।नीट, यूजीसी-नेट विवाद की काली छाया कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) पर भी पड़ रहा है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की कार्य प्रणाली पर प्रतियोगी छात्रों ने सवाल उठाया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशान्त पांडेय ने कहा कि छात्रों के मन में एनटीए की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है। अब एनटीए की ओर से होने वाले सीयूईटी और नीट पीजी को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं। सरकार अविलम्ब एनटीए के जिम्मेदार कर्मचारियों की भूमिका की जांच करा कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।उधर, यूजीसी नेट का पेपर लीक होने और रद्द किए जाने के विरोध में समाजवादी छात्र सभा ने गुरुवार को इविवि के छात्रसंघ भवन के सामने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का पुतला फूंक कर विरोध दर्ज किया। चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार छात्रों के मुद्दों को लेकर संवेदनशील नहीं हुई तो आने वाले चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इस अवसर पर प्रियांशु विद्रोही, आलोक तिवारी, विकास यादव, अनुराग चौरसिया, अनूप यादव, सतेंद्र गंगवार, भानू,सोनू, इकरात प्रताप आदि मौजूद रहे।दिशा छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने लल्ला चुंगी चौराहे पर एनटीए और शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का पुतला दहन किया और मांग उठाई है शिक्षा मंत्री इस पूरे मसले की नैतिक जिम्मेदारी लें और अपने पद से इस्तीफ़ा दें। आरोप लगाया कि पिछले सात सालों में 80 से ज़्यादा पर्चे लीक हो चुके हैं। इस अवसर पर प्रियांशु, चंद्रप्रकाश, संजय, आकाश, प्रेमचन्द, अमरेश, प्रशान्त, निधि, वर्षा, चंचल, सौम्या, शिवा आदि मौजूद रहे।

नीट काउंसिलिंग पर रोक लगाने से कोर्ट का इनकार,मांगा जवाब

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिर से एमबीबीएस सहित स्नातक स्तरीय अन्य चिकित्सा पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) 2024 के घोषित परिणाम के आधार पर होने वाले काउंसिलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि काउंसलिंग के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में होने वाला दाखिला उसके फैसले पर निर्भर करेगा। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी करते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने नीट-यूजी में हुई कथित धांधली की अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराने और नए सिरे से परीक्षा कराने की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र व एनटीए को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

यूपी पुलिस पेपर लीक में चार्जशीट दाखिल

मेरठ। यूपी पुलिस पेपर लीक मामले में एसटीएफ मेरठ यूनिट ने 18 आरोपियों के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है। कंकरखेड़ा थाने में केस दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की गई थी। सरकार ने यह परीक्षा निरस्त कर जांच एसटीएफ को दी थी।

बिहार में नया आरक्षण कानून निरस्त

पटना।  पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के आरक्षण सीमा बढ़ाने के फैसले को गुरुवार को निरस्त कर दिया।राज्य सरकार ने शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी, ओबीसी और ईबीसी को आरक्षण 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी कर दिया था। कोर्ट ने 4 से 11 मार्च तक चली सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन एवं न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने गुरुवार को 87 पन्नों में यह आदेश दिया।कोर्ट ने कहा, बिहार में कुल आबादी के 1.57 प्रतिशत लोग सरकारी नौकरी में हैं। प्रत्येक श्रेणी के कर्मचारियों के अनुपात को देखा जाए तो उनकी कुल जनसंख्या की तुलना में मुक्त श्रेणी को 3.19 प्रतिशत बढ़त है।हालांकि, सरकारी रोजगार में पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व के अनुपात की तुलना ं कुल सरकारी कर्मचारियों की संख्या पर गणना किए जाने पर पिछड़े वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। कुल 20,49,370 सरकारी कर्मियों में से अन्य पिछड़ा वर्ग की भागेदारी 30.32 फीसदी है। अत्यंत पिछड़े वर्ग की भागेदारी 22.53 फीसदी है। अनुसूचित जाति का हिस्सा 14.19 और अनुसूचित जनजाति का 1.47 फीसदी है।

आदेश पढ़ने के बाद चुनौती देने पर निर्णय लेंगे:शाही

हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने को लेकर पूछे गए सवाल पर महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि आदेश को पढ़ने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के बारे में निर्णय लेगी। वहीं, महाधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट जाने की अनुमति देने का आग्रह मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ से किया। खंडपीठ ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र है।

पिछड़े वर्ग के कर्मचारी 68 प्रतिशत से ज्यादा

कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में कुल 20,49,370 सरकारी कर्मचारी हैं, जिनमें से पिछड़े वर्ग के 14,04,374 लोग सरकारी पदों पर नियुक्त हैं, जो कुल कर्मचारियों का 68.52 प्रतिशत है। अनारक्षित वर्ग के पास सरकारी नौकरी में कुल पदों का 31.48 प्रतिशत है। सरकारी नौकरी में पिछड़े समुदायों का प्रतिशत केवल आरक्षण के आधार पर नहीं है।

बच्चों को पढ़ाया जाएगा संस्कृति का ककहरा 

लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार अब स्कूली बच्चों को संस्कृति का ककहरा भी सिखाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के निर्देशन में तैयार की गयी उत्तर प्रदेश की नयी सांस्कृतिक नीति में कक्षा छह से कक्षा 12वीं तक के पाठ्यक्रम में संस्कृति को भी एक विषय के रूप में शामिल किया जाएगा। इसके बाद स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर संस्कृति व कला के पाठ्यक्रम भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किये जाएंगे।प्रदेश के संस्कृति विभाग ने इस नयी सांस्कृतिक नीति का फाईनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जल्द ही इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद एक कमेटी गठित होगी जो पाठ्यक्रम में संस्कृति को बतौर एक विषय शामिल करने की संस्तुति करेगी।

बनेगी जनपदीय सांस्कृतिक इकाई हर जिले में जिला स्तर पर जनपदीय सांस्कृतिक इकाई बनेगी जिसके तहत प्रत्येक जिले में संस्कृति विभाग का एक प्रेक्षागृह, जनपदीय संग्रहालय और सर्वकला महाविद्यालय स्थापित होंगे। यह महाविद्यालय भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय से सम्बद्ध रहेंगे। गुरु-शिष्य परम्परा के तहत कार्यशालाएं आयोजित होंगी, अभिरुचि पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री कला संस्कृति राष्ट्रीय पुरस्कार योजना इस नीति में मुख्यमंत्री कला संस्कृति राष्ट्रीय पुरस्कार योजना का भी प्रावधान किया गया है। अलग-अलग श्रेणियों में कला व संस्कृति के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर यह पुरस्कार प्रदान किये जाएंगे।

कलाकारों का बीमा नीति के जरिये प्रदेश के सांस्कृतिक इतिहास में पहली दफा राज्य के कलाकारों का बीमा भी करवाया जाएगा। सर्वे और डाक्यूमेंटेशन के लिए डिजिटल तकनीक अपनायी जाएगी।

संस्कृति निदेशक हैं ड्राफ्टिंग कमेटी अध्यक्ष

संस्कृति विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस नयी सांस्कृतिक नीति की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष संस्कृति निदेशक शिशिर हैं, जबकि कमेटी के सचिव संस्कृति निदेशालय के डा.राजेश अहिरवार हैं। इन दोनों अधिकारियों की देखरेख में इस नीति के मसौदे को तैयार करने में कमेटी के सदस्यों विद्यांत हिन्दू कालेज लखनऊ की प्रोफेसर नीतू सिंह, महाराजा गंगा सिंह वि.वि. के कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित, राष्ट्रीय माडर्न आर्ट आफ गैलरी के महानिदेशक, प्रदेश के लोक व जनजातीय निदेशालय के अधिकारी, भातखंडे संस्कृति वि.वि. की प्रो.सृष्टि ठाकुर आदि शामिल रहे।

कलाकारों को पेंशन

इस नीति में उत्तर प्रदेश कलाकार मैनेजमेंट सिस्टम का भी प्रावधान किया गया है जिसमें एक ही विण्डो के जरिए कलाकारों को पेंशन, आर्थिक सहायता,उनका पंजीकरण आदि की व्यवस्था रहेगी।

हमने नयी सांस्कृतिक नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। कैबिनेट जिस रूप में इसे स्वीकार करेगी उसी के अनुरूप इसे लागू किया जाएगा।

-शिशिर, निदेशक संस्कृति।

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