
संचार सुरक्षा को लेकर लॉन्च किए गए ‘संचार साथी’ एप पर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि इस एप के पीछे “सुरक्षा नहीं, बल्कि नागरिकों की जासूसी का इरादा दिखाई देता है। प्रियंका ने दावा किया कि सरकार हर मोबाइल में इसे अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है, जो लोगों की गोपनीयता पर सीधा हमला है। प्रियंका ने सोशल मीडिया पर लिखा- सरकार सुरक्षा के नाम पर निगरानी तंत्र खड़ा कर रही है। हर फोन में जबरन एप डालकर नागरिकों की निजी गतिविधियों पर नजर रखना चाहती है। यह लोकतंत्र के मूल अधिकारों के खिलाफ है। विपक्ष ने इसे पेगासस विवाद की याद दिलाने वाला कदम बताया है।
उधर, केंद्रीय संचार मंत्रालय ने आज बयान जारी कर विवाद को शांत करने की कोशिश की। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संचार साथी को मोबाइल में अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने का कोई आदेश नहीं है। सरकार ने कहा—“यह एप सुरक्षा के लिए बनाया गया है, ताकि खोए या चोरी हुए मोबाइल को ब्लॉक और ट्रैक किया जा सके। यदि कोई नागरिक इसे उपयोग नहीं करना चाहता, तो वह इसे डिलीट कर सकता है। इसका इंस्टॉल होना अनिवार्य नहीं है।”
मंत्रालय ने आगे बताया कि इस एप की मदद से अब तक 7 लाख से ज्यादा मोबाइल फोन रिकवर किए जा चुके हैं। सरकार के अनुसार, एप केवल IMEI-आधारित ट्रैकिंग में मदद करता है और किसी भी प्रकार का निजी डेटा नहीं लेता। हालांकि, कांग्रेस ने सरकार की सफाई को “दबाव में दिया गया बयान” बताया और कहा कि असली मुद्दा नागरिकों के डेटा की सुरक्षा और पारदर्शिता है। एप को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच जारी यह विवाद आगामी सत्र में भी गूंजने की पूरी संभावना है।






