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Mohammad Siraj
संक्रमण की गिरफ्त में लखनऊ करोबार
लखनऊ: कोरोना संक्रमण के कारण एक बार फिर स्टेशनरी कारोबार ठप हो गया है। राजधानी लखनऊ के सभी स्कूल व कॉलेज बंद हैं, जिस वजह से स्कूलों में इस्तेमाल होने वाले चीजें नहीं बिक सकी हैं। इसका असर स्टेशनरी से जुड़े कारोबारियों पर पड़ा है। स्टेशनरी के सामान जैसे-कॉपी, पेंसिल, ज्योमेट्री बॉक्स सहित अन्य सामान गोदामों में पड़े हैं। अप्रैल महीने में 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इससे करीब पांच हजार स्टेशनरी कारोबारियों पर सीधा असर पड़ा है। कारोबारियों के मुताबिक जनवरी के महीने से ही सारे स्टेशनरी वाले अपना स्टॉक गोदामों में जमा करके रख लेते थे, लेकिन अप्रैल, मई और जून में स्टेशनरी के कारोबार का पीक टाइम होता है।
स्टेशनरी कारोबार से पांच हजार लोग जुड़े
स्टेशनरी विक्रेता एवं निर्माता एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि लखनऊ में लगभग पांच हजार स्टेशनरी का कारोबार करने वाले लोग हैं, जिसमें होलसेलर, मेन्युफैक्चर्स, रिटेलर, फाइल वाले, कॉपी वाले, पेपर वाले आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि होली के बाद से लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। जिसके बाद व्यापारियों ने 14 अप्रैल से स्वेच्छिक बंदी की। फिर सरकार ने कोरोना कर्फ्यू लगा दिया है। उन्होंने कहा कि अप्रैल, मई और जून- ये तीन महीने स्टेशनरी कारोबारियों के लिए ‘सीजन’ होते हैं। बच्चे स्कूल जाते हैं, तो नया सामान लेकर जाते हैं। हर साल इन तीन महीनों में करीब 400-500 करोड़ तक का कारोबार होता था। उन्होंने कहा कि जनवरी के महीने से ही मैन्युफैक्चर्स माल स्टॉक करना शुरू कर देते हैं।
लखनऊ से 35 जिलों में माल जाता है
स्टेशनरी कारोबारी रितेश जैन ने बताया कि लखनऊ प्रदेश का सप्लाई हब है। यहां से सीतापुर, लखीमपुर, रायबरेली, सुलतानपुर, हरदोई, बाराबंकी, अयोध्या, गोंडा, बस्ती, बहराइच सहित करीब 35 जिलों से माल आता है।
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