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Mohammad Siraj
बिना हाइड्रो टेस्टिंग के भरा जा रहा था आक्सीजन सिलिंडर
लखनऊ- (मामला चिनहट अंतर्गत) केटी आक्सीजन प्लांट में बना हाइड्रो टेस्टिंग वाले सिलिंडर भरे जा रहे थे। सिलिंडर की चादर काफी कमजोर हो चुकी थी। इस कारण वह 2000 पीएसआइ (पौंड स्क्वायर इंच) का प्रेशर नहीं झेल सका और ब्लास्ट हो गया। जिसके कारण यह हादसा हुआ। फायर विभाग और औद्योगिक सुरक्षा विशेषज्ञ विभाग के सूत्रों की माने तो हादसे प्लांट में हादसे का यही मुख्य कारण है। प्लांट में सिलिंडर बिना हाइड्रो टेस्टिंग सर्टीफिकेट के कतई नहीं भरा जाना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार क्योंकि 2000 पीएसआइ के प्रेशर से जब आक्सीजन सिलिंडर में भरी जाती है और सिलिंडर कमजोर हुआ तो वह इमारत समेत जो भी उसकी चपेट में आता है उसके चीथड़े उड़ा देता है। उदाहरण के लिए कार में 15-20 पीएसआइ और ट्रक में 105 से 110 पीएसआइ प्रेशर की हवा होती है। जब इनके टायर फटते हैं तो आस पास खड़े लोग भी घायल होने के साथ ही वाहन भी क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे सिलिंडर ब्लास्ट का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हर पांच साल में होती है सिलिंडर की हाइड्रो टेस्टिंग
सीएफओ (चीफ फायर अफसर) विजय कुमार सिंह का कहना है कि आक्सीजन समेत अन्य सिलिंडर की पांच साल में कंपनी द्वारा ही हाइड्रो टेस्टिंग कराई जाती है। प्लांट पर हाइड्रो टेस्टिंग सर्टीफिकेट के बाद ही उसमें गैस भरी जानी चाहिए। यही सिलिंडर का मानक है।
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